कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में जारी है. भारत में भी इस वायरस ने अपना कोहराम मचाया हुआ है. इसके मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. डॉक्टर्स की मानें तो यह वायरस इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर जल्दी लोगों को शिकार बनाता है और यह पीड़ित व्यक्ति द्वारा छोड़े गए ड्रॉपलेट्स के जरिए दूसरों तक फैलता है.
2/15
2019 में लोगों को ये बीमारी न्यूमोनिया जैसे लक्षणों से शुरू हुई थी और इसकी वजह भी नहीं पता चल पा रही थी. कुछ दिनों बाद इस तरह के न्यूमोनिया का कारण नया वायरस Sars-CoV-2 पाया गया. इस वायरस के कारण होने वाली महामारी Covid-19 के नाम से फैल रही है जिसे कोरोना वायरस भी कहा जाता है.
3/15
विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से इस पहले ही महामारी घोषित किया जा चुका है. WHO के अनुसार छह में से कोई एक व्यक्ति कोरोना वायरस की वजह से गंभीर रूप से बीमार पड़ता है और उसे सांस लेने में तकलीफ होती है.
Advertisement
4/15
लोगों को कैसे प्रभावित कर रहा है ये वायरस?
आखिरकार न्यूमोनिया कोरोना वायरस जैसे गंभीर बीमारी में कैसे बदल जाता है और ये हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर को कैसे प्रभावित करता है? रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के प्रोफेसर जॉन विल्सन ने Guardian Australia के साथ दिलचस्प जानकारी साझा की है.
5/15
जॉन विल्सन ने बताया कि Covid-19 के सभी गंभीर मामलों में न्यूमोनिया के लक्षण पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि Covid-19 के मरीजों को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है.
6/15
सबसे कम गंभीर वे लोग होते हैं जो जिनमें वायरस है लेकिन इसके कोई लक्षण नहीं है. दूसरे नंबर पर वो लोग हैं जिन्हें इन्फेक्शन के बाद सांस लेने में दिक्कत, बुखार, कफ, सिर दर्द या कंजक्टिवाइटिस जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हों.
7/15
विल्सन के अनुसार, 'मामूली लक्षण वाले लोग भी इस वायरस को फैला सकते हैं और उन्हें इस बारे में पता भी नहीं चलता है. तीसरे नंबर पर वो लोग आते हैं जिनमें फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और ये कुछ भी कर पाने में असहाय होते हैं. इनमें Covid-19 पॉजिटिव पाया जाता है.
8/15
आखिरी में वो लोग आते हैं जो न्यूमोनिया की वजह से गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं. विल्सन ने बताया कि वुहान में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों में लगभग छह फीसदी लोग ऐसे थे जो गंभीर रूप से बीमार थे.
9/15
न्यूमोनिया कैसे होता है?
विल्सन ने बताया कि कोरोना वायरस के मरीजों को जब कफ और बुखार होता है, तो इसके इन्फेक्शन से श्वास नली को नुकसान पहुंचता है और उसमें सूजन आ जाती है. इसकी वजह से वायुमार्ग की नसों में भी दिक्कत आ जाती है.
Advertisement
10/15
स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब यह वायुमार्ग से होता हुआ गैस एक्सचेंज यूनिट में चला जाता है, ये यूनिट ऑक्सीजन के आवागमन का काम करती है. इस यूनिट में संक्रमण की वजह से फेफड़ों की थैलियों में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से न्यूमोनिया हो जाता है.
11/15
विल्सन के अनुसार, 'सूजन की वजह से फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है. शरीर की ऑक्सीजन लेने और कार्बनडाइ ऑक्साइड छोड़ने की क्षमता भी कम होने लगती है और न्यूमोनिया की ये गंभीर स्थिति मौत का कारण बन जाती है.'
12/15
क्या कोरोना वायरस का न्यूमोनिया अलग है?
ऑस्ट्रेलिया के सीनियर फिजिशियन क्रिस्टिन जेनकिंस का कहना है कि Covid-19 का न्यूमोनिया कई मामलों में अलग है. 'अस्पताल में भर्ती होने वाले आम न्यूमोनिया के केस में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जिनका इलाज एंटीबायोटिक से किया जाता है.'
13/15
वहीं विल्सन का कहना है कि कोरोना वायरस में होने वाला न्यूमोनिया ज्यादा गंभीर होता है और ये शरीर के छोटे अंगों की बजाय पूरे फेफड़े पर असर डालता है.
14/15
जेनकिंस का कहना है कि आमतौर पर, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को न्यूमोनिया होने का खतरा होता है. इसके अलावा डायबिटीज, कैंसर, फेफड़ों, किडनी और दिल की बीमारी से जूझ रहे लोग और नवजात शिशु भी आसानी से इसके चपेट में आ जाते हैं.
15/15
जेनकिंस ने कहा, 'उम्रदराज लोगों के लिए निमोनिया बहुत ही खतरनाक है. आप कितने भी स्वस्थ और एक्टिव क्यों न हो, उम्र बढ़ने के साथ-साथ न्यूमोनिया का खतरा बढ़ता ही जाता है.