ईसाई धर्म के अनुसार मृत होने वाले व्यक्ति के शव को दफनाया जाता है मगर एमपी के छतरपुर में ईसाई समाज के एक युवक ने एक अच्छी मिसाल पेश की. युवक ने कोरोना से मृत अपने माता-पिता के शव को दफनाने की जगह हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया. उन्होंने स्वयं अपने माता-पिता को मुखाग्नि दी.
बेटे के मुताबिक, जलाने से कोविड-19 का वायरस भी जल जाएगा जिस कारण से कोई और संक्रमित नहीं हो सकेगा. इसी वजह से उनका दाह संस्कार कराया. बेटे के निवेदन पर यह हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार शासन के सहयोग से कोविड गाइडलाइन के अनुसार किया गया.
जानकारी के अनुसार, महोबा रोड स्थित मिशन अस्पताल में कोरोना संक्रमण के चलते यूपी के मिर्जापुर निवासी वृद्ध दंपती की इलाज के दौरान मौत हो गई. दंपती की मौत के बाद मृतकों के बेटे ने क्रिश्चियन समाज से कब्रिस्तान में दफनाने को कहा तो समाज से इंकार कर दिया गया. सुबह स्थानीय प्रशासन ने मृत दंपति का सागर रोड स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कराया.
दरअसल, मिर्जापुर शहर में 65 वर्षीय क्रिश्चियन वृद्ध और उसकी 61 वर्षीय पत्नी, महोबा में रह रहे थे. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर दंपति के 35 वर्षीय बेटे ने दोनों को महोबा से रेफर कराया और देर रात छतरपुर में इलाज के लिए निकल पड़ा. शरीर में संक्रमण अधिक फैल जाने के कारण 61 वर्षीय महिला की छतरपुर पहुंचने से पहले ही मौत हो गई. मां की तबीयत खराब समझकर युवक ने दोनों को क्रिश्चियन अस्पताल में भर्ती कराया. यहां के डॉक्टर ने महिला का चेकअप करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. कुछ समय इलाज चलने के बाद देर रात 65 वर्षीय वृद्ध की हालत बिगड़ी और उसकी भी मौत हो गई.
क्रिश्चियन समाज के वृद्ध दंपति की मौत के बाद उसके 35 वर्षीय बेटे से अपने माता-पिता के शवों को शहर में स्थित कब्रिस्तान में दफनाने की बात कही पर छतरपुर क्रिश्चियन समाज द्वारा संचालित कब्रिस्तान प्रबंधन ने इसकी अनुमति नहीं दी और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार करने की बात कही.
इसके बाद नगर पालिका प्रबंधन ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए सागर रोड स्थित भैंसासुर मुक्तिधाम में हिंदू संस्कृति के तहत उनका अंतिम संस्कार कराया. अंतिम संस्कार के दौरान उनका बेटा मौजूद रहा जिसने एक साथ अपने माता-पिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया.
छतरपुर में ईसाई समाज के अध्यक्ष जयराज ब्राउन ने कहा कि छतरपुर मसीही समाज की ओर से अंतिम संस्कार करने से किसी को नहीं रोका गया. जिन कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग दंपति का देहांत हुआ है, उनके बेटे ने ही सुरक्षा की दृष्ट्रि से हिंदू रीति के अनुसार अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया था. उनको पार्थिव शरीर ताबूत में रखकर दफनाने के बजाय अग्नि में जला देने कोरोना सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादा ठीक लगा.