कोरोना वायरस से दुनिया में 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. सिर्फ भारत में कोरोना से 96 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन एक्सपर्ट अब भी स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि कोरोना कितने फीसदी लोगों की जान लेता है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के एक्सपर्ट कोरोना वायरस की मृत्यु दर (संक्रमित होने वाले कितने लोगों की इस बीमारी से जान चली जाती है) पता करने के लिए अब भी संघर्ष कर रहे हैं. फिलहाल हर देश में मृत्यु दर के आंकड़े अलग-अलग हैं. समय के साथ ये आंकड़े बदल भी रहे हैं और इन्हें आखिरी रूप से सही नहीं कहा जा सकता.
आखिर मृत्यु दर कैसे निकाला जाता है? इसका जवाब है कि एक वास्तविक मृत्यु दर संक्रमित लोगों की कुल संख्या के आधार पर ही निकाला जा सकता है. लेकिन कोरोना वायरस के कुल संक्रमित लोगों की संख्या पर संदेह बना हुआ है, क्योंकि ऐसा समझा जाता है कि ऐसे लोगों की काफी अधिक संख्या है जो संक्रमित तो हुए, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं था. इसकी वजह से ऐसे काफी लोगों की कोरोना जांच नहीं हो पाई.
वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल दुनिया में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 3 करोड़ 35 लाख है, लेकिन असल में संक्रमित हुए लोग इससे कहीं अधिक होंगे जिन्हें गिना नहीं जा सका. कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि संक्रमित लोगों में कोरोना की मृत्यु दर 0.5 फीसदी से 1 फीसदी के बीच हो सकती है.
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के डॉ क्रिस्टोफर मुर्रे कहते हैं कि 20 से कम उम्र के लोगों के लिए मृत्यु दर 10 हजार में एक है, जबकि 85 साल से ऊपर के लोगों के लिए हर 6 में एक. वहीं, कई देशों में जब कोरोना की जांच बढ़ रही है और बड़ी संख्या में संक्रमित लोग सामने आ रहे हैं तो इससे मृत्यु दर घट रही है. अमेरिका में अप्रैल में मृत्यु दर 6.6 फीसदी थी, लेकिन अगस्त में यह करीब 2 फीसदी हो गई. इसी तरह के बदलाव अन्य देशों में भी देखने को मिले.