करीब सवा साल के बाद वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस का सटीक इलाज खोज लिया है. हालांकि, ये सवा साल कोरोनावायरस की कमजोरी खोजने में लगा है. जिसके लिए साइंटिस्ट्स ने दिन-रात मेहनत की. अब जाकर ये पता चला है कि कोरोना वायरस जैसे रावण की नाभि कहां हैं. कहां साइंटिस्ट तीर मारेंगे तो वो हमेशा के लिए निष्क्रिय हो जाएगा या खत्म हो जाएगा. (फोटोःगेटी)
UT साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर (UTSW) की पीएचडी स्कॉलर और सेल बायोलॉजी की प्रोफेसर बीट्रिज फोंटूरा कहता है कि हमें ये कोरोना वायरस की कमजोरी पता चल चुकी है. अब उस पर हमला करना आसान होगा. क्योंकि अभी तक जितने भी वैरिएंट आए, उन सबने अपने कमजोरी को म्यूटेट नहीं किया है. ज्यादातर ने बाहरी हिस्से को बदला है. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज ने बताया कि दुनिया में मौजूद वैक्सीन भी कुछ समय के लिए ही आपको कोरोना से बचाव दे सकती हैं. लेकिन एक बार कोरोना वायरस की इस कमजोरी को अगर टारगेट कर दिया गया तो ये हमेशा के लिए निष्क्रिय हो जाएगा. हमारी ये स्टडी साइंस एडवांसेस नाम के साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज ने बताया कि जब कोरोना वायरस किसी कोशिका को संक्रमित करता है. उस समय कोशिका जिस तरीके से खुद को बचाने का प्रयास करती है, या फिर संघर्ष करती है. उसी समय अगर कोरोना वायरस पर हमला कर दिया जाए तो वह हमेशा के लिए निष्क्रिय हो जाएगा. कोरोना वायरस अपने होस्ट सेल यानी संक्रमित कोशिका की जीन्स को अपनी तरफ मिलाकर खुद को ताकतवर बनाता है. साथ ही और वायरस पैदा करता है. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज ने कहा कि अगर कोरोनावायरस मैसेंजर RNA (mRNA) को उसके केंद्र से निकल कर साइटोप्लाज्म में जाने से रोकता है. क्योंकि mRNA साइटोप्लाज्म में जाएगा तो एंटीवायरल प्रोटीन बनेगा. उससे बचने के लिए वायरस mRNA के साथ खुद को अलग कर लेता है. कोशिका को खत्म करके खुद को रेप्लीकेट करता है. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज फोंटूरा के लैब में काम करने वाले पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर के. झांग ने बताया कि हमने देखा है कि कैसे Nsp1 प्रोटीन mRNA को बाहर आने से रोकता है. क्योंकि अगर mRNA बाहर आएगा तो वायरस को संक्रमण फैलाने का मौका नहीं मिलेगा. वह रेप्लीकेट नहीं कर पाएगा. वायरस mRNA को अपनी मर्जी के अनुसार उसके केंद्र से निकलने देता है. (फोटोःगेटी)
Targeting Nsp1 #protein could be a pathway for COVID-19 therapy @ScienceAdvances https://t.co/mmlyhiExMy
— Phys.org (@physorg_com) February 16, 2021
शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में पता किया कि Nsp1 प्रोटीन कई तरह के काम में निपुण होता है. साथ ही यह वायरस के रेप्लीकेशन यानी प्रतिकृति बनाने से रोकता है. प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले प्रोटीन्स को पैदा होने से भी रोकता है. बस साइंटिस्ट्स को ये पता चल गया कि अगर Nsp1 प्रोटीन को टारगेट करते हैं तो कोरोनावायरस को खत्म करने या निष्क्रिय करने में आसानी होगी. (फोटोःगेटी)
कोरोना वायरस जब किसी कोशिका पर हमला करता है तब वह Nsp1 प्रोटीन के जरिए mRNA को एक्सपोर्ट करता है. इसलिए वह एक्सपोर्ट फैक्टर NXF1 का उपयोग करता है. अब यहां पर Nsp1 का नया काम शुरू होता है. वह अन्य प्रोटीन्स को काम पर लगाता है ताकि होस्ट सेल mRNA को एंटीवायरल प्रोटीन में न बदल पाए. यहीं पर Nsp1 प्रोटीन कोशिका को दबा देता है. वह वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित ही नहीं करने देता. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज और के. झांग कहते हैं कि अगर हम Nsp1 को NXF1 से मिलने से रोक दें तो हम कोरोना को निष्क्रिय करने में कामयाब हो जाएंगे. क्योंकि ये दोनों ही मिलकर कोरोना को अपनी प्रतिकृति बनाने में सबसे शुरुआती मदद करते हैं. इसका एक तरीका और है- अगर किसी तरह से NXF1 की मात्रा को कोशिकाओं में बढ़ा दिया जाए तो mRNA कोशिकाओं के केंद्र से बाहर आकर वायरस के खिलाफ गतिविधियां शुरू कर देगा. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज कहती हैं कि कोरोनावायरस का ट्रीटमेंट का नजरिया फिलहाल लक्षणों के प्रबंधन पर फोकस है. जबकि, शरीर अपनी प्रतिरोधक क्षमता से ऐसे वायरसों को हरा सकती है. इंसानों को करना इतना ही है कि या तो वो अपनी इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता को और विकसित कर लें या फिर हम वायरस को कोशिकाओं से संपर्क करने जरिए को खत्म कर दें. (फोटोःगेटी)
बीट्रिज ने कहा कि अभी हम और स्टडी कर रहे हैं. ताकि Nsp1 और NXF1 के बीच का संबंध समझ सके. फिलहाल हमें इतना तो पता चल ही चुका है कि इन दोनों के मिलने से वायरस अपना संक्रमण तेजी से फैलाता है. इसलिए इन दोनों के संपर्क को अगर हम हमेशा के लिए रोक दें तो कोरोना वायरस रेप्लीकेट नहीं कर पाएगा. इससे संक्रमण फैलने की आशंका खत्म हो जाएगी. (फोटोःगेटी)