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कोरोना

इस जीव को इंसानों से पहले लगाई गई थी कोरोना वैक्सीन, जानिए वजह...

Ferrets get experimental corona vaccine
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कोरोना की वैक्सीन लगने के लिए दुनिया भर में इंसान इंतजार कर रहे हैं लेकिन एक जीव ऐसा है जिसे कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है. इस जीव की प्रजाति खतरे में है इसलिए इसे कोरोना की वैक्सीन पहले लगाई गई है. यह जीव आमतौर पर अमेरिका के कोलोराडो में बहुतायत में पाया जाता है. आइए जानते हैं इस प्यारे जीव के बारे में जिसे इंसानों से पहले कोरोना की वैक्सीन लगाई गई... (फोटोःगेटी)

Ferrets get experimental corona vaccine
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इस जीव का नाम है फेरेट्स (Ferrets). इसकी प्रजाति का नाम है मुस्टेला निगराइप्स (Mustela Nigripes). ये नेवले की एक प्रजाति है जो अमेरिका में ज्यादा पाई जाती है. 210 काले पैर वाले फेरेट्स (Black Footed Ferrets) को पिछली गर्मी में ही प्रयोगात्मक कोरोना वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं. ये वैक्सीन फोर्ट कोलिंस के पास स्थित नेशनल ब्लैक फुटेड कंजरवेशन सेंटर में दिए गए थे. (फोटोःगेटी)

Ferrets get experimental corona vaccine
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कंजरवेशन सेंटर के मुताबिक फेरेट्स (Ferrets) में कोरोना का केस सामने नहीं आया लेकिन ये ऐसे वायरसों से संक्रमित आसानी से हो सकते हैं. इसलिए इन्हें पहले ही कोरोना की वैक्सीन दे दी गई थी. जीव विज्ञानियों के अनुसार इंसानों के साथ-साथ ऐसे जीवों को भी ये वैक्सीन लगाए जाने चाहिए जो विलुप्तप्राय या खतरे में हैं. (फोटोःगेटी)

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फेरेट्स (Ferrets) की प्रजाति चार दशक पहले खत्म होने के कगार पर थी, तब व्योमिंग में इन्हें वापस से बचाया गया. इनकी ब्रीडिंग कराई गई ताकि ये जीव धरती पर जीवित रह सकें. तबसे इनकी प्रजाति खतरे में है, लेकिन विलुप्त नहीं हुई है. (फोटोःगेटी)

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फेरेट्स (Ferrets) और मिन्क्स दोनों एक ही प्रजाति के जीव हैं. दोनों करीबी रिश्तेदार हैं. मिन्क्स में कोरोना के मामले मिले थे, जिसके बाद कई अमेरिकी राज्यों और यूरोपीय देशों में उन्हें मारा गया था. साइंटिस्ट नहीं चाहते कि कोरोना का वायरस फेरेट्स (Ferrets) को संक्रमित करने के बाद म्यूटेशन कर ले. क्योंकि उन्हें नहीं पता इनके शरीर में म्यूटेशन करने के बाद वायरस और कितना ज्यादा खतरनाक हो जाएगा. (फोटोःगेटी)

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सिएटल स्थित इंफेक्शियस डिजीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैक्सीनोलॉजिस्ट कोरी कैस्पर कहते हैं कि ऐसे वायरस से हमेशा धरती के उन जीवों को बचाना चाहिए जो इनकी वजह से खत्म हो सकते हैं. या फिर इनकी मदद से वायरस म्यूटेट कर सकता है. जंगलों में रहने वाले इन जीवों को पकड़ कर वैक्सीनेशन करना भी एक बड़ा कठिन काम है. (फोटोःगेटी)

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कोरी कैस्पर कहते हैं कि अगर अभी इंसानों को आप वैक्सीन देकर सुरक्षित कर भी देते हैं तो हमें ये नहीं पता कि भविष्य में कोरोना वायरस किस जीव म्यूटेशन करके ज्यादा खतरनाक हो जाए. वो फिर से इंसानों पर हमला करेगा तो पुरानी वैक्सीन कितना बचा पाएगी, इसे लेकर दुविधा है. (फोटोःगेटी)

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फेरेट्स (Ferrets) अमेरिका के उत्तरी इलाके में स्थित ग्रेट प्लेन्स के घास वाले इलाकों में पाए जाते हैं. पहले माना जा रहा था कि ये विलुप्त हो गए हैं. लेकिन 1981 में कुछ फेरेट्स (Ferrets) व्योमिंग में दिखाई दिए, इसके बाद इन्हें बचाने की मुहिम शुरू की गई. अभी की गणना के अनुसार अमेरिका में इस समय 370 फेरेट्स (Ferrets) मौजूद हैं. (फोटोःगेटी)

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नेशनल ब्लैक फुटेड फेरेट्स कंजरवेशन सेंटर के मुताबिक इन्हें mRNA आधारित कोरोना वैक्सीन दी गई थी. ताकि ये कोरोना वायरस के प्रकोप से बचे रहें. सेंटर ने फिलहाल 60 फेरेट्स (Ferrets) को वैक्सीन नहीं लगाई है, ताकि अगर वैक्सीन के किसी साइड इफेक्ट से कुछ अनहोनी होता है तो ये फेरेट्स सुरक्षित रहें और इनकी प्रजाति आगे बढ़ाई जा सके. (फोटोःगेटी)

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हालांकि, जिन फेरेट्स (Ferrets) को वैक्सीन लगाई गई थी, वो अब तक स्वस्थ दिखाई दे रहे हैं. उनके शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज भी मौजूद हैं. फेरेट्स (Ferrets) में कोरोना वैक्सीन की एफिकेसी ट्रायल बाकी है. ये ट्रायल वैसा ही होता है जैसा कि ह्यूमन ट्रायल का तीसरा फेज होता है. (फोटोःगेटी)

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