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कोरोना

मरीजों को अस्पताल ले जाते हैं साजिद, अपनी कार को बनाया एंबुलेंस

मरीजों को अस्पताल लेकर जाते  हैं साजिद, पर्सनल कार को बनाया एंबुलेंस
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"कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या सामने आ जाएंगी, लेकिन उन लोगों के बारे में कोई बात नहीं करेगा जो लॉकडाउन के दौरान अस्पताल जाते हुए मर गए".

ऐसा कहना है साजिद खान का. जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में अपनी दो गाड़ियों को एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है, ताकि जरूरतमंद को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके. आइए जानते हैं इनके बारे में.
मरीजों को अस्पताल लेकर जाते  हैं साजिद, पर्सनल कार को बनाया एंबुलेंस
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साजिद ने aajtak.in से खास बातचीत करते हुए बताया कि कैसे उनके मन में एंबुलेंस  खोलने का विचार आया. उन्होंने लॉकडाउन के दो दिन बाद ही अपनी दोनों गाड़ियों को एंबुलेंस में बदल दिया था.
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साजिद ने कहा, जब मैं लॉकडाउन के दो दिन बाद दूध लेने के लिए निकला तो मैंने देखा कि दो बुजुर्ग जोकि पति- पत्नी थे, वह तिलक नगर से पैदल चलकर आ रहे थे, वह राम मनोहर लोहिया अस्पताल जाना चाहते हैं. मैं ये जानकर हैरान हो गया था कि अभी इन्हें तीन घंटे का सफर पैदल चलकर और करना है. इसके बाद मैं घर लौटा और अपनी पत्नी को इस बारे में बताया.
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मैंने उनसे कहा, मैं अपनी गाड़ियों को एंबुलेंस में तब्दील करना चाहता हूं. शुरू में मेरी पत्नी घबरा गई थी, लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि देश की मदद करने के लिए ये जरूरी है, लोगों को मदद की जरूरत है. अस्पताल जाने के लिए लोगों के पास पैदल चलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है.
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साजिद अपनी गाड़िया खुद ही चलाते हैं, साथ ही गाड़ियों को सैनिटाइज भी करते रहते हैं. उन्होंने कहा, शुरू में पुलिस वाले सवाल जवाब करते थे, लेकिन अब मेरा नंबर सोशल मीडिया पर काफी फैल गया है. ऐसे में मुझे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है.


मरीजों को अस्पताल लेकर जाते  हैं साजिद, पर्सनल कार को बनाया एंबुलेंस
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साजिद ने बताया मैं पिछले कई हफ्तों से डायलिसिस के मरीजों को मंगलवार और शुक्रवार अस्पताल लेकर जा रहा हूं. मैं ये बात बखूबी जानता हूं, कि इस दुख की घड़ी में एक दूसरे की मदद करनी होगी. लेकिन दुख होता है जब मरीज एंबुलेंस को फोन मिलाते हैं और उनका फोन नहीं लगता. ऐसे में कई मरीजों की हालात गंभीर हो जाती है.
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उन्होंने बताया, मालती देवी जो एक प्रेग्नेंट औरत है सफदरजंग अस्तपताल के बाहर सुबह 11:00 से दिन के 3:00 बजे तक वह एंबुलेंस के लिए इंतजार करती रही, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. 

उसके बाद सफदरजंग अस्तपताल से मुझे फोन आया, उन्होंने मुझसे कहा, भइया आपकी फ्री एंबुलेंस सर्विस है प्लीज आ जाइए, यहा एक महिला प्रेग्रेंट हैं और हालात गंभीर है, उन्हें एलएनजेपी अस्पताल लेकर जाना है.
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मैं तुरंत वहां पहुंचा और महिला को लेकर दूसरे अस्पताल  लेकर गया है. मुझे खुशी है महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है. मैं लोगों की सेवा करके खुश हूं.
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साजिद ने बताया,  मेरे इस काम से मेरी पत्नी काफी खुश है, वह समझ गई है उनके पति देश की सेवा में लगे हुए हैं.
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मेरे घर में भी बच्चे और पत्नी है. मुझे उनकी चिंता भी है. लेकिन अगर हम डर कर बैठ गए तो कई लोगों को परेशानी हो सकती है. किसी न किसी को तो सामने उनकी मदद के लिए आना होगा.

मैं जानता हूं दुनिया को कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या दिखाई देगी, लेकिन कोई उन लोगों के बारे में बात नहीं करेगा जो लॉकडाउन  के दौरान अपने जरूरी चैकअप के लिए अस्पताल न जाने की वजह से जान गंवा बैठे हैं.
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