कोरोना का कहर जारी है. दुनिया भर के देश इस पर रिसर्च कर रहे हैं और कई देश वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. भारत में भी इससे जुड़ी कई सारी रिसर्च चल रही हैं. वाराणसी स्थित BHU की रिसर्च से पता चला है कि किन लोगों में ज्यादा एंटीबॉडी पाई जाती है.
(रिपोर्ट- रोशन जायसवाल)
दरअसल, कोरोना से लड़ने के लिए सड़कों के कामगारों और मजदूरों के शरीर में एंटीबॉडी अन्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा पाई गई है. ऐसी बात बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में हुए एक रिसर्च से निकलकर सामने आई है. प्रो ज्ञानेश्वर चौबे और उनकी टीम ने हर्ड इम्यूनिटी पर किए गए शोध से चौंकाने वाले नतीजे निकाले हैं.
इस रिसर्च के मुताबिक, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े बंद कमरे में काम करने वालों 6-8 प्रतिशत लोगों में कोरोना के लिए एंटीबॉडी पाई गई, जबकि सड़क पर मेहनत मजदूरी करने वाले 24 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई. प्रो चौबे ने बताया कि वाराणसी में ही दो तबकों को चयनित करके एंटीबॉडी टेस्ट किया गया.
उन्होंने यह भी बताया कि इसके पीछे वजह यह हो सकती है कि ये लोग बहुत सारे अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आते हैं, जिसकी वजह से ना तो इनको कोरोना होता है और ना ही इनमें एंटीबॉडी बनती है. जबकि दूसरा तबका मजदूर वर्ग का था जो सड़कों पर ही ज्यादा वक्त बिताता है. ऐसे 24 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाया गया.