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कोरोना

11 साल से 31 देश तलाश रहे थे इलाज, बंद हुई रिसर्च और आ गया कोरोना!

11 साल से 31 देश तलाश रहे थे इलाज, बंद हुई रिसर्च और आ गया कोरोना!
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ये बात है 11 साल पहले की जब अमेरिका और चीन ने एक साथ दुनिया भर के खतरनाक वायरसों की खोज के लिए एक मिशन शुरू किया था. इस मिशन में अमेरिका और चीन समेत 31 देश थे. 31 देश मिलकर ऐसे वायरसों की खोज में लगे थे जो जानवरों से इंसानों में आ सकते थे या आ रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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अमेरिका-चीन समेत 31 देशों के वैज्ञानिक इन वायरसों से होने वाली बीमारियों का अध्ययन कर रहे थे. लेकिन इतने देशों और हजारों वैज्ञानिकों की टीम को कोरोना वायरस ने धोखा दे दिया. चुपके से आया और पूरी दुनिया को घुटने पर टिका दिया. (फोटोः रॉयटर्स)
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इस अंतरराष्ट्रीय मिशन का नाम था प्रेडिक्ट (PREDICT). इसकी फंडिंग कर रही थी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट. मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट का मकसद था पूरी दुनिया में ऐसा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बनाना जिससे इंसानियत को वायरसों के हमले से बचाया जा सके. (फोटोः रॉयटर्स)
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लेकिन, जब कोरोना वायरस कोविड-19 या सार्स-सीओवी2 (SARS-CoV2) ने घात लगाकर गोरिल्ला युद्ध की तरह इंसानों पर हमला किया तो पूरी दुनिया इसके लिए तैयार नहीं थी. नतीजा ये हुआ कि आज दुनिया में 12.52 लाख से ज्यादा लोग बीमार हैं. करीब 68 हजार लोग मारे जा चुके हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वायरस रिसर्च सेंटर के एसोसिएट डायरेक्टर माइकल बचमियर ने कहा कि मछली के जाल में जिस तरह छेद होता है, उसी तरह इस मिशन में कई खामियां थी. गैप्स थे. पैसे की कमी थी. मानव संसाधन भी कम था. इन सबकी वजह से जितनी शिद्दत से हम सभी को काम करना चाहिए था. हम नहीं कर पाए. (फोटोः रॉयटर्स)
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माइकल बचमियर ने बताया कि दिसंबर 2019 में चीन में कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ था. वहीं उससे तीन महीने पहले अमेरिकी सरकार ने प्रेडिक्ट मिशन की फंडिंग बंद कर दी थी. सरकार ने कहा कि इस मिशन को लेकर हमारे पास कुछ और प्लान है. (फोटोः रॉयटर्स)
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दुनिया में इस समय 6 लाख से ज्यादा वायरस के बारे वैज्ञानिकों को पता है. ये वायरस ऐसे हैं जो जानवरों से इंसानों में आ सकते हैं. खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकते हैं. पूरी मानव जाति को खत्म कर सकते हैं. ये वायरस किसी भी इंसान में प्रवेश कर सकते हैं. अगर इंसान जंगली जानवरों से नजदीकी खत्म कर नहीं करेगा तो. (फोटोः रॉयटर्स)
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सबसे ज्यादा खतरनाक वायरस चमगादड़, चूहे और बंदरों में पाए जाते हैं. इनपर हजारों रिसर्च भी हुई है. इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक हैं चमगादड़ और चूहे की प्रजाति के जीव-जंतु. (फोटोः रॉयटर्स)
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वैज्ञानिकों को पहले से पता था कि सार्स कोरोना वायरस एक खतरनाक रूप ले सकता है. 2002 में चीन में सार्स आया. इसके बाद इसने दुनिया के 30 देशों को अपनी चपेट में लिया. 2007 में हॉन्गकॉन्ग के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेपर लिखा. जिसमें बताया गया था कि कोरोना वायरस एक टाइम बम है. कभी भी फट सकता है. लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. (फोटोः रॉयटर्स)
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प्रेडिक्ट मिशन का हिस्सा रही गैर-सरकारी संस्थान ईको हेल्थ एलायंस के केविन ओलिवल ने  बताया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने चमगादड़ों में कोरोना वायरस की विभिन्न प्रजातियां पाईं थीं. इनमें से कोरोना वायरस की कुछ प्रकार पर वुहान  इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी प्रयोग चल रहे थे. अब ये नहीं पता कि ये वायरस वहीं से लीक हुआ या किसी और तरीके से बाहर निकला. (फोटोः रॉयटर्स)
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केविन ओलिवल ने बताया कि ये तो पक्का है कि कोरोना वायरस कोविड-19 जानवर के जरिए ही इंसानों में आया है. वैसे भी दक्षिणी चीन में वुहान समेत कई शहर हैं जहां जंगली जीव-जंतुओं को लोग खाते हैं. ऐसे में इन खतरनाक वायरसों के इंसानों में आने की आशंका बनी रहती है. (फोटोः रॉयटर्स)
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अमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) के महामारी विशेषज्ञ रोहित चिताले ने बताया कि कोविड-19 को रोकने के लिए दुनिया ने कोई प्रयास नहीं किया. लोगों का ध्यान बीमारी को ठीक करने में रहता है. उसे पहले ही रोकने में नहीं. (फोटोः रॉयटर्स)
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रोहित चिताले ने बताया कि प्रेडिक्ट को पिछले दस साल में सिर्फ 200 मिलियन डॉलर मिले हैं. जबकि अब जब कोरोना वायरस फैल गया है तो अमेरिका की सरकार ने 2 ट्रिलियन डॉलर दिए हैं आपातकालीन राहत कोष के लिए. इसी से समझ जाइए कि दुनिया की सरकारें पहले से बीमारी को रोकने के लिए कितनी तैयार रहती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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केविन ओलिवल ने बताया कि अब अमेरिकी सरकार इस बात की तैयारी कर रही है कि नया प्रोग्राम शुरू किया जाए, जिसका नाम होगा स्टॉप स्पिलओवर. यानी वायरस कहीं से भी लीक न हो. लेकिन इसके बार में ये नहीं बताया कि यह प्रोग्राम कितना बड़ा होगा. (फोटोः रॉयटर्स)
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जॉन हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक थॉमस इंगलेस्बी ने बताया कि भविष्य में हमारा ध्यान ऐसे वायरसों के सर्विलांस पर होना चाहिए. प्रेडिक्ट जैसे मिशन को सही तरीके से चलाने की जरूरत है. सभी देशों के एकसाथ आकर ऐसी बीमारियों और वायरसों से लड़ने की जरूरत है. उनके हमले से पहले उन्हें रोकने की जरूरत है. (फोटोः रॉयटर्स)
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