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अगले हफ्ते से टीकाकरण, जानें लैब से नजदीकी हेल्थ सेंटर तक कैसे पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन?

देश में अगले हफ्ते से टीकाकरण शुरू किए जाने की कवायद शुरू हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि देश में टीकाकरण कार्यक्रम अगले हफ्ते से शुरू हो सकता है. क्या आप जानते हैं कि लैब से निकलकर वैक्सीन को टीक केंद्रों तक कैसे और किस तरह से पहुंचाया जाएगा.

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अगले हफ्ते से देश में शुरू हो सकता है टीकाकरण (सांकेतिक-एपी)
अगले हफ्ते से देश में शुरू हो सकता है टीकाकरण (सांकेतिक-एपी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश में 2 कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को मिली है मंजूरी
  • 'स्वास्थ्यकर्मियों-फ्रंटलाइन वर्कर्स को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं'
  • टीकाकरण कार्यक्रम 10 दिन बाद शुरू हो सकता हैः स्वास्थ्य मंत्रालय

देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में 2 वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद अब टीकाकरण शुरू किए जाने की कवायद शुरू हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि देश में टीकाकरण कार्यक्रम अगले हफ्ते से शुरू हो सकता है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह वैक्सीन लैब से नजदीकी टीका केंद्र में कैसे पहुंचेगी.

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इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण का कार्यक्रम 10 दिन बाद शुरू हो सकता है. कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को लेकर DCGI ने  3 जनवरी (रविवार) को अपनी मंजूरी दी थी. इस लिहाज से 13 या 14 जनवरी से देश में कोरोना वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू हो सकता है.

लोगों तक कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?

वैक्सीन लोगों तक कैसे पहुंचेगी? इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज मंगलवार को बताया कि वैक्सीन कैरियर के जरिए वैक्सीन को कोल्ड चेन प्वाइंटस से सब सेंटर्स (जो कि जिला अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र हो सकता है) तक एक रेफ्रिजरेटर या इंसुलेटेड वैन (पैसिव इक्विपमेंट, आइस बॉक्स या टेम्परेचर कंट्रोल्ड आदि) के जरिए सत्र स्थल पर ले जाया जाएगा.

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में 4 प्राथमिक वैक्सीन स्टोर्स मौजूद हैं. ये वैक्सीन स्टोर्स करनाल, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में है. लैब से वैक्सीन को GMSD डिपो से इन 4 वैक्सीन स्टोर्स तक वायु मार्ग के जरिए भेजा जाएगा. इसके बाद देश में 37 वैक्सीन केंद्र हैं और यहीं पर वैक्सीन को स्टोर किया जाएगा. फिर यहां से वैक्सीन को बल्क में जिला स्तर पर भेजा जाएगा.

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जिला स्तर से इन वैक्सीन को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक फ्रीजर डब्बों में भेजा जाएगा. जहां पर इस वैक्सीन को अंतिम रूप से लोगों को लगाया जाएगा. स्वास्थ्य सचिव भूषण ने यह भी बताया कि भारत में अभी लगभग 29,000 कोल्ड चेन प्वाइंट है जहां इन वैक्सीन को सुरक्षित तरीके से स्टोर कर रखा जा सकता है.

12 भाषाओं में CO-WIN ऐप

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लाभार्थी का रजिस्ट्रेशन साइट पर ही किया जाता है. इसमें खास बात यह है कि स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को CO-WIN ऐप पर खुद का रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी. जब हम जनसंख्या प्राथमिकता समूहों तक पहुंचते हैं तब रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि एक डीएम के रूप में, सेशन को तारीखों और समय (100 या 200 लोगों के लिए सेशन) के अनुसार आवंटित किया जाता है और यह प्रक्रिया डिजिटल स्तर पर की जाएगी. हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में खास बात यह है कि लाभार्थी को जानकारी दी जाएगी और उसका यूनिक हेल्थ आईडी भी जनरेट (15 अगस्त से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन शुरू) की जाएगी . क्यूआर कोड जेनरेट किया जाएगा जिसे मोबाइल या डिजिटल लॉकर में रखा जा सकता है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने बताया कि भारत का CO-WIN ऐप वैश्विक स्तर पर उपलब्ध रहेगा. भारत सरकार का कहना है कि हमने दुनिया के लिए CO-WIN तैयार किया है और अगर दुनिया में कोई भी इस ऐप का उपयोग करना चाहता है तो वे ऐसा कर सकते हैं. यह 12 भाषाओं में उपलब्ध होगा. यही नहीं इस ऐप में चैट बॉक्स की भी सुविधा होगी. साथ ही आईटी पेशेवरों सहित 24 घंटे की हेल्पलाइन होगी.

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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने रविवार को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी. देश में पहले फेज में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी. इनमें स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी.

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