दुनिया कोरोनावायरस से युद्ध कर रही है, वहीं चीनी नौसेना ने 11 अप्रैल को रियलिस्टिक मैरीटाइम ऑपरेशंस से अपने पड़ोसी देश ताइवान को चिंता में डाल दिया है. आइए जानते हैं कि आखिर इन दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही तकरार की असली वजह आखिर है क्या. कोरोना संकट काल में युद्धाभ्यास के बाद मिसाइल परीक्षण करके चीन आखिर क्यों अपनी पड़ोसी देशों की नींद उड़ा रहा है.
चीन 1949 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से ही ताइवान पर अपना दावा करता आया है. एक ओर जहां ताइवान खुद को स्वतंत्र और संप्रभु मानता है, वहीं चीन कहता आया है कि ताइवान को किसी भी तरह चीन में शामिल होना चाहिए. चाहे इसके लिए बल का ही सहारा ही क्यों न लेना पड़े.
(फोटोः China Military)
आइए इस रार के बारे में शुरुआत से जानते हैं. बात शुरू होती है दोनों के नाम से. बता दें कि चीन का असली और आधिकारिक नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है. वहीं ताइवान का आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है. इस तरह से देखा जाए तो चाइना दोनों के नाम में कॉमन है.
इस विवाद को इतिहास के पन्नों से समझा जाए तो ये लड़ाई सदियों पुरानी है. दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर गीता कोचर ने साल 2018 में बीबीसी से बातचीत में बताया था कि चीन में साल 1644 में चिंग वंश सत्ता में आया और उसने चीन का एकीकरण किया. साल 1895 में चिंग ने ताइवान द्वीप को जापानी साम्राज्य को सौंप दिया था.
फिर 1911 में चिन्हाय क्रांति में चिंग वंश को सत्ता से हटना पड़ा. इसके बाद चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी. जितने भी इलाके चिंग वंश के अधीन थे, वे कॉमिंगतांग सरकार बनने से अपनेआप उनके हिस्से में आ गए.
चीन और ताइवान की आपसी विवाद की बात करें तो ये साल 1949 से शुरू हुआ था. चीन में हुए गृहयुद्ध में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हराया था. लेकिन कम्युनिस्टों की नौसैनिक ताकत तब न के बराबर थी. यही वजह थी कि माओ की सेना समंदर पार करके ताइवान पर नियंत्रण नहीं कर सकी.
हारने के बाद कॉमिंगतांग ताइवान चले गए और वहां एकदम अलग अपनी सरकार बना ली. फिर दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद कॉमिंगतांग को जापान की ओर से ताइवान का पूरा नियंत्रण मिल गया. इसके बीच दो संधिया रखी गई थीं. कम्युनिस्टों और ताइवान की इसी सत्ता के बीच शुरू हुई आपसी रार आने वाले समय में भी बरकरार रही, जो आज भी कायम है.
बता दें कि इसी अप्रैल चीन ने दक्षिण चीन के समुद्री इलाके में गाइडेड मिसाइल से लैस यूलिन
और सूचांग युद्धपोत से मिसाइल दागे. दोनों युद्धपोतों से सैकड़ों बम-गोले,
मिसाइलें और गाइडेड मिसाइलों का परीक्षण किया गया. ताइवान ने ये आरोप भी लगाया है कि चीन ने 29 मार्च 2020 की रात उसके एयरस्पेस में अपने फाइटर जेट
भेजे. विमानों को ताईवान की एयरफोर्स ने खदेड़ा.
इसके बाद ताइवान ने भी अपने शहरी इलाकों में टैंकों के साथ अभ्यास किया.
इसके बाद, अब दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों ये कह रहे हैं कि जापान और
ताइवान को डर है कि कहीं चीन कोरोना संकट का फायदा उठाकर हमला न कर दे. वहीं चीन ने इस ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन दोनों देशों के बीच लंबे समय से जमी रिश्तों की बर्फ को देखते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि चीन कहीं इस बुरे वक्त पर इस तरह का कदम तो नहीं उठाना चाहता.