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कोरोना

कोरोना से बचाव को दुनिया भर में लागू है ये नियम, वैज्ञानिकों ने ही उठाए गंभीर सवाल

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कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम बनाए गए थे और लोगों से कहा गया था कि वे आपस में 2 मीटर की दूरी बनाए रखें. लेकिन स्टडी के बाद अब रिसर्चर्स ने ही इस नियम पर सवाल खड़े कर दिए हैं और इसे पुराने समय के विज्ञान (Outdated Science) पर आधारित नियम कहा है.

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डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्चर्स का कहना है कि सभी परिस्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का एक ही नियम बनाने की जगह, अलग-अलग वातावरण के लिए भिन्न नियम होने चाहिए. रिसर्चर्स ने मेडिकल जर्नल The BMJ में इसके बारे में लिखा है. 

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रिसर्चर्स का कहना है कि अलग-अलग वातावरण में सोशल डिस्टेंसिंग के अलग नियम होने चाहिए ताकि हाई रिस्क माहौल में रहने वाले लोग अधिक सुरक्षित महसूस कर सकें और अन्य जगहों पर लोगों को अधिक आजादी मिल सके. अगर ऐसा किया जाता है तभी हम सामान्य माहौल की ओर आगे बढ़ सकते हैं. 

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वैज्ञानिकों का कहना है कि दो मीटर दूरी के सुरक्षित होने की बात पहली बार 1897 में प्रकाशित की गई थी. यानी आज से करीब 123 साल पहले. रिसर्चर्स ने लिखा है कि इनडोर, आउटडोर, वेंटिलेंशन या वेंटिलेशन नहीं होने, मास्क पहने होने या मास्क नहीं पहने होने और संबंधित एक्टिविटी के आधार पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अलग-अलग दूरी होनी चाहिए.

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रिसर्चर्स ने यह भी कहा है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए एक या दो मीटर के नियम विज्ञान की कुछ मान्यताओं पर आधारित थे जिनके सही होने की अपनी सीमा है. जबकि नई स्टडीज में ये सामने आया है कि छींक आने या कफ से ड्रॉपलेट 8 मीटर तक फैल सकते हैं.
 

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