मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का नेतृत्व करने वालीं वैज्ञानिक हैं- हैमिल्टन बेनेट. बेनेट और उनकी टीम की कड़ी मेहनत की बदौलत, तुलनात्मक रूप से एक छोटी कंपनी मॉडर्ना ने सफल कोरोना वैक्सीन बना ली है. बेनेट ने वैक्सीन तैयार करने के लिए बीते कई महीने बिना थके लगातार काम किया है. 35 साल की बेनेट मॉडर्ना कंपनी में सीनियर डायरेक्टर ऑफ वैक्सीन एक्सेस एंड पार्टनरशिप के पद पर हैं.
2020 की शुरुआत तक मॉडर्ना कंपनी अमेरिका में भी गुमनाम थी. लेकिन कोरोना महामारी शुरू होने के कुछ ही महीने बाद दुनियाभर में इस कंपनी को लोग जानने लगे, क्योंकि मॉडर्ना कोरोना वैक्सीन की रेस में सबसे आगे निकल गई थी. अब अमेरिका में मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी भी मिल चुकी है. इस सफलता के पीछे एक 35 साल की महिला वैज्ञानिक का अहम योगदान है. आइए जानते हैं कौन हैं ये वैज्ञानिक?
महामारी की शुरुआत में तो बेनेट को भी अंदाजा नहीं था कि सालों से किया गया उनका काम अचानक दुनिया की सुर्खियों में आ जाएगा. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट (Environmental Health and Microbiology) बेनेट ने लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन से महामारी रोग की पढ़ाई की है. बेनेट के पास 10 साल के रिसर्च का अनुभव है. वह पिछले 4 साल से मॉडर्ना के साथ काम कर रही हैं.
ABC न्यूज से बात करते हुए बेनेट ने कहा कि 12 महीने में उन्होंने काफी लंबा सफर तय किया है. वायरस के जीनोम सीक्वेंस की जानकारी सामने आते ही जनवरी में मॉडर्ना ने बेनेट को कह दिया था कि वह कोरोना वैक्सीन पर काम शुरू करें. जीका वायरस और MERS-CoV की वैक्सीन पर काम करने की वजह से मॉडर्ना के पास वैक्सीन का एक टेंपलेट पहले से मौजूद था.
बेनेट ने बताया कि जनवरी में तो कई लोग यह सोच रहे थे कि महामारी कुछ महीने ही रहेगी, इसलिए वैक्सीन पर काम शुरू करने से पहले इंतजार करना चाहिए. लेकिन बेनेट ने कहा कि उन्हें लगा कि कंपनी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह वैक्सीन पर काम शुरू करे.
जनवरी में चीनी वैज्ञानिकों ने जैसे ही कोरोना का जीनोम सीक्वेंस प्रकाशित किया, 2 दिन बाद ही मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन mRNA-1273 तैयार कर ली गई थी. इसके बाद वैक्सीन के सुरक्षित होने और प्रभावी होने का पता लगाना था. बेनेट ने कहा कि वह अपनी टीम को हर छह घंटे पर मेल करती थीं कि क्या उन्होंने वैक्सीन का सिक्वेंस तैयार लिया है. बेनेट ने बताया कि जल्दी वैक्सीन तैयार करने के लिए वह सुबह 7 से रात 10 बजे तक दफ्तर में काम करती थीं.