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कोरोना

एंटीबॉडी कॉकेटल थेरेपी रोकेगी कोरोना को, US ने की 3367 करोड़ रु. की डील

एंटीबॉडी कॉकेटल थेरेपी रोकेगी कोरोना को, US ने की 3367 करोड़ रु. की डील
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कोरोना वायरस को ठीक करने के लिए अब एक नई थेरेपी आ गई है. इसका नाम है एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी. क्लीनिकल ट्रायल के आखिरी स्टेज में पहुंच चुकी है ये थेरेपी. इस थेरेपी को लेकर अमेरिका ने एक दवा कंपनी के साथ 450 मिलियन डॉलर्स यानी करीब 3367 करोड़ रुपए की डील की है. वैज्ञानिकों और दवा कंपनी का दावा है कि यह थेरेपी सबसे कारगर साबित होगी कोरोनावायरस के इलाज और बचाव में. 
एंटीबॉडी कॉकेटल थेरेपी रोकेगी कोरोना को, US ने की 3367 करोड़ रु. की डील
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जर्नल ऑफ क्लीनिकल वायरोलॉजी में इस थेरेपी के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि अभी तक सबसे कारगर इलाज था कोवैलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी (Convalescent Plasma Therapy). लेकिन प्लाज्मा थेरेपी की अपनी सीमाएं हैं. (फोटोः गेटी)
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प्लाज्मा थेरेपी में बीमारी से ठीक हुए इंसान के शरीर से प्लाज्मा यानी एंटीबॉडी लेकर बीमार व्यक्ति को दिया जाता था, ताकि वह वायरस से बचाने वाले एंटीबॉ़डी उसके शरीर में भी पैदा हों और वह बीमारी को हरा सके. (फोटोः रॉयटर्स) 
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जर्नल ऑफ क्लीनिकल वायरोलॉजी में लिखा है कि कुछ एंटीबॉडी सीधे वायरस पर हमला करती हैं, जिन्हें हम न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज कहते हैं. लेकिन कुछ एंटीबॉडीज संक्रमण को नहीं रोक पाती पर वो कुछ इम्यून मॉलीक्यूल्स को निर्देश देती हैं कि वायरस को खत्म करो. (फोटोः रॉयटर्स)
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इसके बाद कुछ वैज्ञानिकों ने नया तरीका निकाला है, जिसका नाम है एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी (Antibody Cocktail Therapy). इस थेरेपी के लिए अमेरिकी सरकार ने ऑपरेशन वार्प स्पीड (Operation Warp Speed) के तहत रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स के साथ 450 मिलियन डॉलर्स यानी 3367 करोड़ रुपए की डील की है. (फोटोः रॉयटर्स)
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दवा कंपनी ने इस थेरेपी को फिलहाल अपनी तरफ से REGN-COV2 नाम दिया है. यह थेरेपी क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में पहुंच चुकी है. अमेरिका में 150 जगहों पर 2000 लोग इस थेरेपी से क्लीनिकल ट्रायल में भाग ले रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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इस थेरेपी में मरीजों को नई थेरेपी की दवा या प्लेसीबो (Placebo) दिया जाएगा. प्लेसीबो प्रायोगिक दवा को कहते हैं. फिर देखा जाएगा कि पारंपरिक दवाओं की तुलना में प्लेसीबो दवा कितनी कारगर है. यानी नई थेरेपी कितनी कारगर है. (फोटोः रॉयटर्स)
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REGN-COV2 में दो एंटीबॉडीज हैं जो शरीर की कोशिकाओं में मौजूद कोरोना वायरस से चिपकर कर उसपर आत्मघाती हमला करती है. इससे कोरोनावायरस की वो शक्ति खत्म हो जाती है, जिससे वह स्वस्थ्य कोशिकाओं को संक्रमित कर सके. (फोटोः रॉयटर्स)
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दोनों एंटीबॉडी कोरोना वायरस से बाहरी हिस्से में लगे कांटेदार प्रोटीन को पिघला कर अंदर के आरएनए को खत्म कर देती हैं. दवा कंपनी के वैज्ञानिकों ने इस एंटीबॉडी थेरेपी  के लिए दो एंटीबॉडीज को जेनेटिकली मॉडिफाइड चूहे और कोविड से ठीक हुए इंसानों के शरीर से निकाला है. (फोटोः रॉयटर्स)
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यह ट्रायल अभी दो और चरणों में पूरा होगा. इस थेरेपी से अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों को ठीक करने की कोशिश की जाएगी और दूसरी जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं. दवा कंपनी अमेरिका, ब्राजील, मेक्सिको और चिली के 150 जगहों पर इसका ट्रायल करेगी. अस्पताल में भर्ती 850 लोगों पर और अस्पताल में जो भर्ती नहीं हैं वैसे 1050 लोगों पर.  (फोटोः रॉयटर्स)
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इस थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स के साथ अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीजेस (NIAID) कर रही है. (फोटोः रॉयटर्स)
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