यूरोपीय देशों समेत दुनिया भर के 16 देशों में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि यह स्ट्रेन 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. अगर यह नया स्ट्रेन भारत आता है तो क्या होगा? क्या भारत में यह फैलेगा? पिछले कोरोना वायरस की तुलना में क्या ज्यादा तबाही मचाएगा? आइए जानते हैं कि अगर इस नए वायरस का स्ट्रेन भारत आता है तो क्या हो सकता है? (फोटोःगेटी)
भारत में इस समय 1.02 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं. 1.47 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है कोरोनावायरस. अब अगर ब्रिटेन या नाइजीरिया में मिले कोरोना के दो अलग-अलग स्ट्रेन भारत पहुंचते हैं तो नतीजे क्या होंगे. ये बता पाना अभी मुश्किल है लेकिन ये बात तो कई देश मान चुके हैं कि दोनों देशों में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक हैं. (फोटोःगेटी)
भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा कम है. साथ ही यहां पर संक्रमित मरीजों की संख्या भी ज्यादा है. अगर कोरोना के नए स्ट्रेन को अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं तो ये भारी तबाही मचा सकता है. क्योंकि हर जीव का एक जीनोम होता है. यानी हमारे जीन्स का सेट पैटर्न. कई बार इस पैटर्न में बदलाव भी आते हैं लेकिन इंसानों जैसे विकसित जीव इसे ठीक भी कर लेते हैं. (फोटोःगेटी)
वायरस इन बदलावों को ठीक करने में कमजोर होते हैं. जिन वायरस में राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी आरएनए (RNA) जेनेटिक मटीरियल होता है, वो इस मामले में और भी बेकार होते हैं. वो अपने जीनोम में आए बदलावों को ठीक नहीं कर पाते. यह बदलाव स्थाई रह जाता है. इसी को म्यूटेशन कहते हैं. यानी कोरोना के नए स्ट्रेन का मतलब है कोरोना वायरस के जीनोम में बदलाव हुआ है जो वह खुद ठीक नहीं कर सकता. यानी एक और वायरस. (फोटोःगेटी)
ब्रिटेन में कोरोना वायरस का जो नया स्ट्रेन मिला है, उसका नाम है B.1.1.7. वैज्ञानिकों को शुरुआती जांच में यह पता चला कि म्यूटेशन से बना B.1.1.7 स्ट्रेन अत्यधिक संक्रामक है, लेकिन खतरनाक कम है. इसका मतलब ये नहीं कि यह किसी की जान नहीं ले सकता, लेकिन उसमें समय लग सकता है. (फोटोःगेटी)
इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया म्यूटेशन देखने को मिला है. हालांकि अभी तक भारत में यूरोप या अफ्रीका में मिले कोरोना के म्यूटेटेड नए स्ट्रेन यानी B.1.1.7 की मौजूदगी के कोई मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन भारत में संक्रमण तो तेजी से फैल ही सकता है. हालांकि भारत ने यूके से आने वाली उड़ानों को रोक दिया है. (फोटोःगेटी)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना संक्रमित हर देश अपने यहां मौजूद सभी संक्रमित मरीजों की संख्या का 0.33 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग कराएगा यानी हर 300 संक्रमित मरीजों में से एक मरीज के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग. इससे ये पता चलता है कि मरीजों में किस तरह का कोरोनावायरस स्ट्रेन है. (फोटोःगेटी)
ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सितंबर में मिला था. यहां पर 2.20 लाख कोरोना मरीज हैं. ब्रिटेन ने 6 फीसदी से ज्यादा जीनोम सिक्वेंसिंग की है. भारत में 1 करोड़ से ज्यादा कोरोना मरीज है लेकिन जीनोम सिक्वेंसिंग 5 हजार से कम भी की गई है. यानी 0.05 फीसदी. जबकि, दक्षिण अफ्रीका जहां पर कोरोना का नया स्ट्रेन मिला है, वहां पर भी 0.3 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है. अमेरिका में भी यही स्तर बनाकर रखा गया है. (फोटोःगेटी)
भारत में अगर कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आता है तो उसकी पहचान कर पाना मुश्किल होगा. क्योंकि भारत में अपनी अलग तरह की समस्याएं है. ग्रामीण इलाकों में तो हेल्थकेयर सुविधाएं बेहद कमजोर हैं. देश में जीनोम सिक्वेंसिंग करने के लिए इतनी प्रयोगशालाएं ही नहीं हैं. इसका मतलब ये है कि भारत में जितनी भी जीनोम सिक्वेंसिंग हुई है वह शहरी इलाकों से जुटाए गए सैंपल्स से की गई हैं. (फोटोःगेटी)
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में कुपोषण काफी है. ऐसे लोग भी हैं जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है नाजुक है. ऐसी स्थिति में अगर इन्हें कोरोना के नए स्ट्रेन ने अपनी चपेट में ले लिया तो लंबे समय तक परेशान करता रहेगा. भारत में सामान्य तौर पर स्वस्थ इंसान के शरीर में कोरोना वायरस दो से तीन हफ्ते रहता है. लेकिन ऐसे मरीजो के शरीर में यह चार महीने तक रह सकता है. (फोटोःगेटी)
भारत में ज्यादातर मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी या रेमडेसिविर दवा दी जा रही है. ज्यादा समय तक अगर ये दवाएं या ट्रीटमेंट चलते रहे तो कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदलने का मौका मिल जाएगा. या यूं कहें कि यह म्यूटेट हो जाएगा. ऐसे म्यूटेटेड कोरोनावायरस यानी नए स्ट्रेन पर कोरोनावायरस के लिए बनाए गए वैक्सीन का असर कितना होगा यह कह पाना मुश्किल है. (फोटोःगेटी)
अगर भारत में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आता है तो संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ेगी. इनकी संख्या बढ़ेगी तो गंभीर मामले भी सामने आएंगे. गंभीर मामलों को संभालने के लिए देश में आईसीयू और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम है. अगर यह ग्रामीण क्षेत्रों में फैलता है तो भारत के लिए काफी चिंता का विषय होगा. (फोटोःगेटी)