scorecardresearch
 
Advertisement
कोरोना

5-6 साल में बनने वाली वैक्सीन कैसे बनी 12 महीने में? जानिए Covishield की कहानी

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 1/10

कई साल लग जाते हैं किसी भी बीमारी की वैक्सीन बनाने में. वैज्ञानिकों की हालत खराब हो जाती है लेकिन कोरोना वायरस की वैक्सीन सबसे जल्दी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने बनाया. कैसे? ये सवाल तो उठता है है मन में. क्योंकि आमतौर पर किसी वैक्सीन को विकसित होने में कम से कम 5-6 साल लगते हैं. कोरोना वायरस की वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सिर्फ 12 महीने में विकसित कर दिया. आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बनने की कहानी...(फोटोःऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 2/10

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के साइंटिस्ट्स ने दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) के साथ मिलकर ये वैक्सीन बनाई है. इस वैक्सीन के उत्पादन का जिम्मा भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India - SII) को मिला है. ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को अब तक भारत, ब्रिटेन, मोरक्को, अर्जेंटीना और अल-सल्वाडोर में इमरजेंसी उपयोग की अनुमति मिल चुकी है. (फोटोःऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 3/10

ऑक्सफोर्ड के साइंटिस्ट्स ने सबसे पहले ये पता लगाया कि आखिरकार कोरोना वायरस को कमजोर करने के लिए क्या जरूरी है. पता चला कि वायरस की ऊपरी कंटीली सतह जिसे स्पाइक प्रोटीन या क्राउन भी बोलते हैं, उसे नष्ट करना जरूरी है. मतलब ये है कि कोरोना वायरस का असली वायरस शरीर में बाद में पहुंचता है, पहले उसका यह प्रोटीन हमला करता है. तो पहले इसे खत्म करना जरूरी है. (फोटोःगेटी)

Advertisement
How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 4/10

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पास ChAdOx1 वायरल वेक्टर टेक्नोलॉजी पिछले दस सालों से हैं. इसी प्लेटफॉर्म पर वो कई तरीके की बीमारियों की वैक्सीन बना रहे हैं और बनाने का प्रयास कर रहे थे. इसी प्लेटफॉर्म के जरिए वैज्ञानिकों ने एक नुकसान न पहुंचाने वाले एडिनोवायरस (Adenovirus) को मॉडिफाई किया. इस वायरस की वजह से चिम्पैंजी में सामान्य जुकाम होता है. (फोटोःगेटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 5/10

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने ChAdOx1 को चुना क्योंकि यह मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करता है. यह वायरस को प्रजनन नहीं करने देता यानी और वायरस बनाने नहीं देता. इसी प्लेटफॉर्म से मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome - MERS) का इलाज किया गया था. ChAdOx1 को डिजीस एक्स (Disease X) के लिए हमेशा तैयार रखा जाता है. WHO की परिभाषा के अनुसार भविष्य में आने वाली महामारियों को डिजीस एक्स (Disease X) कहा जाता है. (फोटोःगेटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 6/10

जैसे ही चीन के साइंटिस्ट्स ने कोरोना वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस खोजा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने तुरंत उसे ChAdOx1 प्लेटफॉर्म पर डालकर अपनी कोरोना वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसमें ChAdOx1 वेक्टर औऱ SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को मिला दिया. कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था इसलिए ऑक्सफोर्ड के साइंटिस्ट्स को तुरंत ही जानवरों पर इसका ट्रायल करने की अनुमति मिल गई. जब ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों को सकारात्मक डेटा मिले तो उन्होंने इंसानी ट्रायल की बात रखी. (फोटोःगेटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 7/10

ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया. ये तीन चरणों यानी फेज में होना था. पहले फेज में वैक्सीन की सेफ्टी, टॉलरेंस और इम्यून रिस्पॉन्स की जांच होती. दूसरे फेज में अलग-अलग लोगों में इसका असर देखते हुए ये पता करना कि वैक्सीन के कितने डोज और कितने समय के गैप में इसकी जरूरत होगी. तीसरे फेज में वैक्सीन की क्षमता यानी एफिकेसी और साइड इफेक्ट्स की जांच करनी थी. (फोटोःगेटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 8/10

आमतौर पर ट्रायल के तीनों फेज अलग-अलग होते हैं. इसमें बहुत सी कागजी कार्यवाही और फंडिंग का मसला फंसता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने फेज-1 और फेज-2 को आपस में जोड़ दिया. इसके बाद फेज-2 और फेज-3 को जोड़ दिया. इससे वैक्सीन का डेवलपमेंट प्रोसेस तेज हो गया. ट्रायल्स का प्रोसेस सही से हो रहा है कि इसके लिए ऑक्सफोर्ड ने अलग से डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड बनाया था. (फोटोःगेटी)

How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 9/10

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल अब भी चल रहा है लेकिन मॉनिटरिंग बोर्ड लगातार इसकी सेफ्टी, एफिकेसी पर नजर रख रही है. वैक्सीन को विकसित करने के दौरान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका और उत्पादन कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के काम पर पूरी निगरानी रखी गई. इसके अलावा वैक्सीन की रिपोर्ट्स को समय-समय पर WHO समेत दुनिया के श्रेष्ठतम रिसर्च सेंटर और अथॉरिटीज को जांच करने के लिए भेजा गया. (फोटोःगेटी)

Advertisement
How Oxford Corona Vaccine Covishield Developed
  • 10/10

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का दावा है कि लाइंसेंस हासिल करने से पहले उनकी कोरोना वैक्सीन हर वॉलंटियर्स पर पांच-पांच बार टेस्ट की गई है. टेस्ट के दौरान चार देशों में 24 हजार से लोगों ने वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा लिया. अभी आखिरी फेज के अंतिम ट्रायल्स चल रहे हैं. इसमें भी चार देशों के 30 हजार लोग भाग ले रहे हैं. अलग-अलग तरह की आबादी पर वैक्सीन का ट्रायल उसके सही और सटीक नतीजे सामने लेकर आता है. (फोटोःऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी)

Advertisement
Advertisement