कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन सामने आने के बाद से ही पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है. सभी देश कोरोना से बचाव के लिए सख्त नियम अपना रहे हैं. वैसे तो शुरुआती डेटा यही बता रहे हैं कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन कम गंभीर है लेकिन ये स्थिति भी हर किसी पर लागू नहीं होती है. ओमिक्रॉन सिर्फ उन लोगों में हल्के लक्षण दिखा रहा है जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक,भारत में अब तक 55.52 फीसदी लोग वैक्सीन की दोनों और 87 फीसदी लोग पहली डोज लगवा चुके हैं. मतलब देश में अभी भी ऐसे लोग काफी संख्या में हैं जिन्होंने वैक्सीन की कोई डोज नहीं ली है. ये हालत सिर्फ भारत की ही नहीं है विदेशों में भी एक बड़ी आबादी वाले लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है और वो इसका परिणाम भी भुगत रहे हैं. दूसरे देशों के लोगों के खराब अनुभव से भारत के लोग अभी भी सबक ले सकते हैं.
वैक्सीन क्यों है जरूरी- दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का दावा है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोग कोरोना के किसी भी वैरिएंट के खिलाफ सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. वहीं पहली डोज वाले थोड़े कम सुरक्षित और कोई डोज नहीं लेने वालों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है. ऑस्ट्रेलिया के रॉयल मेलबर्न अस्पताल में आईसीयू नर्स मिशेल स्पेंस ने एक वीडियो में अस्पताल में भर्ती होने वाले कुछ ऐसे ही लोगों की हालत के बारे में बताया है.
अपने वीडियो में एक भावुक आवाज में मिशेल कहती हैं कि किस तरह लाइफ सपोर्ट पर जाने से पहले लोग वैक्सीन लगवाने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'ये बहुत दुखद बात है. पिछले कुछ दिनों में मैंने कई ऐसे लोगों को देखा जो लाइफ सपोर्ट मशीन पर रखे जाने से ठीक पहले वैक्सीन लगवाना चाह रहे हैं. वो एक तरह से वैक्सीनेशन की भीख मांग रहे होते हैं. इनमें से ज्यादातर युवा हैं. हालांकि हमें समझाना पड़ता है कि अब वैक्सीन के लिए बहुत देर हो चुकी है.'
मिशेल ने कहा, 'ऐसा नहीं होना चाहिए. फिट और हेल्दी लोग भी ICU में आकर दम तोड़ देते हैं. ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. मैंने इन लोगों को बिस्तर पर दम तोड़ते देखा है.' नॉर्दर्न हॉस्पिटल की नर्स यूनिट मैनेजर जैकी हार्पर ने एक स्थानीय चैनल को बताया, 'हमने काफी गंभीर हालत में मरीजों को अस्पताल आते देखा है. उन्हें सांस लेने में मुश्किल होती है, कुछ को ज्यादा ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और ICU सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है. इनमें से ज्यादातर को इसी बात का पछतावा है कि उन्होंने पहले वैक्सीन क्यों नहीं लगवाई.' हार्पर ने कहा कि लोगों के वैक्सीन ना लगवाने की वजह से हमारी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
लंदन में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना की वजह से अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई है. रॉयल लंदन अस्पताल के ICU डॉक्टर प्रोफेसर रूपर्ट पीयर्स ने बीबीसी रेडियो प्रोग्राम को दिए इंटरव्यू में बताया कि अस्पताल में एडमिट होने वाले कोरोना के ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है और वो उम्र में 20 से 30 साल के हैं. उन्होंने कहा, '. हमारे पास जितने भी मरीज आ रहे, उनमें से ज्यादातर यही पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें अब वैक्सीन लग सकती है?'
अमेरिका में भी ऐसे लोगों की अच्छी खासी संख्या है जिन्होंने वैक्सीन तमाम अफवाहों या डर की वजह से नहीं लगवाई है टीमोथी नाम के एक व्यक्ति ने न्यूजडे को बताया, ' मैं वैक्सीन बिल्कुल नहीं लगवाना चाहता था लेकिन मुझे सिर्फ अपने काम की वजह से वैक्सीन लगवानी पड़ी है.'
हरिदेव सुकदेव नाम के व्यक्ति का कहना है कि उसके पास भी अब वैक्सीन लगवाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. सुकदेव ने कहा, 'आखिर मुझे वैक्सीन क्यों लगवानी पड़ी? अगर आपने वैक्सीन नहीं लगवाई है तो आप कहीं नहीं जा सकते. दोस्तों के साथ बाहर जाते समय मुझे कई इवेंट्स से बाहर रहना पड़ता था. मैंने तीन जगह घूमने जाने की कोशिश की मुझे कहीं भी मंजूरी नहीं मिली. आखिरकार थक हारकर मुझे वैक्सीन लगवानी पड़ी.' सुकदेव ने ये भी बताया कि वो अब तक वैक्सीन लेने से क्यों झिझक रहा था. उसने कहा, 'मैंने सुना था कि वैक्सीन लगवाने से सेक्सुअल पावर कम हो जाती है. यही वजह है कि मैं अब तक इसे लगवाने से बचता रहा.'
डॉक्टर्स इस बात को सिरे से खारिज कर चुके हैं कि वैक्सीन पुरुषों की फर्टिलिटी या सेक्स ड्राइव पर किसी तरह का असर डालती है. वो लगातार लोगों से इस तरह की अफवाहों को पर भरोसा करने से मना कर रहे हैं और आगे बढ़कर वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन आपको गंभीर बीमारी से बचा लेता है इसलिए हर किसी को इसकी दोनों डोज लेनी जरूरी है. ओमिक्रॉन का खतरा भारत में फिर से महामारी के संकट को गंभीर करने की स्थिति में आ जाए, इससे पहले कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लगवा लें.