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कोरोना

संक्रमण के बावजूद इच्छाशक्ति के बलबूते दी कोरोना का मात, दो जांबाजों ने ऐसी जीती जंग

संक्रमण के बावजूद इच्छाशक्ति के बलबूते दी कोरोना का मात, दो जांबाजों ने ऐसी जीती जंग
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कहते हैं कि मन के हारे हार सदा रे, मन के जीते जीत, मत निराश हो यों, तू उठ, ओ मेरे मन के मीत. यह कहावत राजस्थान के धौलपुर जिले में कोरोना संक्रमित दो मरीजों ने चरितार्थ साबित की है. इन दोनों मरीजों ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और हौसले से अस्पताल में रहते हुए अपने परिवार का भी हौसला बढ़ा कर उनको भी स्वस्थ किया. अब यह दोनों मरीज जिला अस्पताल से स्वस्थ होकर अपने घर पर हैं और परिवार के अन्य सदस्य भी स्वस्थ हो चुके हैं.

संक्रमण के बावजूद इच्छाशक्ति के बलबूते दी कोरोना का मात, दो जांबाजों ने ऐसी जीती जंग
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जिले की राजाखेड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत विनतीपुरा के सरपंच राजेश सिकरवार और उनकी पत्नी और बच्चे कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. राजेश सिकरवार ने बताया कि दस दिन पहले तेज बुखार होने पर जब सीटी स्कैन जांच कराई तो कोरोना के लक्षण आए. ऑक्सीजन लेवल भी 85 प्रतिशत रह गया लेकिन मैं घबराया नहीं. गंभीर कोरोना संक्रमण होने के बावजूद ठान लिया कि कोरोना को हराना है और दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना को हराया.

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राजेश सिकरवार ने कहा कि लगातार ग्राम पंचायत में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सुबह से ही घर से निकलना और उनकी समस्याओं का समाधान कराना होता है. इसी बीच उन्होंने कोरोना वैक्सीन भी लगवाई. उसके बाद उन्हें हल्का वायरल हुआ. इस बीच सीटी स्कैन कराया तो कोरोना के लक्षण आए. इस पर सोच लिया कि हौसला नहीं छोडूंगा और कोरोना को मात देनी है. हालत ज्यादा खराब होने लगी और ऑक्सीजन लेवल कम होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी. इसके बाद जिला अस्पताल में भर्ती हुआ.

इस बीच पत्नी और बच्चे भी कोरोना पॉजिटिव हो गए. उसके बाद भी मैंने खुद के साथ ही अस्पताल में रहते हुए परिवार के सदस्यों का हौसला नहीं टूटने दिया. उन्हें भी मोबाइल से फोन पर मोटीवेट करता रहा, मैंने खुद पर नेगेटिविटी हावी नहीं होने दी. फोन पर परिजनों और मित्रों से बात करता तो सभी मुझे हिम्मत देते और बोलते चिंता नहीं करनी है, सब कुछ जल्दी ठीक हो जाएगा. सात दिन जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में रहा. रिपोर्ट नेगेटिव आई और स्थिति में सुधार हुआ तो डॉक्टर्स ने आइसोलेशन में शिफ्ट कर दिया और अब डिस्चार्ज होने के बाद मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं और पत्नी और बच्चे भी स्वस्थ हो गए हैं. अब पहले की तरह सभी कार्य घर में कर रहा हूं.

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कोरोना महामारी के दौर में जनता की सेवा करते हुए समाजसेवी मलखान सिंह कंषाना की अचानक तबीयत नासाज हो गई. तबीयत बिगड़ी तो मलखान सिंह निजी चिकित्सकों से दवा ली लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने निजी लैब पर जाकर लिवर, टाइफाइड, सीबीसी की जांच और एक्सरे कराया. उसके बाद जिला अस्पताल में पहुंचे जहां मैंने सीटी स्कैन कराया तो उसमें पता चला कि फेफड़ों में 15 प्रतिशत संक्रमण हो चुका है.  वही कोरोना जांच भी पॉजि‍टिव आने के बाद डर लगा लेकिन आत्मविश्वास बनाए रखा. 

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मलखान सिंह ने बताया कि ऑक्सीजन लेवल भी 85 था. 6 दिन तक मन में कई तरह के ख्याल भी आए लेकिन सब को नकारा और हिम्मत को बरकरार बनाए रखा. मेरे शुभचिंतक लगातार मोटीवेट करते रहे. उन्होंने कहा संक्रमित होने के बाद अपना आत्मविश्वास बनाए रखते हुए कोरोना की जंग को हराना आसान है. वही हुआ कि मलखान सिंह सात दिन तक जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में रहने के बाद स्वस्थ होकर परिवार के साथ हैं.

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