वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम अब इस आरोप की जांच करेगी कि क्या चीन की लैब से कोरोना वायरस लीक हुआ था? यह टीम 'लान्सेट कोविड-19 कमिशन' का हिस्सा है. महामारी की समस्या का व्यवहारिक हल निकालने के मकसद से इस कमिशन की स्थापना जुलाई में की गई थी. कमिशन का उद्देश्य यह भी पता लगाना है कि कैसे भविष्य में किसी अन्य महामारी से बचा जा सकता है.
लान्सेट कोविड-19 कमिशन की अध्यक्षता प्रोफेसर जेफरी सैच्स कर रहे हैं. जेफरी अमेरिका के मशहूर इकोनॉमिस्ट हैं और संयुक्त राष्ट्र के एडवाइजर भी हैं. वहीं, कोरोना वायरस की उत्पति की जांच करने वाले अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व ब्रिटेन के जूलॉजिस्ट डॉ. पीटर डैसजैक करेंगे.
लान्सेट कोविड-19 कमिशन के वैज्ञानिकों की टीम न सिर्फ लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी की जांच करेगी, बल्कि कोरोना वायरस फैलने के पीछे के हर संभावित कारणों की पड़ताल करेगी. डॉ. पीटर डैसजैक ने कहा है कि वायरस फैलने को लेकर उनकी टीम व्यवस्थित ढंग से हर थ्योरी की जांच करेगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे कॉन्सिपिरेसी थ्योरी का स्वागत नहीं करते.
वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम कोरोना वायरस फैलने को लेकर तमाम सबूतों को भी इकट्ठा करेगी. लेकिन, डॉ. पीटर डैसजैक ने चेतावनी दी कि इसकी संभवाना कम है कि पूरी गारंटी से यह साबित किया जा सके कि वायरस कैसे फैला.
डॉ. पीटर डैसजैक ने कहा कि वे सभी संभावित थ्योरी की पड़ताल करेंगे और सभी थ्योरी से जुड़े सबूतों को एक साथ रखेंगे. वहीं, लान्सेट कोविड-19 कमिशन ने अपने मिशन स्टेटमेंट में उल्लेख किया है कि अब तक सामने आए सबूत इस बात का समर्थन करते हैं कि कोरोना वायरस एक प्राकृतिक वायरस है, न कि लैब में तैयार किया गया और लीक किया गया एक वायरस. हालांकि, बयान में यह भी कहा गया है कि जांचकर्ता को ये पता लगाना चाहिए कि क्या इसमें किसी लैब की किसी तरह की कोई भूमिका है.