scorecardresearch
 
Advertisement
कोरोना

मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?

मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 1/14
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच भारत से एंटी मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्लोरोक्वीन मांगा है. ट्रंप ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत में कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्लोरोक्वीन उपलब्ध कराने की अपील की. कोरोना वायरस से लड़ने में हाइड्रोक्लोरोक्वीन के असरदार होने को लेकर अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं लेकिन ट्रंप इसे कई बार गेम चेंजर बता चुके हैं. भारत ने इस दवा की बढ़ती मांग और देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 2/14
दुनिया भर के देश हाइड्रोक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन दवाइयों का आयात बढ़ा रहे हैं. ये दवा सिंकोना पेड़ से बनती है और सदियों से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती रही है. अब सवाल ये उठता है कि क्या दशकों पुरानी और दूसरी दवाइयों के मुकाबले मलेरिया की ये सस्ती दवा कोरोना वायरस की महामारी का समाधान हो सकती है? क्या बिना किसी मेडिकल पुष्टि के इसका इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है?
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 3/14
इस दवा को लेकर अमेरिका में भी बहस चल रही है. ट्रंप के लगातार महिमामंडन करने के बावजूद, अभी तक यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कोरोना वायरस के लिए हाइड्राक्सोक्लोरोक्वीन को मंजूरी नहीं दी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी एंटी-मलेरिया ड्रग को कोरोना वायरस के ज्यादा गंभीर मामलों में प्रिवेंटिव मेडिकेशन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए कहा है.
Advertisement
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 4/14
अमेरिका में एफडीए ने क्लोरोक्वीन और हाइड्राक्सोक्लोरोक्वीन को एंटी-मलेरिया ड्रग के तौर पर मंजूरी दी हुई है. क्लोरोक्वीन को 1934 के बाद बेयर नाम की फार्मा कंपनी ने बनाया था और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मलेरिया को रोकने के लिए इसका व्यापक इस्तेमाल हुआ था.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 5/14
2012 में जब कोरोना वायरस परिवार के ही सदस्य मार्स का संक्रमण फैला था तो वैज्ञानिकों ने हजारों दवाइयों का परीक्षण किया. क्लोरोक्वीन समेत तमाम दवाएं कोशिकाओं में कोरोना वायरस को संक्रमण फैलाने से रोकने में मददगार पाई गईं. हालांकि, इन पर आगे शोध नहीं किया गया क्योंकि एक सीमा के बाद ये ज्यादा असरदार साबित नहीं हो रहे थे.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 6/14
जब नया कोरोना वायरस फैला तो मार्स और सार्स के खिलाफ शुरुआती असर दिखाने वाले ड्रगों को संभावित इलाज की सूची में सबसे ऊपर रखा गया. चीन और अमेरिका समेत दुनिया की कई प्रयोगशालाओं में इन दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. हालांकि, अभी तक कोरोना वायरस के इलाज में प्रभावी होने को लेकर क्लोरोक्वीन और हाइड्राक्सोक्लोरोक्वीन पर कोई सहमति नहीं बन सकी है. इसका परीक्षण अभी बेहद शुरुआती चरण में है.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 7/14
मलेरिया वाला ड्रग वायरस पर कैसे काम करता है? अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्लोरोक्वीन या एंटी-मलेरिया ड्रग कोरोना वायरस के खिलाफ कैसे काम काम करता है. मलेरिया प्लाजमोडियम पैरासाइट्स से होता है जो मच्छरों के जरिए फैलता है. जबकि कोविड-19 बीमारी SARS-CoV-2 वायरस की वजह से होती है. वायरल इन्फेक्शन और पैरासाइट्स से होने वाले इन्फेक्शन में बहुत अंतर होता है इसलिए भी वैज्ञानिक यह बता पाने में सक्षम नहीं हैं कि दोनों पर एक ही दवा काम करेगी या नहीं. कहा जा रहा है कि क्लोरोक्वीन कोशिकाओं की सतह की अम्लीयता (एसिडिटी) बदल सकता है जिससे वायरस संक्रमण नहीं फैला पाता.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 8/14
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में सेल बायोलॉजी की प्रोफेसर कैरीन ले रोच के मुताबिक, हाइड्रोक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन इंसानों की कोशिकाओं में अम्लीयता बढ़ा देते हैं. इससे वायरस के कोशिकाओं में प्रवेश करने की क्षमता पर असर पड़ता है. अगर वायरस कोशिकाओं के भीतर पहले से हैं तो उन्हें संख्या बढ़ाने से रोक देता है. प्रोफेसर कैरीन ले ने एएफपी से कहा, हालांकि, मुझे तमाम क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे प्रकाशित होने का इंतजार है. तब तक इसके असरदार होेने की पुष्टि नहीं की जा सकती है.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 9/14
ये भी संभव है कि क्लोरोक्वीन इम्यून सिस्टम को सक्रिय करने में मददगार हो. एक स्टडी में कहा गया है कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन एंटीबैक्टीरियल ड्रग एजिथ्रोमिसिन के साथ मिलकर ज्यादा असरदार है जबकि अकेले ये कम प्रभावी है. हालांकि, ये स्टडी बहुत छोटे समूह पर की गई थी.
Advertisement
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 10/14
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन को कोरोना में लगातार असरदार बताने के बाद एरिजोना में एक कपल ने बिना डॉक्टर की सलाह के क्लोरोक्वीन फॉस्फेट का इस्तेमाल कर लिया था. हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इसके बाद, नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एलर्जीस ऐंड इन्फेक्शियस डिसीज के प्रमुख डॉ. एंथोनी फाउची ने सफाई दी थी कि ट्रंप के बयान किसी क्लिनिकल ट्रायल पर आधारित नहीं हैं बल्कि ये सिर्फ अनुमान हैं. डॉ. एंथनी फाउची के मुताबिक, सिर्फ शुरुआती परीक्षणों के आधार पर किसी दवा को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. अभी तक छोटे पैमाने पर ही कुछ स्टडी ही की गई है जिनमें इसे 'रामबाण' बताया जा रहा है.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 11/14
चीन में हाल ही में 30 मरीजों पर की गई एक स्टडी में कहा गया है कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन, बेड रेस्ट और लिक्विड डाइट जैसे कुछ उपायों से ज्यादा मददगार नहीं है. इस स्टडी से हाइड्रोक्लोरोक्वीन के कोरोना में असरदार होने को लेकर बहस और तेज हो गई है.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 12/14
एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि किसी दवा को लेकर बढ़-चढ़कर दावे करने से तमाम तरह के साइट इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं. कई देश कोरोना वायरस महामारी के बीच फूंक-फूंककर ही कदम आगे बढ़ा रहे हैं. फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन ने कहा कि इस दवा का इस्तेमाल कोरोना के सिर्फ गंभीर मामलों में ही किया जाएगा.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 13/14
मेयो क्लीनिक की कार्डियोलॉजिस्ट माइकेल एकरमैन ने बताया, करीब एक फीसदी मरीजों को कार्डियक अरेस्ट का खतरा होता है. मेडिकल टीमों को इन दवाओं के इस्तेमाल से पहले इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम करना चाहिए ताकि इस खतरे का पता लगाया जा सके.
मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के अटैक को रोकने में कितनी मददगार?
  • 14/14
हाइड्रोक्लोरोक्वीन के अलावा, रेमडिसिविर ड्रग भी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में मददगार दिख रहा है. ये ड्रग सार्स-मार्स और इबोला जैसे वायरसों को रोकने में काफी प्रभावी नजर आ चुका है. फरवरी महीने में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीजेस ने रेमडेसिविर का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है. हालांकि, किसी भी मरीज को बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाइयों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इन दवाओं का अभी तक किसी भी स्टडी या क्लीनिकल ट्रायल में परीक्षण पूरा नहीं हुआ है. कुछ मामलों में इनका इस्तेमाल खतरनाक भी साबित हो सकता है.
Advertisement
Advertisement