दुनिया के करीब 4 हजार साइंटिस्ट और अकेडमिक्स ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक बड़ी अपील की है. एंटी-लॉकडाउन पिटिशन में एक्सपर्ट्स ने कहा है कि जिन लोगों को कोरोना से खतरा कम है, उनके लिए जिंदगी अब वापस सामान्य होनी चाहिए. वैज्ञानिकों ने हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ने की सिफारिश की है.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना वायरस से जिन्हें सबसे अधिक खतरा है, उनको बचाते हुए बाकी लोगों के लिए जिंदगी सामान्य होनी चाहिए. बता दें कि बुजुर्ग, ओवरवेट और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को कोरोना वायरस से अधिक खतरा होता है.
metro.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड, नॉटिंघम, एडिनबर्ग, कैंब्रिज, ससेक्स सहित अन्य यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ने लोगों के लिए सामान्य जिंदगी सुनिश्चित करने की अपील की है क्योंकि सामाजिक पाबंदियों का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
हालांकि, कुछ अन्य एक्सपर्ट्स ने पिटिशन की आलोचना की है और कहा है कि यह कोरोना वायरस के कुछ पहलुओं को नजरअंदाज करती है. आलोचना करने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की वजह से लोगों की जिंदगी और स्वास्थ्य तबाह हो सकता है और अब तक हर्ड इम्युनिटी के प्रभावी होने को लेकर भी पर्याप्त जानकारी सामने नहीं आई है.
लेकिन पिटिशन में कहा गया है कि कोरोना वायरस को लेकर बनाई गईं मौजूदा नीतियों की वजह से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. बच्चों के वैक्सीनेशन में कमी आ रही है और कैंसर सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को समय पर चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
वैज्ञानिकों और अकेडमिक्स ने पिटिशन में कहा है कि पाबंदियों और इसके असर की वजह से आने वाले वक्त में मृत्यु दर बढ़ सकती है. वहीं, बच्चों को स्कूलों से बाहर रखना भी बड़ा अन्याय है. वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि जब तक वैक्सीन आ नहीं जाती, तब तक ऐसी पाबंदियां अगर रहती हैं तो इससे बड़ा नुकसान हो जाएगा. खासकर पिछड़े तबके के लोगों को काफी अधिक नुकसान होगा.