एक स्टडी में पता चला है कि ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन की एक खुराक, तीन महीने तक कोरोना बीमारी (लक्षण वाली) से बचाने में 76 फीसदी प्रभावी रहती है. साथ ही, स्टडी से यह भी जानकारी मिली है कि वैक्सीन की एक खुराक भी वायरस के प्रसार को कम करने में असरदार हो सकती है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ट्रायल में भाग लेने वाले 17 हजार वॉलेंटियर्स के डेटा के आधार पर यह स्टडी की है.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, The Lancet जर्नल में प्रकाशन के लिए सबमिट की गई स्टडी में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की एक खुराक, तीन महीने तक कोरोना बीमारी से बचाने में प्रभावी पाई गई है. वहीं, तीन महीने के बाद दूसरी खुराक लगाने पर वैक्सीन 82.4 फीसदी प्रभावी हो जाती है.
ब्रिटेन में शुरुआत में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की दूसरी खुराक 21 दिन में देने की योजना बनाई गई थी. लेकिन बाद में अधिक से अधिक लोगों को, जल्द से जल्द कुछ हद तक सुरक्षा देने के मकसद से ब्रिटेन में दूसरी खुराक में देरी करने का फैसला लिया गया.
ब्रिटेन में अब तक 96 लाख लोगों को फाइजर या ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की कम से कम एक खुराक दे दी गई है. ब्रिटेन के 7 हजार मरीजों के सैंपल की जांच से यह भी पता चला है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की वजह से कोरोना संक्रमण 67 फीसदी तक कम हो गया.
वहीं, फाइजर की वैक्सीन को लेकर की गई एक स्टडी में पता चला है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन की एक खुराक लगाने से 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को साउथ अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट से पूरी सुरक्षा नहीं मिलती. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने यह स्टडी की है. स्टडी में कहा गया है कि दूसरी खुराक में देरी करने पर 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को खतरा हो सकता है.