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कोरोना

न राशन बचा-न पैसे, लॉकडाउन में घास की सब्जी खाने को मजबूर है ये परिवार

न राशन बचा-न पैसे, लॉकडाउन में घास की सब्जी खाने को मजबूर है ये परिवार
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कोरोना वायरस वायरस की वजह से 21 दिन के लॉकडाउन में रोजाना काम करने वाले आदिवासियों की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें घास की सब्जी बनाकर पेट भरना पड़ रहा है. घास चुनकर उससे सब्जी बनाने का वीडियो जब वायरल हुआ और उसकी हकीकत जानी, तब जाकर पता चला कि तीन दिन से यहां घास की सब्जी ही खाई जा रही थी.

न राशन बचा-न पैसे, लॉकडाउन में घास की सब्जी खाने को मजबूर है ये परिवार
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झारखंड के जमशेदपुर में सोमवार सुबह-सुबह वायरल हुआ वीडियो जमशेदपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर सोमैया झोपड़ी की अनीता मुंडारी आदिवासी महिला का निकला. पिछले तीन दिनों से घर में अनाज और सब्जी नहीं होने के कारण यह महिला घर के बाहर से घास और पत्तों को चुन-चुनकर सब्जी बना रही है और पानी और भात के साथ खाना खा रही है.
न राशन बचा-न पैसे, लॉकडाउन में घास की सब्जी खाने को मजबूर है ये परिवार
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इस वीडियो के वायरल होते ही आजतक की टीम उस घर को खोजते हुए पहुंची तो देखा कि यह महिला अपनी मासूम बच्ची के साथ बैठकर चावल भात के साथ घास की सब्जी खा रही है.
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दरअसल, जमशेदपुर से सटे सोमैया झोपड़ी इलाके का एक वीडियो सोमवार को वायरल हुआ जिसमें एक महिला घास चुनते हुए और उसकी सब्जी बनाते हुए दिख रही है. वीडियो में दिख रही महिला को तीन घंटे में खोजने के बाद जब टीम उनके घर पहुंची तो देखा महिला खाना खा रही थी.
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वह महिला आदिवासी भाषा बोलती थी और हिंदी कम जानती थी. आजतक की टीम ने जब वायरल हुआ वीडियो दिखाया तब उसने बताया कि हम तीन दिनों से घास की सब्जी बना कर पानी भात खा रहे हैं. यहां खाने को कुछ नहीं बचा है. कोरोना के कारण हम घर पर ही हैं. हमारे पास वोटर कार्ड और आधार कार्ड है तो लेकिन राशनकार्ड नहीं है.

आजतक पर पब्लिश इस खबर के बाद मंगलवार को जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और अनिता के घर जिला प्रशासन के अफसर पहुंचे. इस मामले की जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है जो इस पूरे मामले की जांच कर रही है. पूरी तरह जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि मामला क्या है और अनिता क्यों हर बार अपना बयान बदल रही है.
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