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देश में अब कोरोना संक्रमण का खतरा गांवों में भी मंडराने लगा है. कई गांवों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है. उसकी वजह ये है कि इन गांवों ने खुद से ही ऐसे नियम-कायदे बनाए और उनका सख्ती से पालन किया, जिससे कोरोना न फैले. आज हम उन्हीं गांवों की कहानी आपके सामने लेकर आए हैं, जिन्होंने अपने प्रबंधन से वायरस को काबू में किया.
ये कहानियां हैं राजस्थान के फतेहपुर शेखावटी के गांवों की, जहां ग्रामीणों ने कोरोना को गांव में घुसने नहीं दिया. चूरू की बीदासर तहसील की बालेरा ग्राम पंचायत में चार गांव आते हैं. इनमें कोई कोरोना रोगी नहीं है. चारों गांवों के ग्रामीणों की सजगता से ऐसा संभव हो पाया है. ग्राम पंचायत में करीब 4500 वोटर हैं. हर गांव में युवाओं की टीम बना रखी है.
इसके अलावा ग्रामीणों ने मार्च में ही शादी में हजारों लोगों के भोज और मृत्युभोज पर भीड़ एकत्रित होने पर रोक लगा दी थी. गांव के लोग बेवजह घरों से बाहर नहीं निकलते. दूसरी जगह से आए लोगों को गांव में प्रवेश देने से पहले सैनिटाइज किया जाता है. गांव के हर घर में युवाओं की टीमों ने मास्क बांटे हैं. इन गांवों के आसपास दूंकर, बीदासर सहित अन्य गांवों में कोरोना फैल रहा है, लेकिन यहां के ग्रामीण सजग हैं. कोरोना की पहली लहर में पिछले साल भी बालेरा पंचायत में सिर्फ दो लोग पॉजिटिव आए थे जो रिकवर हो गए थे.
अप्रैल में करीब 500 श्रमिक और व्यवसायी गुजरात, दिल्ली, सूरत, जयपुर आदि जगहों से आए. उन्हें 15 दिन ग्रामीणों ने घर में ही क्वारनटीन किया. सर्दी-जुकाम या खांसी होने पर दवाई, काढ़ा, गर्म पानी पिलाया गया. उनके खाने-पीने की व्यवस्था अलग से की गई. गांव के हर घर के मुखिया और युवाओं को बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलने की हिदायत दी गई है.
गांव में कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया
ग्रामीण रामलाल जाट और अमराराम बिजारणियां ने बताया कि गांव में राज्य सरकार के निर्देश के बाद कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया गया है. किराने-सब्जियों की दुकानें सीमित हैं. उन्हें भी सुबह 11 बजे तक ही खोला जाता है. सर्दी-जुकाम होने पर मरीज को अलग रखा जाता है. गांव में हर घर में दवाई किट बांटे गए हैं. लोग ज्यादातर सूखी सब्जियां बना रहे हैं.
कोरोना की जांच और वैक्सीन पर भी जोर
इन गांवों में किसी के भी हल्का सा बीमार होने पर उसकी आरटी-पीसीआर जांच कराई जाती है. शुरू में जब 45 साल के ऊपर के लोगों को वैक्सीन लग रही थी तो ग्रामीणों ने सजग होकर वैक्सीनेशन करवाया. अब युवा भी वैक्सीनेशन करवा रहे हैं. गांव के चेक पॉइंट, मंदिर और सार्वजनिक स्थलों पर ग्रामीण एकत्रित नहीं होते हैं और न ही एक दूसरे के घर आते-जाते हैं. इस पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है.
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मामूली जुकाम-बुखार को भी हल्के में नहीं लेते
फतेहपुर के बीकमसरा की आबादी 900 है और अब तक एक भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं आया है. जबकि आसपास के मांडेला बड़ा, मांडेला छोटा, नयाबास, कारंगा छोटा जैसे गांव में कई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं. पूर्व पंचायत समिति सदस्य विकास भास्कर बताते हैं कि बीकमसरा में कोरोना की पहली लहर और अब दूसरी लहर में भी कोई व्यक्ति पॉजिटिव नहीं आया. इसका कारण है कि गांव के लोग सेहत को लेकर बिल्कुल लापरवाही नहीं बरत रहे. थोड़ी सी भी सर्दी, बुखार, खांसी की शिकायत होने पर तुरंत फतेहपुर जाकर इलाज करवाते हैं. मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन किया जाता है.
विकास भास्कर आगे बताते हैं कि गांव के 70 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग टीके की दोनों डोज लगवा चुके हैं. 18 से 44 साल के भी अधिकतर युवा टीके की पहली डोज लगवा चुके हैं. बीडीओ सुनील ढाका ने बताया कि ग्रामीण काफी सजग हैं और कोविड नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं जिसके चलते ही कोरोना महामारी से बच पाए हैं.
(रिपोर्टः राकेश गुर्जर)