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जॉनसन एंड जॉनसन ने 12-17 साल के किशोरों पर सिंगल शॉट वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए मांगी मंजूरी

जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने 12-17 साल के किशोरों पर सिंगल शॉट जॉनसन वैक्सीन के ट्रायल के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से अनुमति मांगी है. तीसरे चरण के ट्रायल में मिले प्रभाव और सुरक्षा डाटा बताता है कि हमारी सिंगल डोज वैक्सीन गंभीर बीमारी को रोकने में 85% प्रभावी है.

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वैक्सीन ट्रायल की मांगी अनुमति (फाइल फोटो)
वैक्सीन ट्रायल की मांगी अनुमति (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिंगल शॉट जॉनसन वैक्सीन के ट्रायल के लिए मांगी अनुमति
  • 12-17 साल के युवाओं पर होगा क्लीनिक्ल ट्रायल

अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पहले ही मिल गई है. अब इस कंपनी ने भारत में किशोरों पर इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए आवेदन भेजा है.  जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने 12-17 साल के युवाओं पर सिंगल शॉट जैनसेन वैक्सीन के ट्रायल के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से अनुमति मांगी है. तीसरे चरण के ट्रायल में मिले प्रभाव और सुरक्षा डाटा बताता है कि हमारी सिंगल डोज वैक्सीन गंभीर बीमारी को रोकने में 85% प्रभावी है.

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पिछले साल मार्च में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए पहले देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से भारत के अधिकांश स्कूल बंद चल रहे हैं. डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में कई बच्चे वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उनमें से कई लोगों ने नैचुरल इम्युनिटी डेवलप कर ली है. उन्होंने बताया कि सितंबर महीने तक बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. 

कोवैक्सीन के बच्चों पर हो रहे क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती डाटा काफी उत्साहित करने वाले हैं. ऐसे में हम आपको उन वैक्सीन्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके आगामी समय में आने की संभावनाएं हैं...

कोवैक्सीन: न्यूज एजेंसी एएनआई ने एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के हवाले से कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है और सितंबर तक नतीजे आने की उम्मीद है. रणदीप गुलेरिया का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कोवैक्सीन की दूसरी खुराक अगले सप्ताह ट्रायल्स में 2-6 साल के बच्चों को दिए जाने की संभावना है. दिल्ली एम्स में 6-12 साल की उम्र के बच्चों को कोवैक्सीन की दूसरी खुराक पहले ही दी जा चुकी है.

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मॉडर्ना: यूरोप में शुक्रवार को 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मॉडर्ना के कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है. यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने मॉडर्ना के ब्रांड नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा, "12 से 17 साल की उम्र के बच्चों में स्पाइकवैक्स वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों की तरह ही होगा.''हालांकि, ऐसे में देखना होगा कि भारत में यह वैक्सीन आती है कि नहीं और अगर आती है तो कब तक उपलब्ध हो सकेगी.

और पढ़ें- Corona Vaccines for Children: सितंबर तक आ सकती है बच्चों की कोरोना वैक्सीन, देश में ये 5 टीके तैयार होने के करीब

जाइडस कैडिला: जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपने डीएनए-आधारित कोविड -19 टीके ZyCoV-D का क्लीनिकल ट्रायल समाप्त कर लिया है और यह जल्द ही देश में उपलब्ध हो सकता है. 15 जुलाई को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर सचिव सत्येंद्र सिंह ने एक हलफनामे में कहा, "यह सब्मिट किया गया है कि डीएनए वैक्सीन विकसित करने वाली जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपना क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक समाप्त कर लिया है." सिंह ने आगे कहा कि अहमदाबाद स्थित जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन स्टैचुअरी परमिशन के अधीन है और यह निकट भविष्य में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकती है. 

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फाइजर: डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर भारत में फाइजर-बायोएनटेक के टीके को हरी झंडी मिल जाती है तो वह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है. अमेरिकी वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना और फाइजर भारत को अपने कोविड 19 टीकों की सप्लाई करने से पहले एक इंडेम्निटी क्लॉज पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, मॉडर्ना और स्पूतनिक-वी के भारत में बच्चों के लिए टीकों की कोई बात नहीं हो रही है.

 

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