चीन के बेहद नजदीक होने के बावजूद ताइवान में कोरोना वायरस के मामले बेहद कम हैं. 10 मई 2020 तक ताइवान में कोरोना के सिर्फ 440 मामले सामने आए हैं और 6 लोगों की मौतें हुई हैं. इस वजह से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ताइवान की काफी तारीफ हो रही है.
असल में ताइवान ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई समय रहते शुरू कर दी. जब चीन ने कोरोना के इंसान से इंसान में फैलने की जानकारी नहीं दी थी, तभी से ताइवान अलर्ट हो गया था. ताइवान ने खुद WHO को ईमेल भेजकर कोरोना से जुड़ी जानकारी मांगी थी. ये अलग बात है कि ताइवान ने बाद में कहा कि WHO ने उसे जवाब भी नहीं दिया.
ताइवान में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण शख्स हैं चेन चिएन-जेन. चेन राजनेता भी हैं और महामारी व वायरस के एक्सपर्ट भी. चेन ताइवान के उप राष्ट्रपति हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
चेन के पास सार्स वायरस के खिलाफ लड़ने का अनुभव पहले से था. ऐसे में उन्होंने समय से पहले कोरोना के खिलाफ तैयारी कर ली. ताइवान में सार्स वायरस फैलने के वक्त 2003 में ही फैसला लिया गया था कि आइसोलेशन वार्ड और वायरस पर रिसर्च के लिए लैब तैयार किए जाएंगे. कोरोना से लड़ाई में ताइवान को इसका लाभ मिला.