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कोरोना

जर्मनी-फ्रांस से पहले ब्रिटेन को कैसे मिल गई कोरोना वैक्सीन?

Covid vaccine
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फाइजर की कोरोना वैक्सीन की सप्लाई के मुद्दे पर यूरोप के कई देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस और जर्मनी पर आरोप लग रहे हैं कि वे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके वैक्सीन हासिल करने की रेस में छोटे देशों से आगे निकलना चाहते हैं. 

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बता दें कि पहले ब्रिटेन भी यूरोपियन यूनियन का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन इसी साल जनवरी में ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया. इसकी वजह से ब्रिटेन को कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने में बहुत कम वक्त लगा. 

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वहीं, यूरोपियन यूनियन के 27 देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि लोगों के वर्गीकरण के आधार पर वैक्सीनेशन शुरू किया जाएगा. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों से पता चला है कि यूरोपियन यूनियन के किन लोगों को पहले वैक्सीन दी जाएगी, इस बात को लेकर फ्रांस-जर्मनी और अन्य छोटे देशों के बीच बातचीत अटक गई है. 

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यूरोपियन यूनियन के विभिन्न देशों के बीच भी अमीरी और गरीबी की खाई है. पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के पास ऐसे संसाधन नहीं हैं कि वे वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री पर स्टोर कर सकें. इसलिए यूरोपियन यूनियन के सभी देशों में एक साथ वैक्सीनेशन शुरू करने पर संकट आ खड़ा हुआ है. 
 

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हंगरी में तो इस बात की भी मांग उठ खड़ी हुई है कि विवादास्पद रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी को ही मंजूरी दे दी जाए. वहीं, जानकारों का कहना है कि यूरोपियन यूनियन में वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने का सिस्टम धीमा है और विभिन्न देशों के बीच बातचीत को अंजाम तक पहुंचाने में भी मुश्किल आ रही है. 

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