वह महिला आदिवासी भाषा बोलती थी और हिंदी कम जानती थी. आजतक की टीम ने जब वायरल हुआ वीडियो दिखाया तब उसने बताया कि हम तीन दिनों से घास की सब्जी बना कर पानी भात खा रहे हैं. यहां खाने को कुछ नहीं बचा है. कोरोना के कारण हम घर पर ही हैं. हमारे पास वोटर कार्ड और आधार कार्ड है तो लेकिन राशनकार्ड नहीं है.
आजतक पर पब्लिश इस खबर के बाद मंगलवार को जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और अनिता के घर जिला प्रशासन के अफसर पहुंचे. इस मामले की जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है जो इस पूरे मामले की जांच कर रही है. पूरी तरह जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि मामला क्या है और अनिता क्यों हर बार अपना बयान बदल रही है.