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कोरोना

ISRO के जिस सेंटर से छूटते हैं रॉकेट, अब वहां बन रहे सैनिटाइजर

ISRO के जिस सेंटर से छूटते हैं रॉकेट, अब वहां बन रहे सैनिटाइजर
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कोरोना वायरस की वजह से आजकल रॉकेट या सैटेलाइट नहीं छोड़ रहा है. इसका मतलब ये नहीं है कि इसरो बंद है. वहां आज भी अगले मिशन की तैयारियां चल रही हैं. हमारे वैज्ञानिक घरों से और कुछ अपने-अपने सेंटरों से काम कर रहे हैं. लेकिन इस बीच, इसरो के दो सेंटर कोरोना को हराने के लिए सैनिटाइजर और वेंटिलेटर्स बना रहे हैं. (फोटोः इसरो)
ISRO के जिस सेंटर से छूटते हैं रॉकेट, अब वहां बन रहे सैनिटाइजर
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विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर यानी VSSC के निदेशक और देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. सोमनाथ ने कुछ दिन पहले ही स्थानीय मीडिया को बताया था कि कि हम यहां पर सैनिटाइजर्स और वेंटिलेटर्स बना रहे हैं. साथ ही उन्हें लोगों में बांट रहे हैं. (फोटोः इसरो)
ISRO के जिस सेंटर से छूटते हैं रॉकेट, अब वहां बन रहे सैनिटाइजर
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आपको बता दें कि इसरो का VSSC सेंटर रॉकेट बनाने में महारत हासिल रखता है. यहां से बने रॉकेट में ही श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग होती है. जब केंद्र और राज्य सरकार ने इसरो से मदद मांगी की वे भी कोरोना के समय मदद करें, तो इसरो ने सैनिटाइजर्स और वेंटिलेटर्स बनाने की बात कही. (फोटोः इसरो)
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ठीक इसी तरह, सतीश धवन स्पेस सेंटर यानी SDSC श्रीहरिकोटा सेंटर. यहां से देश के सबसे बेहतरीन रॉकेट और सैटेलाइट छोड़े जाते हैं. इस सेंटर से बड़े पैमाने पर सैनिटाइजर्स का उत्पादन हो रहा है. (फोटोः इसरो)
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ये सैनिटाइजर्स बाजार में भेजने से पहले इसरो ने अपने सभी कर्मचारियों और वैज्ञानिकों को दिए हैं. इसके बाद इन सैनिटाइजर्स को दक्षिण भारत के कई राज्यों में सप्लाई किया जा रहा है. ताकि बाजार में आई कमी को पूरा किया जा सके. (फोटोः इसरो)
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इतना ही नहीं, इसरो के कुछ सेंटर्स पर मास्क और ऑक्सीजन कैनिस्तर भी बनाए जा रहे हैं. ताकि विपरीत परिस्थितियों में देश की मदद की जा सके. VSSC ऐसा वेंटिलेटर बना रहा है जो बिजली न रहने पर भी काम कर सके. (फोटोः इसरो)
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वीएसएससी के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया कि हमने अब तक करीब 1500 लीटर से ज्यादा सैनिटाइजर्स बनाकर लोगों को दिए हैं. हमारे बनाए मास्क भी बांटे जा रहे हैं. जब भी देश को जरुरत पड़ेगी इसरो साथ में खड़ा रहेगा. (फोटोः इसरो)
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