कोरोना वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. इंग्लैंड में मिले नए कोरोना वैरिएंट ने एक बार फिर अपना रूप बदल दिया है. यानी उसमें म्यूटेशन हो गया है. इस बात की पुष्टि वैज्ञानिकों ने भी की है. साइंटिस्ट्स के अनुसार कोरोना के यूके वैरिएंट में नए जेनेटिक बदलाव देखे गए हैं. यह चिंताजनक बात है. (फोटोःगेटी)
बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार साइंटिस्ट्स ने यूके वैरिएंट के कुछ सैंपल्स की जांच की थी. इसमें नया म्यूटेशन देखने को मिला है. इस म्यूटेशन का नाम साइंटिस्ट्स ने E484K दिया है. यही म्यूटेशन हाल ही में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में भी देखने को मिला था. इसलिए साइंटिस्टस चिंता में हैं कि कहीं अब ये नए प्रकार का संक्रमण न फैलाए. (फोटोःगेटी)
UK variant has mutated again, scientists say https://t.co/AHdvDiw98B
— BBC Science News (@BBCScienceNews) February 2, 2021
इंग्लैंड ने नए कोरोना स्ट्रेन के आने के बाद लॉकडाउन और कोरोना संबंधी कई नियमों में सख्ती बढ़ा दी थी. इस नए म्यूटेशन के आने के बाद अब दुनिया भर के साइंटिस्टस दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट की जांच करने को कह रहे हैं. क्योंकि यही म्यूटेशन अब इंग्लैंड में भी फैल रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
हालांकि, अभी तक एक्सपर्टस के हाथ E484K म्यूटेशन के कुछ ही मामले सामने आए हैं लेकिन यह नहीं पता चल पाया कि वर्तमान समय में मौजूद वैक्सीन इसपर कितना असर करेंगी. साथ ही इस म्यूटेशन के बाद संक्रमण को लेकर किस तरह के लक्षण सामने आएंगे. या संक्रमित मरीज को यह म्यूटेशन कितना बीमार करेगा. फिलहाल इसकी जांच चल रही है. (फोटोः रॉयटर्स)
येल यूनिवर्सिटी में इम्यूनोबायोलजी के प्रोफेसर अकीको इवास्की ने बताया कि पुराने कोरोना वायरस की एंटीबॉडी कोरोना वायरस के नए यूके स्ट्रेन B.1.1.7 को बहुत हद तक रोकने में सक्षम है. यानी सिर्फ 0.5 फीसदी लोग ही ऐसे हो सकते हैं जिनके शरीर में मौजूद पुराने कोरोना वायरस एंटीबॉडी नए कोरोना स्ट्रेन से लड़ न पाएं. लेकिन अब ये वायरस भी अपना रूप बदलकर सामने आया है. (फोटोः रॉयटर्स)
अकीको इवास्की ने बताया कि नए कोरोना वायरस के स्ट्रेन में मौजूद स्पाइक प्रोटीन यानी वो कंटीली बाहरी परत जिससे शरीर की कोशिकाओं से वायरस चिपकता है, उसे एंटीबॉडी खत्म कर दे रही हैं. शरीर में मौजूद कुछ अन्य एंटीबॉडी बाहरी परत खत्म होने के बाद कोरोना के नए स्ट्रेन के बचे हुए हिस्से को बेहद कमजोर कर देती हैं. इससे ये फायदा है कि अगर आपको पहले कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है तो आपके यूके कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं है. (फोटोः रॉयटर्स)
स्पाइक प्रोटीन यानी कोरोना की बाहरी परत 1273 मॉलीक्यूल्स की एक परत होती है, जिसे अमीनो एसिड कहते हैं. ये एक चेन की तरह आपस में बंधे होते हैं. वायरस के शरीर के ऊपर मौजूद प्रोटीन के कांटे इंसानी शरीर की कोशिकाओं में घुसने के लिए चाबी का काम करते हैं. इसीलिए दुनियाभर में अब तक जितनी भी वैक्सीन बनी हैं, ये सब इसी चाबी को खत्म और कमजोर करने के प्रयास में लगी हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इवास्की और उनकी टीम को सिर्फ 0.3 फीसदी मरीज ऐसे मिले जिनकी एंटीबॉडी यूके वैरिएंट पर पूरी तरह से काम नहीं कर सकीं. हालांकि अकीको इवास्की का कहना है कि ये बेहद छोटी मात्रा है, ऐसे मरीजों के शरीर में भविष्य में मजबूत एंटीबॉडी बनने की पूरी संभावना है. इसलिए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से घबराने की जरूरत नहीं है. (फोटोः रॉयटर्स)