खतरनाक कोरोना वायरस एक लिहाज से ‘पॉजिटिव’ यानी अच्छा इसलिए है क्योंकि इसका ‘आर नॉट फैक्टर’ कम है. ये नाम आपने हॉलीवुड फिल्म ‘Contagion’ देखते वक्त सुना होगा.
एम्स से एमडी, क्लीनिकल रिसर्च नेटवर्क इंडिया के सीईओ, और वैक्सीन एक्पर्ट डॉ. अनित सिंह का कहना है कि पब्लिश लिटरेचर और वैज्ञानिक अध्ययनों में पता लगा है कि कोरोना का आर नॉट (कंटेजियस सेक्टर) 1.5-3 की रेंज का है. यानी 60 से 70 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन दे दें तो हर्ड इम्यूनिटी डिवेलप हो जाएगी. जबकि मीजल्स और पोलियो में आर नॉट फैक्टर ज्यादा होता है. मतलब मीजल्स में 80 फीसदी से ज्यादा को वैक्सीन से कवर करने की जरूरत होती है. तो इस लिहाज से कोरोना में आर नाट फैक्टर कम होता है.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...
'कोविड-19 में सिर्फ 60 से 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन दी जाए'
हर्ड इम्यूनिटी को आसान शब्दों में कुछ इस तरह से कह सकते हैं कि अगर आज कोरोना की वैक्सीन आ जाए और 60 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन दे दिया तो बचे 40 प्रतिशत लोग खुद की इम्यून हो जाएंगे. यानी 40 प्रतिशत को अपने-आप प्रोटेक्शन मिल जाएगी. दूसरे केस में यह भी है कि अगर 60 प्रतिशत लोग संक्रमित हो जाते हैं तो बचे लोग भी खुद इम्यून हो जाएंगे. हर्ड इम्यूनिटी या हर्ड प्रोटेक्शन वैक्सीन से पाया जाता है.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
एम्स से एमडी और वैक्सीन एक्पर्ट डॉ. अनित सिंह कहते हैं कि पोलियो, खसरा, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों में वैक्सीन से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त की गई और लोगों को इसका लाभ भी मिला है. कोविड-19 में अगर 60 से 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन दे दी जाए तो हर्ड इम्यूनिटी का स्तर आसानी से पाया जा सकता है. भारत में सिनोफी, भारत बायोटेक, सीरम, पैनेसिया बायोटेक जैसी कंपनियां कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जुटी हुई हैं. वहीं एम्स के इम्यूनिटी एक्सपर्ट डॉ. विवेक दीक्षित ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नेचुरल तरीके से भी कोरोना से लड़ा जा सकता है.
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें