कोरोना काल में एक बड़ा सवाल ये है कि क्या गर्भवती महिला से उसके अजन्मे बच्चे को कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी मिलती है? जवाब है हां. लेकिन अब भी कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. आइए जानते हैं कि आखिरकार क्या बच्चा गर्भ में ही मां से कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी हासिल कर सकता है या नहीं. (फोटोःगेटी)
29 जनवरी को जामा पीडियाट्रिक्स (JAMA Pediatrics) साइंस जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार बच्चा गर्भ में ही कोरोना के खिलाफ मां से एंटीबॉडी प्राप्त कर सकता है. इस स्टडी में 1470 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई. इनमें से 83 महिलाएं कोरोना पॉजिटिव थी. उनके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी थी. (फोटोःगेटी)
इन अजन्मे बच्चों को गर्भनाल के जरिए कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी मिल गई. यानी बच्चों में अपरोक्ष रूप से कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बन गई. किस बच्चे को कितनी इम्यूनिटी मिली, उसके शरीर में कितनी एंटीबॉडी गई यह निर्भर करता उसकी मां के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज की संख्या से. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर डॉ. करेन पुओपोलो और डॉ. स्कॉट हेंसली के अनुसार गर्भवती मां के संक्रमण और उसकी डिलीवरी के बीच समय पर निर्भर करता है कि बच्चे को कितनी एंटीबॉडी मिलेगी. जितना ज्यादा समय संक्रमण और डिलीवरी के बीच उतना ज्यादा एंटीबॉडी बच्चे के शरीर में जाएंगे. (फोटोःगेटी)
ये जरूरी नहीं कि गर्भवती मां पूरी तरह से कोरोना पॉजिटिव हो. अगर वो एसिम्टोमैटिक रूप से भी संक्रमित है तब भी अजन्मे बच्चे को एंटीबॉडी मिल जाएगी. डॉ. करेन पुओपोलो और डॉ. स्कॉट हेंसली ने बताया कि बच्चे को मिली एंटीबॉडी से उसे कोरोना के खिलाफ कितनी सुरक्षा मिलेगी या उसे किस तरह की एंटीबॉडी की और जरूरत है, वह अब भी जांच का विषय है. (फोटोःगेटी)
डॉ. करेन पुओपोलो और डॉ. स्कॉट हेंसली ने बताया कि ये भी जांच की जा रही है कि नवजात के शरीर में कोरोना के खिलाफ ये एंटीबॉडीज कितने समय तक रहेंगी. ह्यूस्टन स्थित बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पीडियाट्रिक इन्फेक्शियस डिजीस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. फ्लोर मुनोज रिवास ने कहा कि ये स्ट्डी बेहद सकारात्मक है. (फोटोःगेटी)
डॉ. फ्लोर मुनोज रिवास ने कहा कि इस स्टडी से हमें भविष्य में यह पता चल सकता है कि किस तरह की वैक्सीन गर्भवती महिला को दी जा सकती है. ताकि वह गर्भवती महिलाओं और नवजात को कोरोना के खिलाफ बचाए और एंटीबॉडी भी पैदा करे. (फोटोःगेटी)
डॉ. फ्लोर मुनोज रिवास ने बताया कि भ्रूण नाल से बच्चे को सारे एंटीबॉडी नहीं मिलते हैं. रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) जिससे कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन चिपकता है, वह भ्रूण नाल के जरिए बच्चे तक नहीं पहुंचता. भ्रूण नाल के जरिए सिर्फ छोटे वाई शेप्ड एंटीबॉडी जिन्हे इम्यूनोग्लोब्यूलिन जी (IgG) जा सकता है. यानी कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी तो बनेगी. (फोटोःगेटी)