प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर लॉकडाउन की मियाद 19 दिन बढ़ा दी है. इस तरह अब देश में कुल 40 दिन का लॉकडाउन किया जा रहा है. कॉन्फेडेरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशंस ऑफ एशिया एंड ओसिनिया (CMAAO) के प्रेसीडेंट और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल का दावा है कि 40 दिन के इस लॉकडाउन का संबंध न सिर्फ विज्ञान से है, बल्कि सभी धर्मों से इस 40 दिन का कनेक्शन है, आइए जानते हैं- कैसे?
डॉ केके अग्रवाल सबसे पहले इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण बताते हैं. उनका कहना है कि क्वारनटीन शब्द विनीशियन भाषा के क्वेरेंटेना से लिया गया है. क्वेरेंटेना का अर्थ होता है 40 दिन. इस अवधि का मेडिकल जगत में भी महत्व है जो इस प्रकार है.
वो बताते हैं कि ब्लैक डेथ प्लेग
महामारी के दौरान यात्रियों में संक्रमण को रोकने के लिहाज से सभी जहाजों को अलग अलग करने के लिए पहली बार ट्रेंटिनो यानी तीस-दिन का आइसोलेशन लागू किया गया था. फिर पहली बार 1377 में
रागुसा गणराज्य, डालमिया (क्रोएशिया में आधुनिक डबरोवनिक) में इसे लगाया गया.
बता दें कि क्वारनटीन मेडिकल आइसोलेशन से एकदम अलग है. क्वारनटीन की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिनमें संक्रमण की आशंका है. उन्हें हेल्दी लोगों से अलग रहने की सलाह दी जाती है. क्वारनटीन को कॉर्डन सेनिटेयर से जोड़कर भी देखा जाता है जिसके तहत किसी संक्रमित व्यक्ति को एक तय भौगोलिक एरिया से बाहर जाने में रोक लगा दी जाती है. ताकि लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके.
क्या है 40 दिन का धर्म से संबंध
डॉ
अग्रवाल का कहना है कि इन 40 दिनों का धार्मिक महत्व भी है. वो इसके लिए
सबसे पहले ईसाई धर्म का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि ऐसा वर्णन है कि ईसा मसीह ने 40 दिन गहन तप के लिए रेगिस्तान में बिताए. ठीक वैसे ही बुद्ध
ने जंगल में 40 दिन और रात उपवास किया. वो कहते हैं कि पैगंबर मोहम्मद साहब
ने भी 40 दिन तक एक गुफा में रहकर ऐसा उपवास किया था. ऐसा कई जगह बताया गया
है.
इसलिए ऐसी मान्यता है कि ईसाई लोग गुड फ्राइडे और ईस्टर से पहले 40 दिनों के लेंट सीजन के दौरान उपवास और प्रार्थना करें. वहीं स्वामी अयप्पा के भक्त भी 40 दिनों के उपवास का सख्ती से पालन करने के बाद केरल के सबरीमाला जाते हैं.
हिंदू धर्म में 40 दिनों के उपवास को 'मंडल काल' कहा जाता है. काल का अर्थ है एक काल और मंडल काल का अर्थ है 40 दिनों का काल. वहीं सिंधी हिंदू समुदाय भगवान का धन्यवाद समारोह मनाता है जिसे चालीहा साहिब कहा जाता है, यह 40 दिनों तक रहता है. यही नहीं जोरास्ट्रियन लोगों के पास प्रार्थना का जवाब देने के लिए 40 दिनों का फॉर्मूला होता है. इसे 40 दिन के अनुष्ठान के रूप में जाना जाता है.
वो बताते हैं कि गुरु नानक ने सिरसा के नहोरिया बाजार में एक सूफी संत के साथ 40 दिन बिताए. उन्होंने भीरा पाकिस्तान के पास टिल्ला जोगियन में एक चीला / चालीसा यानी 40 दिन भगवान की पूजा करने में बिताया. वहीं हनुमान चालीसा में 40 श्लोक हैं और हनुमानजी के भक्त इन 40 श्लोकों को 40 दिनों तक पढ़ते हैं. वहीं बहाई मान्यता वाले मुल्ला हुसैन ने कर्बला छोड़ने से पहले 40 दिन उपवास और प्रार्थना की थी.