ये जलते और दफन होते मृत शरीर. पसीने से भीगे नीले-सफेद पीपीई किट में रिश्तेदार. मुंह-नाक पर बचाव का मास्क और आंखों में अपनों को खोने का बहता हुआ दर्द. ये तस्वीरें नहीं हैं...ये हमारी लापरवाही, लचर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासन की कमजोरियों की जलती और दफन होती लाशें हैं. देश में ऐसे भयावह दर्दनाक नजारे हर तरफ से देखने को मिल रहे हैं. ये तस्वीरें भारत में कोरोना वायरस के गंभीर संकट को दिखा रही हैं. (फोटोःएपी)
दिल्ली समेत देश के कई शहरों में श्मशान घाट, शवदाह गृह और कब्रिस्तान कोविड के शिकार मृत शरीरों से भरे पड़े हैं. भारत में इस समय 1.73 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित है. 1.95 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 1.43 करोड़ लोग बीमारी से रिकवर भी कर चुके हैं. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर तबाही का जो मंजर दिखा रही है, उसे देखकर किसी की भी आंखें भर जाएंगी. कोई भी डर जाएगा. सहम जाएगा. मामूली छींक पर शक भरी निगाहों से देखा जाएगा. (फोटोःएपी)
इस समय दिल्ली में काफी ज्यादा कोरोना के मामले आ रहे हैं. यहां प्रतिदिन सबसे ज्यादा कोरोना केस निकल रहे हैं. दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के श्मशान घाटों, शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में जगह नहीं बच रही है. इनके बाहर शवों की लाइन लगी है. इनके कर्मचारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. लकड़ियां भी कम पड़ जा रही है. कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ रही है. (फोटोःएपी)
इस समय भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर दुनिया की सबसे तेज फैलने वाली संक्रामक लहर है. मरीज की टूटती सांसें देखकर रिश्तेदार ऑक्सीजन की भीग मांग रहे हैं. अस्पतालों के बाहर कतारें हैं. कोविड वार्ड्स के अंदर एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों को लिटाया जा रहा है. रोते-बिलखते रिश्तेदार जिन्हें अपने मरीज के लिए अस्पताल में जगह नहीं मिली, वो सड़कों पर इलाज के इंतजार में हैं. (फोटोःएपी)
सोमवार को 133 करोड़ की आबादी वाले भारत में पांचवें दिन लगातार सबसे ज्यादा कोरोना केस सामने आए. जो एक रिकॉर्ड है. पिछले 24 घंटे में 3.50 लाख से ज्यादा कोरोना केस सामने आए हैं. इतना ही नहीं 2812 लोगों की मौत भी हो गई. इसके साथ ही देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 195,123 हो गई है. जब तक आप खबर पढ़ेंगे, तब तक दर्जनों और मौतें हो चुकी होंगी. ये शव फिर इंतजार में रहेंगे कि जल्द उनका अंतिम संस्कार किया जाए. (फोटोःएपी)
भोपाल में तो शवदाह गृह में शेड के बाहर चिताएं जलाने की व्यवस्था की गई है. लोग अब अंतिम संस्कार से संबंधित सारी परंपराओं को पूरा भी नहीं कर पा रहे हैं. ताकि उनके अपनों को मुक्ति मिल सके. ये सारी स्थितियां स्पष्ट तौर पर दिखा रही हैं कि भारत की नाजुक स्वास्थ्य सुविधाएं अब धराशायी हो चुकी हैं. (फोटोःएपी)
अस्पतालों में जगह नहीं बची है. डॉक्टर्स लगातार अस्पतालों में बेड्स बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वेंटिलेटर्स और ज्यादा ऑक्सीजन मांग रहे हैं. पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है. कोरोना संक्रमितों के रिश्तेदार निजी तौर पर सिलेंडर खरीद कर ला रहे हैं. उसमें निजी ऑक्सीजन स्टेशनों ने ऑक्सीजन भरवा रहे हैं. ताकि अपने मरीज को जिंदगी की सांस दे सकें. (फोटोःएपी)
इस समय मौत आने का सबसे बड़ा बहाना या वजह सिर्फ एक ही है. ये दैत्याकार महामारी. इस दैत्य के सामने परिजन चाहकर भी अपने मरीज का हाथ नहीं थाम सकते. कोरोना ने उन्हें इलाज के समय अपनों से दूर कर दिया है. मरीज ठीक होकर बाहर आया तो मुलाकात होती है, नहीं तो हाथ में डेथ सर्टिफिकेट और सीलबंद कपड़ों में शव मिल जाता है. जिसके ऊपर पहचान के लिए शायद नाम या कुछ नंबर्स लिखे रहते हैं. (फोटोःएपी)
PHOTOS: Burial grounds are running out of space in many cities in India as glowing funeral pyres blaze through the night. A global record surge of the coronavirus is collapsing the country's tattered health care system. https://t.co/5ooZ9mJXsP
— The Associated Press (@AP) April 26, 2021
अकेले धरती पर आने वाला अकेला ही जा रहा है. वो भी एक अछूत गठरी में लिपटा हुआ. इस गठरी के अंदर मौजूद चेहरे को इसके चाहने वाले देख भी न सकेंगे. कोरोना के भय ने अपनों को पराया बना दिया है. वो चाह कर भी अपने चाहने वाले के शव का अंतिम संस्कार उस तरह से नहीं कर पा रहे, जिस तरह से विधि-विधान में बताया या लिखा गया है. (फोटोःएपी)
पटना में एक शख्स की कोरोना से मौत होती है. शव के अंतिम संस्कार से पहले लोग घर वालों को सात्ंवना देने जाते हैं. पत्नी उन्हें दूर ही रोक देती है. शव के पास और खुद के पास किसी को आने नहीं देती. न ही परिवार के लोगों को. क्योंकि उसे भी कोरोना संक्रमण का डर है. अपने लिए नहीं...दूसरों के लिए. ऐसा डर...इतना भयावह...ये मौत जैसा ही है. (फोटोःएपी)
कब्रिस्तानों में जनाज़े आते हैं. लेकिन ऐसे...कि मिट्टी नसीब होना मुश्किल हो रहा है. आखिरी नमाज पढ़ने वाले लोग नहीं मिल रहे. कोरोना वायरस ने बता दिया है कि उससे आ रही मौत किसी भी विनाश, युद्ध या प्राकृतिक आपदा से बड़ी और डरावनी है. (फोटोःएपी)
पिछले साल की तुलना में सिर्फ इतना ही बदला है कि कुछ लोग अपने लोगों का अंतिम संस्कार कर पा रहे हैं. लेकिन न आखिरी बार देख पा रहे हैं. न ही दुनिया से जा चुके अपने के मृत शरीर पर सिर पटक कर रो पा रहे हैं. परिजन और मृतक दोनों अकेलेपन और असहाय होने के घुटन से संघर्ष कर रहे हैं. मृतक मौत से पहले अकेलेपन की घुटन झेल रहा है, परिजन उसके बाद की. (फोटोःएपी)
कोरोना से मरने वालों को उतने कंधे भी नहीं मिल रहे जितने अंतिम यात्रा के लिए चाहिए. न ही कोई इस तरह से आगे आ रहा है कि इस शवयात्रा में मेरा भी कंधा सहारा बने. नहीं...एकदम नहीं. ऐसा नहीं हो रहा है. ये अछूत गठरियां कारों की छत पर, एंबुलेंस की फर्श पर, ऑटो में...और न जाने किन-किन वाहनों से श्मशान घाट या कब्रिस्तान पहुंच रही हैं. असहनीय दर्द है अपनों को इस तरह अंतिम यात्रा पर भेजना. (फोटोःएपी)
जिन परंपराओं को हजारों सालों से पूरा करते आए हैं, वो सिर्फ कुछ ही लोगों को नसीब हो पा रही हैं. कोरोना से मरने वालों के लिए अंतिम संस्कार के वो सारे नियम झूठे साबित हो रहे हैं, जिनका पालन हम इंसान सदियों से करते आ रहे हैं. अब न मुक्त की बात है न ही मोक्ष की. सिर्फ एक डर है कहीं इन परंपराओं में हमारा मौत से सामना न हो जाए. (फोटोःएपी)
दिल्ली के सराय काले खां में आलम कुछ ऐसा है कि रूह छोड़ चुकी शरीरों के दाह संस्कार के लिए पार्क में अंतिम संस्कार की व्यवस्था बनाई जा रही है. दिल्ली के सराय काले खां में श्मशान घाट नहीं हैं. श्माशान घाट तो हैं लेकिन रोजाना मौतें इतनी ज्यादा हो रही हैं कि श्मशान घाट पर समय से सभी का अंतिम संस्कार हो सके, ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. सराय काले खां के हरे-भरे पार्क में जहां लोग टहलने और हवा खाने आते थे, अब यहां लोगों की चिताओं को अग्नि देने की व्यवस्था की जा रही है. (फोटोःएपी)
अब तो नौबत ऐसी आ रही है कि घर में भी मास्क लगाकर बैठना पड़ेगा. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि इस समय आप अपने घर किसी को न बुलाएं. घर पर भी मास्क लगाकर रहें. क्योंकि जिसे भी लक्षण दिख रहे हैं उन्हें शुरुआत में घर पर ही क्वारनटाइन होने के लिए कहा गया है. अगर मास्क नहीं लगाएंगे. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेंगे तो कोरोना के संक्रमण का खतरा 90 फीसदी बढ़ जाएगा. (फोटोःएपी)
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने लव अग्रवाल ने कहा कि अगर किसी ने भी गाइडलाइन का पालन नहीं किया तो उससे ज्यादा खतरा फैलता है. एक संक्रमित मरीज से 30 दिनों में 406 लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए कोरोना के सभी गाइडलाइंस का पालन किया जाना चाहिए. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा 30 फीसदी कम हो सकता है. (फोटोःएपी)
गौतमबुद्ध नगर जिले यानी नोएडा में लगातार ऑक्सीजन का संकट गहराता जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. जिले में पीजीआई में बना हुआ 6 साल से बंद पड़ा ऑक्सीजन प्लांट फिर से शुरू किया गया है. यहां रिफिलिंग कराई गई है. करीब 700 क्यूबिक मीटर गैस डाली गई है. यहां से 8 से 9 किलोग्राम वाले 100 सिलेंडर भरे जा सकते हैं. (फोटोःएपी)
ऑक्सीजन की किल्लत की ख़बरों के बीच अमेरिका द्वारा भेजे गए 319 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर दिल्ली पहुंच गए हैं. जिसके बाद अब इन्हें अस्पतालों की जरुरत के हिसाब से सप्लाई किया जाएगा. इसके अलावा अमेरिका की तरफ से वेंटिलेटर, रैपिड किट्स भी भेजी जा रही हैं. (फोटोःएपी)
अमेरिका द्वारा भारत को भेजी गईे मदद के अलावा हांगकांग ने भी 800 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर एयरलिफ्ट किये हैं जबकि 10 हजार हर हफ्ते आने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा यूके ने भी भारत को 600 मेडिकल उपकरण भेजे हैं. इनमें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर शामिल हैं. बता दें कि कोरोना की बेकाबू रफ्तार के बीच अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है. ऐसे में यहां ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ गई है. (फोटोःएपी)