ब्रिटेन की सरकार ने फैसला किया है कि जल्दी वैक्सीन तैयार करने के लिए जानबूझकर वॉलनटियर्स को कोरोना संक्रमित किया जाएगा. ऐसा फैसला करने वाला ब्रिटेन दुनिया का पहला देश है. अब तक एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर एकमत नहीं रहे हैं कि वॉलनटियर्स को जानबूझकर संक्रमित किया जाए या नहीं.
किसी वैक्सीन के लिए जानबूझकर वॉलनटियर्स को संक्रमित करने को ह्यूमन चैलेंज ट्रायल भी कहते हैं. चूंकि कोरोना का अब तक कोई इलाज ढूंढा नहीं जा सका है, इसलिए कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन चैलेंज ट्रायल पर नैतिक सवाल भी उठते रहे हैं. कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि यह खतरनाक हो सकता है.
डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की सरकार ने फैसला किया है कि 18 से 30 साल के करीब 90 वॉलनटियर्स का चयन किया जाएगा. इन लोगों को नाक के जरिए कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा. HVivo नाम की कंपनी ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की रूपरेखा तय कर रही है.
वैक्सीन की खुराक पाने वाले वॉलनटियर्स अगर कोरोना से संक्रमित किए जाने के बाद बीमार नहीं पड़ते हैं तो वैक्सीन को वैज्ञानिक प्रभावी मान सकते हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों को यह भी पता करना होगा कि वैक्सीन कितने समय के लिए वॉलनटियर्स को कोरोना से बचाती है. वहीं, ब्रिटेन की सरकार के फैसले के बाद रेग्यूलेटर्स से भी ह्यूमन चैलेंज ट्रायल के लिए मंजूरी लेनी होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के फैसले के बावजूद ह्यूमन चैलेंज ट्रायल शुरू करने में जनवरी तक का वक्त लग सकता है. वहीं, इस ट्रायल के दौरान वॉलनटियर्स को एक स्पेशल डिजीज क्लिनिक में रखा जाएगा. इंपेरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर पीटर ओपेनशॉ ने बताया कि ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का उद्देश्य वॉलनटियर्स को बीमार करना नहीं, बल्कि उनकी नाक में वायरस को रेप्लिकेट करना है.