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कोरोना

कोरोना टेस्ट पर एक्सपर्ट ने उठाए सवाल, जो संक्रामक नहीं, उन्हें भी बताते हैं पॉजिटिव

Coronavirus Test
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अमेरिका के कई जाने-माने एक्सपर्ट्स ने कोरोना वायरस टेस्ट पर सवाल खड़े किए हैं. nytimes.com में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इन एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस का स्डैंडर्ड टेस्ट उन लोगों को भी पॉजिटिव करार देता है जिनमें तुलनात्मक रूप से बेहद मामूली वायरस मौजूद होते हैं. जबकि हो सकता है कि ऐसे ज्यादातर लोग संक्रामक ना हों.

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दुनियाभर में कोरोना वायरस की जांच के लिए सबसे अधिक पीसीआर (Polymerise Chain Reaction) टेस्ट का इस्तेमाल होता है. इस टेस्ट के बाद सिर्फ ये जानकारी दी जाती है कि मरीज पॉजिटिव है या नहीं. हालांकि, अन्य वायरस के लिए किए जाने वाले पीसीआर टेस्ट में कुछ हद तक ये भी बताया जाता है कि मरीज कितना अधिक संक्रामक है. मतलब कि उसके शरीर में वायरस की मात्रा कितनी अधिक है.

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असल में पीसीआर टेस्ट वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को एम्प्लीफाई (बड़ा) करता है. एम्पलीफाई करने के दौरान जितने कम साइकिल की जरूरत होती है, मरीज में वायरल लोड या वायरस की मात्रा उतनी अधिक होती है. वायरल लोड जितना अधिक होगा, मरीज उतना ही संक्रामक होगा.

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वायरस पता करने के लिए Amplification Cycles की संख्या को साइकल थ्रेसहोल्ड भी कहते हैं. डॉक्टर या मरीज को जो रिपोर्ट भेजी जाती है उसमें साइकल थ्रेसहोल्ड की जानकारी नहीं दी जाती है. जबकि इससे ये पता किया जा सकता है कि मरीज कितना कम संक्रामक है या कितना ज्यादा.

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अमेरिका के मसाचुसेट्स, न्यूयॉर्क और नेवाडा में अधिकारियों की ओर से जमा किए गए डेटा देखने पर पता चला कि पॉजिटिव पाए गए 90 फीसदी लोगों में मुश्किल से कोई वायरस मौजूद था. न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि अगर इस फॉर्मूले से देशभर के आंकड़ों को देखा जाए जो 45 हजार नए संक्रमित लोगों में से सिर्फ 4500 लोगों में ही वायरस की संख्या अधिक थी. यानी वास्तविक तौर से सिर्फ 4500 लोगों को ही आइसोलेट किए जाने की जरूरत है. 

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एक्सपर्ट का कहना है कि एक हल ये हो सकता है कि टेस्ट के साइकल थ्रेसहोल्ड की लिमिट में बदलाव किए जाएं. फिलहाल कोरोना टेस्ट में थ्रेसहोल्ड 40 या 37 रखा जाता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट जुलियट मॉरिसन कहती हैं कि 35 से ऊपर का कोई भी थ्रेसहोल्ड काफी सेंसिटिव होता है. आश्चर्य हो रहा है कि कोई भी व्यक्ति 40 थ्रेसहोल्ड को पॉजिटिव समझता है. 

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रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि समस्या का हल ये नहीं है कि टेस्ट कम किए जाएं या बिना लक्षण वाले लोगों की जांच न की जाए. बल्कि बड़े पैमाने पर रैपिड टेस्ट करने की जरूरत अभी भी बरकरार है. वहीं, अमेरिका की प्रमुख स्वास्थ्य संस्था CDC ने कहा है कि वह नीतिगत फैसलों के लिए साइकल थ्रेसहोल्ड के उपयोग की जांच कर रहा है.

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