ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनका की कोरोना वैक्सीन को लेकर जर्मनी में विवाद हो गया है. जर्मनी के कुछ प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों के बीच सिर्फ 8 फीसदी सफल रहती है. एस्ट्राजेनका कंपनी और जर्मनी की सरकार ने रिपोर्ट्स को गलत बताया है. लेकिन बाद में जर्मनी के बिजनेस अखबार Handelsblatt ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह सही है.
Handelsblatt अखबार ने राजनीतिक सूत्रों के हवाले से स्टोरी की है और कहा है कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना से बचाने में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सिर्फ 8 फीसदी सफल रहती है. अखबार ने जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख अधिकारी के हवाले से कहा है- 'हमारे पास जो डेटा है, उसके मुताबिक, 60 से अधिक उम्र के लोगों में वैक्सीन 10 फीसदी से भी कम सफल रहती है.' जर्मनी के बड़े अखबार Bild ने भी ऐसी ही रिपोर्ट की है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन में प्रोफेसर स्टीफन इवान्स ने द टाइम्स से कहा कि यह संभव है कि 8 फीसदी का 'भ्रामक' आंकड़ा अनुमानित रेंज की निम्नतम संख्या हो. वहीं, रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकार ग्रेगर वासचिंस्की ने सोमवार रात को दोहराया कि रिपोर्ट सही है और कई सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है.
जर्मन अखबार Bild ने कहा है कि जर्मनी की सरकार को डर है कि यूरोपियन यूनियन के रेग्यूलेटर्स ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को बुजुर्गों के लिए मंजूर नहीं करेंगे. हालांकि, जर्मनी की सरकार ने आधिकारिक तौर से इन मीडिया रिपोर्ट्स को गलत बताया है. वहीं, जर्मनी की सरकारी मीडिया ZDF ने भी कहा है कि एस्ट्राजेनका वैक्सीन को लेकर मीडिया में चल रही रिपोर्ट गलत है, लेकिन यह भी बताया है कि वैक्सीन के प्रभावी रहने को लेकर सवाल बने हुए हैं.