इंसानी शरीर में कोरोना वायरस को कम करने को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. इस नई उपलब्धि के सहारे वे कोरोना संक्रमित मरीज के शरीर से कोरोना वायरस की संख्या में कमी ला सकते हैं. इस बार इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने सूरज की पराबैंगनी किरणों और एक विटामिन की मदद ली है. (फोटोः AFP)
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अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा और रक्त उत्पादों में कोरोना की मात्रा घटाने का तरीका खोज लिया है. इनका कहना है कि कोरोना को विटामिन राइबोफ्लेविन (Riboflavin) और पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) के संपर्क में लाने से ये कम हो जाता हैं. (फोटोः AFP)
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वैज्ञानिक विटामिन राइबोफ्लेविन और पराबैंगनी किरणें मिलकर कर मानव प्लाज्मा और रक्त उत्पादों जैसे रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि से कोरोना वायरस की मात्रा को कम कर देते हैं. (फोटोः AFP)
यह एक ऐसी उपलब्धि है जो रक्त चढ़ाने के दौरान वायरस के प्रसार की आशंका को घटाने में मददगार साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों ने कहा यह अब भी पता नहीं चल सका है कि कोरोना या सार्स सीओवी-2 रक्त चढ़ाने से फैलता है या नहीं. (फोटोः AFP)
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वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा के 9 और 3 रक्त उत्पादों के इलाज के लिए मिरासोल पैथोजन रिडक्शन टेक्नोलॉजी सिस्टम नामक उपकरण को विकसित किया. (फोटोः AFP)
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अध्ययन की सह लेखिका इजाबेला रगान ने कहा कि उन्होंने वायरस की बड़ी मात्रा को घटाया है. विटामिन राइबोफ्लेविन और पराबैंगनी किरणों के वजह से वायरस खत्म हो गया था. हमें प्लाज्मा में वो दोबारा नहीं मिला. (फोटोः AFP)
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अध्ययन के वरिष्ठ लेखक रे गुडरिच द्वारा बनाया गया यह उपकरण रक्त उत्पाद या प्लाज्मा को पराबैंगनी किरणों के संपर्क में लाकर काम करता है. यह उपकरण 1980 के दशक में HIV मामलों के इलाज में काम आया था. (फोटोः AFP)