scorecardresearch
 
Advertisement
कोरोना

कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार

कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 1/11
दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है लेकिन इटली में चीन को मुश्किल घड़ी के दोस्त के तौर पर देखा जा रहा है. इटली सदियों से अपनी खास रणनीतिक स्थिति, संपन्नता और कौशल में महारत नागरिकों की वजह से दुनिया को लुभाता रहा है. इटली जब कोरोना वायरस संक्रमण के भयानक संकट में फंसा हुआ है तो चीन इसे अपना प्रभाव बढ़ाने के मौके के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 2/11
पिछले साल इटली में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट ऐंड रोड (बीआरआई) के एमओयू (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए थे. इटली ऐसा करने वाला जी-7 देशों का इकलौता और पहला देश था. कई सालों से आर्थिक वृद्धि के ठहराव के बीच इटली को लगा कि चीन के साथ समझौता करके जरूरी प्रगति हासिल की जा सकती है. 
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 3/11
उस वक्त इटली के चीन के बेल्ट ऐंड रोड पर कदम आगे बढ़ाने को लेकर ना सिर्फ उसके पश्चिम के सहयोगियों ने ऐतराज जताया था बल्कि इटली की गठबंधन सरकार के एक धड़े ने भी इसका जमकर विरोध किया था. अंत में एमओयू पर हस्ताक्षर करने से इटली को बेल्ट ऐंड रोड से दूरी बनाने वाले देशों जैसे-फ्रांस की तुलना में चीन से कम ही कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुए.
Advertisement
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 4/11
इटली समझौते के गुणा-गणित पर ध्यान लगाता, उससे पहले ही कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी. इटली इस वक्त कोरोना वायरस की वजह से बुरी तरह संकट में है. 23 मार्च तक यहां कोरोना वायरस संक्रमण के 59000 से ज्यादा मामले और 5476 मौतें हो चुकी हैं जो चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या से भी बहुत बड़ा आंकड़ा है. मार्च महीने की शुरुआत में इटली ने ईयू सिविल प्रोटेक्शन मैकेनिजम के तहत यूरोपीय यूनियन के सहयोगियों से मदद मांगी. लेकिन यूरोपीय यूनियन के किसी भी देश ने जवाब नहीं दिया. मदद तो दूर, फ्रांस और जर्मनी ने फेस मास्क के निर्यात पर भी बैन लगा दिया. इटली के लोग यूरोपीय यूनियन के दोस्तों से ठगा हुआ और अपमानित महसूस कर रहे थे.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 5/11
हालांकि, बीजिंग ने इटली की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया और 30 टन मेडिकल सप्लाई एयरलिफ्ट कर रोम पहुंचाई. इटली के विदेश मंत्री लुइगी डी मायो ने अपने फेसबुक पेज पर आपूर्ति करने वाले एयरक्राफ्ट के पहुंचने का एक वीडियो भी पोस्ट किया. ये चीन की एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी.- जब इटली को मदद की दरकार थी, यूरोप ने धोखा दिया लेकिन चीन इटली में तारणहार बनकर सामने आया. बाद में जर्मनी ने इटली को फेस मास्क उपलब्ध कराने की पेशकश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सोशल मीडिया में छवि बनने-बिगड़ने का खेल पूरा हो चुका था- यूरोपीय यूनियन ने इटली को उसके हाल पर छोड़ दिया जबकि चीन मददगार रक्षक बना. इटली के विदेश मंत्री डी मायो ने चीन की मदद के लिए खुद क्रेडिट लिया. इसके लिए उन्होंने अपनी चाइना पॉलिसी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से चीन से हुई सप्लाइ से पहले 10 मार्च को अपने फोनकॉल को क्रेडिट दिया.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 6/11
हालांकि, ये सप्लाई किसी फोनकॉल की वजह से नहीं बल्कि चीन और इटली के रेड क्रॉस के बीच हुए समझौते की वजह से की गई थी. चीनी रेड क्रॉस ने ऐसा करके एक महीने पहले इटैलियन रेड क्रॉस की तरफ से की गई मदद के प्रति आभार जताने की कोशिश की थी. इटली रेड क्रॉस ने एक महीने पहले वुहान में 18 टन सप्लाई की थी. असलियत तो ये है कि इटली और चीन के विदेश मंत्रियों की बातचीत आईसीयू के लिए जरूरी वेंटिलेटर्स के बड़ी संख्या में खरीद को लेकर हुई थी. यूरोप के तमाम देशों के बीच वेंटिलेटर्स को खरीदने की होड़ मची हुई थी और डी मायो ने वांग यी से अपनी लिस्ट में इटली को सबसे ऊपर रखने की गुजारिश की ती. हालांकि, अभी तक चीन से इटली में वेंटिलेटर्स की डिलीवरी नहीं हुई है.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 7/11
चीनी मशीनरी ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और इटली के लोगों द्वारा चीन की उदारता की तारीफों वाले तमाम वीडियो शेयर किए गए. इन वीडियो में मंदारिन भाषा में सबटाइटल्स भी थे यानी पोस्ट करने से पहले चीनी जनता को ध्यान में रखा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की जनता अपने नेता शी जिनपिंग से कोरोना संकट से सफलतापूर्वक ना निपट पाने को लेकर नाराज है. इसीलिए अधिकारी कम से कम ये बात साबित करना चाहते हैं कि विदेश में उन्होंने बेहतर ढंग से काम किया और तमाम विदेशी उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर कर रहे हैं.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 8/11
18 मार्च को चीन से मिलान में दूसरी शिपमेंट भेजी गई. ऐसे ही चीनी कंपनियों ने भी इटली के लिए जरूरी आपूर्ति की. इन सब वजहों के चलते इटली में चीन को कोरोना वायरस की जन्मस्थली से जोड़कर नहीं देखा जा रहा है और ना ही सूचना दबाने और मांस बेचने वाले बाजारों के खराब नियंत्रण को लेकर कसूरवार ठहराया जा रहा है. चीन के ऑनलाइन प्रोपेगैंडा मशीनरी ने वुहान से कोरोना का नाम हटाने के लिए दिन रात काम किया है और इटली में चीन की ये कोशिश बेहद कामयाब भी हुई है. इटली में अब चीन को एक ऐसे देश के तौर पर देखा जा रहा है जिसने जरूरत के वक्त ठोस मदद की जबकि भौगोलिक रूप से नजदीक दोस्तों ने सिर्फ अपने स्वार्थों का ध्यान रखा. कोरोना वायरस से तबाही के दौर में यूरोपीय देशों की एकजुटता के नारे की भी कलई खुल गई.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 9/11
इटली के प्रधानमंत्री गियूसेप्पे कोंटे से टेलिफोन पर हुई बातचीत में भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सुनहरे मौके को लपकने में देर नहीं की और बेल्ट ऐंड रोड के तहत ही 'हेल्थ सिल्क रोड' लॉन्च करने का प्रस्ताव दे दिया. इस पहल के तहत चीन कोरोना वायरस से सफलतापूर्वक लड़ाई के दौरान सीखे गए सबकों को दुनिया में अपने सहयोगियों के साथ साझा करेगा. इस महामारी को खत्म होने में शायद कई महीनों लग जाए और भविष्य में भी ऐसी कोई बीमारी सामने आने की आशंका है, ऐसे में दुनिया भर के तमाम देशों को चीन की इस पहल में स्वाभाविक तौर पर दिलचस्पी होगी.
Advertisement
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 10/11
इटली में ये मजबूत धारणा बन गई है कि चीन ने अपने आक्रामक और बेहतरीन कदमों के जरिए वायरस से निपटने में विजय हासिल कर ली है जबकि उनका देश बुरी तरह फेल हो गया. चीन के प्रशासन की लोगों की जान बचाने और इमरजेंसी की हालत में आर्थिक नुकसान कम करने में मददगार व्यवस्था लागू करने के लिए सराहना की जा रही है.
कोरोना: इटली को यूरोप के देशों ने अकेला छोड़ा तो चीन बना तारणहार
  • 11/11
हालांकि, चीन ने भी इटली को लेकर कुछ मंसूब पाल रखे हैं. बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत इटली में इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने और इसके बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए वह बेहद लालायित है. चीन, इटली में अच्छी गुणवत्ता की खाद्य व्यवस्था, पर्यटन की अपार संभावनाएं, उच्च तकनीक वाले तमाम हब और 5जी के विकास पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है. चीन के लिए इटली, पश्चिमी देशों की एकजुटता और अमेरिकी प्रभाव कम करने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है. चीन को अच्छी तरह पता है कि मुश्किल घड़ी में की गई ये मदद खाली नहीं जाने वाली है बल्कि इससे भविष्य में इटली-चीन के संबंध बेहद मजबूत होंगे. हो सकता है कि नवंबर महीने में दोनों देश कूटनीतिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने पर शानदार जश्न भी मनाएं.
Advertisement
Advertisement