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कोरोना

कोरोना से शरीर में बनती हैं 'ऑटोएंटीबॉडीज', वायरस की जगह शरीर पर करती हैं हमला

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कोरोना से पीड़ित कुछ लोगों में ऐसी 'ऑटोएंटीबॉडीज' तैयार हो रही हैं जो वायरस पर हमला करने की जगह शरीर पर ही अटैक कर देती हैं. एक नए रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है. एक्सपर्ट का मानना है कि लॉन्ग कोविड के पीछे ऑटोएंटीबॉडीज भी एक वजह हो सकती हैं. 

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लॉन्ग कोविड ऐसी स्थिति को कहते हैं जब कोरोना से निगेटिव घोषित किए जाने के कई हफ्ते बाद भी लोगों के शरीर में विभिन्न तकलीफें होती हैं. नए रिसर्च में पता चला है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद जान बचाने वाले कुछ लोगों में हानिकारक इम्यून सेल्स डेवलप होते हैं. 

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जॉर्जिया की इमोरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को स्टडी में पता चला है कि ये ऑटोएंटीबॉडीज वैसी ही हैं, जैसा कुछ हेपेटाइटिस के मामलों में ऑटोइम्यून रेस्पॉन्स होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है कि इसकी वजह से लॉन्ग कोविड बीमारी का इलाज ढूंढना मुश्किल हो जाए.

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डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, लॉन्ग कोविड से जूझ रहे लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन ऐसे मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. कई कोरोना मरीज निगेटिव घोषित होने के कई महीने बाद तक खुद को काफी कमजोर पाते हैं और लगातार थका हुआ महसूस करते हैं. 

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ब्रिटेन में की गई एक स्टडी में पता चला था कि हॉस्पिटल में भर्ती कराए गए 110 कोरोना मरीजों में से 81 (74 फीसदी) लोगों को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के तीन महीने बाद भी कई तरह की तकलीफ हो रही थी. लॉन्ग कोविड के शिकार मरीजों में सभी उम्र के लोग शामिल हैं.  
 

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