सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के प्रोडक्शन यूनिट की तस्वीरें पहली बार सामने आई हैं. देखिए कैसे सीरम इंस्टीट्यूट में हमारे लिए कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड का प्रोडक्शन और पैकेजिंग किया जा रहा है. कैसे बन रही है कोविशील्ड वैक्सीन? कैसे होता है सीरम इंस्टीट्यूट के प्रोडक्शन यूनिट में काम? देखिए पुणे में आजतक के फोटोजर्नलिस्ट गोपाल हार्ने की एक्सक्लूसिव तस्वीरें...
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) की वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) को हाल ही में केंद्र सरकार ने आपातकालीन स्थिति में कोरोना मरीजों और कोरोना के फ्रंटलाइन वर्कर्स को देने की अनुमति दी है. केंद्र सरकार ने इसके साथ ही भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को भी अनुमति दी है. इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट के प्रोडक्शन यूनिट में वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाई है.
बीते दिनों सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला और भारत बायोटेक के कृष्णा इल्ला के बीच में बयानबाजी का एक दौर चला था, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था. हुआ यूं था कि जब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई तब सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला का एक बयान आया. जिसमें उन्होंने सिर्फ ऑक्सपोर्ड, मॉर्डना और फाइजर की वैक्सीन को सुरक्षित बताया और अन्य को पानी की तरह बताया.
ये बयान भारत बायोटैक को नागवार गुजरा, जिसके बाद भारत बायोटेक के कृष्णा एल्ला ने कहा कि उन्हें ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी. हमने अपना काम ईमानदारी से किया है, लेकिन कोई हमारी वैक्सीन को पानी कहे तो बिल्कुल मंजूर नहीं होगा. हम भी वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने अपना काम किया है.
इसके बाद, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की ओर से मंगलवार को साझा बयान जारी किया गया है. दोनों ही संस्थानों ने पूरे देश में सही तरीके से कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के प्रयासों की बात कही है. दोनों कंपनियों ने साझा बयान कर जारी किया, ‘अदार पूनावाला और कृष्णा इल्ला ने देश में कोरोना वैक्सीन को बनाने, सप्लाई करने और दुनिया तक पहुंचाने को लेकर चर्चा की. दोनों ही संस्थानों का मानना है कि इस वक्त भारत और दुनिया के लोगों की जान बचाना बड़ा लक्ष्य है’.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड का तेजी से उत्पादन करने में जुटी है. एजेडडी 1222 वैक्सीन का भारतीय वर्जन कोविशील्ड है. इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है. हालांकि इसका उत्पादन भारत में हो रहा है. इसकी करीब 8 करोड़ डोज सीरम इंस्टीट्यूट के पास है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा था कि साल के अंत तक ये भारत में कोविशील्ड की 30 करोड़ डोज का उत्पादन करेंगे. इसके अलावा कंपनी के प्रमुख अदार पूनावाला ने कहा था कि जब भी हम उत्पादन करना शुरू करेंगे तो इस वैक्सीन का आधा हिस्सा पहले भारत के लोगों के लिए होगा, बाकी आधा हिस्सा दुनिया के अन्य देशों के लिए होगा.
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों में कोरोना वैक्सीनेशन का काम शुरू हो चुका है. भारत में भी कोरोना के फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे- मेडिकल स्टाफ, डॉक्टर्स, सैनिक, पुलिस आदि को सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन दी जाएंगी. इसके बाद बाकी लोगों के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि पूरे देश में बहुत जल्द वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होगा. हालांकि कई राज्यों में कोरोना वैक्सीन का ड्राई रन शुरू हो चुका है.
सरकार पहले ही यह ऐलान कर चुकी है कि सबसे पहले कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई रहे 3 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई जाएगी, जिनमें एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी हैं. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हाल ही में कहा था कि सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन फ्री में लगाई जाएगी. सरकार का टारगेट है कि वैक्सीनेशन के पहले चरण को अगस्त तक खत्म किया जाए.
इसके अलावा 27 करोड़ अन्य लोगों का भी वैक्सीनेशन होगा. ये लोग 50 साल से अधिक उम्र या 50 साल से कम उम्र के वो लोग जो किसी बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें वैक्सीन दी जाएगी. इन लोगों के वैक्सीनेशन का प्रोग्राम उम्मीद है कि जुलाई महीने से शुरू होगा. इसे एक महीने में पूरा करने का टारगेट बनाया गया है. (सभी फोटोः गोपाल हार्ने)