इजरायल में जितने लोग कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए एलिजिबल हैं, उनमें से आधे लोगों (करीब 35 लाख) को वैक्सीन की एक या फिर दोनों खुराक दी जा चुकी हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगाने की वजह से इजरायल फाइजर की कोरोना वैक्सीन के प्रभाव को समझने का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है.
इजरायल के टीकाकरण के शुरुआती आंकड़े काफी अच्छे बताए जा रहे हैं. वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने वाले लोगों में कोरोना के नए मामले 53 फीसदी तक कम पाए गए हैं. जबकि हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 31 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है. ये आंकड़े मध्य जनवरी से 6 फरवरी तक के हैं.
इजरायल के टीकाकरण के शुरुआती आंकड़े काफी अच्छे बताए जा रहे हैं. वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने वाले लोगों में कोरोना के नए मामले 53 फीसदी तक कम पाए गए हैं. जबकि हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 31 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है. ये आंकड़े मध्य जनवरी से 6 फरवरी तक के हैं.
फाइजर कंपनी हर हफ्ते इजरायल के कोरोना टीकाकरण के डेटा का विश्लेषण करती है ताकि दुनियाभर के लोगों के लिए आंकड़े जुटाए जा सकें. हालांकि, फाइजर का कहना है कि यह कहना अब भी मुश्किल है कि कब हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति शुरू हो जाएगी.
इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल हेजी लेवि का कहना है कि अब तक हमें पता चला है कि ब्रिटिश कोरोना वैरिएंट के ऊपर फाइजर की वैक्सीन 90 से 95 फीसदी प्रभावी रहती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष शुरुआती आंकड़े पर आधारित हैं. बता दें कि इजरायल ने 19 दिसंबर 2020 से ही कोरोना टीकाकरण शुरू कर दिया था.