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दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के लिए हो रही एडवांस डील, जानें कितनी होगी कीमत?

जरूरी इम्युनिटी प्रतिक्रिया की क्षमता के लिए वैक्सीन की दो खुरा​क बेहतर परिणाम दे सकती है. एक शीर्ष फार्मा कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया, “भारत सहित कई देशों में शुरुआत में इमरजेंसी यूजर्स के लिए वैक्सीन की कीमत पर सब्सिडी होगी. लेकिन साल-डेढ़ साल के बाद इसकी कीमतें बाजार द्वारा तय की जाएंगी.”

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दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के लिए करीब 170 रिसर्च जारी (सांकेतिक-पीटीआई)
दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के लिए करीब 170 रिसर्च जारी (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दो खुराक की कीमत 450 से 5,500 रुपये के बीच के आसार
  • सीरम के CEO- वैक्सीन की कीमत कुछ सौ रुपये होगी
  • कोरोना वैक्सीन के लिए अलग-अलग करीब 170 रिसर्च जारी

कोरोना वायरस से 30 अक्टूबर तक दुनिया भर में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और अब तक 11 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. महामारी को नियंत्रित करने के लिए दुनिया की करीब 60-70 फीसदी आबादी (5.5 अरब से ज्यादा) का सही ढंग से टीकाकरण (Vaccination) कराने की जरूरत है.

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दुनिया के सभी देश जल्द से जल्द इम्युनिटी के लिए एक वैक्सीन की तलाश में हैं. एक अदद कोरोना वैक्सीन की दौड़ के बीच ये बहस भी चल रही है कि इसकी कीमत कितनी होगी. बिल गेट्स समेत तमाम सार्वजनिक स्वास्थ्य के पक्षधर लोगों का कहना है कि कम से कम गरीब देशों में वैक्सीन की कीमत की एक सीमा होनी चाहिए.

वैक्सीन की कीमत
हालांकि, कोरोना वैक्सनी की कीमत अभी कहीं भी आधिकारिक रूप से तय नहीं हैं, लेकिन शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 450 रुपये से 5,500 रुपये के बीच हो सकती है. वैश्विक स्तर पर अपनी संभावित वैक्सीन लॉन्च करने की तैयारी कर रही कंपनी मॉडर्ना ने एक खुराक की कीमत 32 से 37 डॉलर (करीब 2,738 रुपये) के बीच आंकी है. मॉडर्ना 'mRNA-1273' नाम की वैक्सीन पर काम कर रही है.

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, जरूरी इम्यूनोजेनेसिटी (इम्युनिटी प्रतिक्रिया की क्षमता) के लिए वैक्सीन की दो खुरा​क बेहतर परिणाम दे सकती है. एक शीर्ष फार्मा कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया, “भारत सहित कई देशों में शुरुआत में इमरजेंसी यूजर्स के लिए वैक्सीन की कीमत पर सब्सिडी होगी. लेकिन साल-डेढ़ साल के बाद इसकी कीमतें बाजार द्वारा तय की जाएंगी.”

सूत्रों के मुताबिक, भारत में एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 700 रुपये से लेकर 2,000 रुपये के बीच हो सकती है. भारत में इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) करेगी जो कि दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है. हालांकि, अभी इसकी कीमत तय नहीं की गई है. डिस्ट्रीब्यूशन के लिए लाइसेंस प्राप्त होने के बाद ही वैक्सीन का अंतिम मूल्य घोषित किया जाएगा.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला ने इंडिया टुडे को बताया, “वर्तमान में हम सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में सर्वोच्च अधिकारियों से बात कर रहे हैं. फिलहाल हम वैक्सीन की कीमत को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन ये कह सकते हैं कि इसकी कीमत कुछ सौ रुपये होगी.”
 
तो कैसे होगा कीमत का निर्धारण
कोरोना वैक्सीन की कीमत खासतौर से इसके रिसर्च और डेवलपमेंट में लगी कीमत और ट्रायल के नतीजे पर निर्भर करेगी. कोरोना वैक्सीन पर अलग-अलग करीब 170 रिसर्च चल रहे हैं और इनमें से 50 वैक्सीन का ह्युमन ट्रायल चल रहा है. दुनिया भर की सरकारों और सुपर-रिच लोगों ने इस रेस में बहुत पैसा लगाया है. इनमें से 10 वैक्सीन पिछले छह महीने के दौरान ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं.

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हालांकि, ट्रायल अभी खत्म नहीं हुए हैं, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और रूस जैसे देशों ने पहले से ही फ्रंटरनर उत्पादकों के साथ समझौता कर लिया है ताकि सबसे पहले वैक्सीन उन्हें मिले. वैक्सीन निर्माता कंपनियों पर दबाव पड़ रहा है कि वैक्सीन सस्ती भी रहे और निवेशकों को भी फायदा पहुंचे. इन कंपनियों को जल्दी और सस्ते उत्पादन के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत है. इसके लिए कंपनियां विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)से लेकर सरकारों तक से करार कर रही हैं.

मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसल ने गुरुवार को एक प्रेस रिलीज के जरिये कहा, “हम mRNA-1273 लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं और दुनिया भर में सप्लाई के लिए सरकारों के साथ हमने कई एग्रीमेंट किए हैं.”

एडवांस एग्रीमेंट 
कोविड-19 वैक्सीन की कीमतों का अनुमान कंपनियों और देशों के बीच एडवांस में हुए समझौतों पर आधारित है. उदाहरण के लिए, मॉडर्ना अपनी संभावति वैक्सीन की दो खुराक के लिए 50 से 60 डॉलर पर समझौते कर रही है. दूसरी तरफ फिजर और बायोएनटेक के साथ अमेरिका के समझौते में दो खुराक वैक्सीन की कीमत 39 डॉलर है. एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड ने चार यूरोपीय देशों के साथ इससे चार गुना कम कीमत (प्रति दो खुराक 6 से 8 डॉलर) पर समझौता किया है.

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इसी तरह जॉनसन एंड जॉनसन, सनोफी और जीएसके जैसी कंपनियों ने यूरोप में अपनी वैक्सीन की दो खुराक के लिए 20 डॉलर पर समझौता किया है. चीन में वैक्सीन की फ्रंट्रनर कंपनी सिनोवैक ने कुछ शहरों में इमरजेंसी प्रोग्राम के तहत अपनी वैक्सीन 60 डॉलर में बेचनी शुरू कर दी है.

अमेरिकी सरकार ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ 10 अरब डॉलर की एडवांस डील की है. अमेरिकी सरकार ने पब्लिक फंड से 10 अरब डॉलर का निवेश करके "ऑपरेशन वार्प स्पीड" (OWS) नाम से एक स्पेशल फाइनेंशियल व्हिकल बनाया गया है जिसका मकसद वैक्सीन की आपूर्ति करना है.

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कुछ फार्मा कंपनियों ने आर्थिक प्रबंध के लिए अग्रिम समझौता किया है जिसके तहत उन्हें वैक्सीन विकसित करने के लिए कुछ एडवांस पैसा भी मिल गया है. उदाहरण के लिए, फिजर ने अमेरिका से 1.9 अरब डॉलर का समझौता किया है कि अगर वह सफलतापूर्वक वैक्सीन विकसित कर लेती है तो उसे 10 करोड़ डोज की सप्लाई करेगी. जबकि मॉडर्ना एडवांस फंडिंग पर निर्भर है. कंपनी को अपने प्री-क्लिीनिकल रिसर्च, पहले और दूसरे चरण के ट्रायल के लिए 483 मिलियन डॉलर का फंड मिला है. इसके अलावा तीसरे चरण के ट्रायल के लिए कंपनी को 472 मिलियन डॉलर का एक और फंड मिला है.
 
इसी तरह ब्रिटेन ने भी बायोएनटेक-फिजर, एस्ट्राजेनेका, वालनेवा और जीएसके/सनोफी जैसी फार्मा कंपनियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
 
वैक्सीन राष्ट्रवाद से होगा नुकसान
 
कम और मध्यम आय वाले देशों तक वैक्सीन की पहुंच बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने अपने कुछ अन्य पार्टनर्स के साथ मिलकर 'कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस फैसिलिटी' (COVAX) नाम से एक प्लेटफॉर्म का गठन किया है. ये प्लेटफॉर्म डब्ल्यूएचओ, ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्यूनाइजेशन (GAVI) और कोएलीशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इन्नोवेशन (CEPI) द्वारा अप्रैल में लॉन्च किया गया था.

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पिछले महीने GAVI और गेट्स फाउंडेशन ने एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स की वैक्सीन की 20 करोड़ खुराक तक की डिलीवरी के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ समझौता किया है.

COVAX की पहल पर 180 देशों ने हस्ताक्षर किया है. हालांकि, डब्ल्यूएचओ अब भी अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख वैक्सीन-निर्माता देशों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. फिलहाल COVAX नौ वैक्सीन को विकसित करने में मदद कर रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, 2021 के अंत तक COVAX तकरीबन 2 अरब खुराक वैक्सीन खरीद सकता है.

हालांकि, कुछ देशों ने घोषणा की है कि वे वैश्विक स्तर पर मदद करने से पहले अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन मुहैया कराएंगे. रिसर्च संगठन रैंड यूरोप (RAND Europe) ने चेतावनी दी है कि वैक्सीन राष्ट्रवाद (vaccine nationalism) की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. रैंड यूरोप के अध्ययन में कहा गया है, “वैक्सीन राष्ट्रवाद के कारण कोरोना वैक्सीन के वितरण में असमानता आ सकती है और जीडीपी के संदर्भ में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.2 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष तक की कीमत चुकानी पड़ सकती है.”

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