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कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनियाभर में 4 दर्जन वैक्सीन पर ट्रायल एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है. ब्रिटेन और रूस इस हफ्ते से अपने यहां टीकाकरण शुरू करने जा रहे हैं. इसके लिए उनकी मेडिकल अथॉरिटी ने परमिशन भी दे दी है. इसी के साथ भारत में भी लोगों के जेहन में सवाल उठने लगा है कि यहां वैक्सीन कब तक मिलेगी. कौन सी वैक्सीन तैयार है, किसे वैक्सीन मिलेगी और कितनी होगी कीमत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वीकेंड पर वैक्सीन को लेकर राजनीतिक दलों के साथ बैठक की और वैक्सीन लैब्स के अपने दौरे का अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि वैक्सीन पर सफलता से अब भारत कुछ ही हफ्ते दूर है. उन्होंने बताया कि 8 वैक्सीन पर भारत में काम चल रहा है. इस बीच, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने भारत में अपनी कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारतीय दवा नियामक- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी है. ब्रिटेन और बहरीन में पहले ही मंजूरी मिल गई है.
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की ओर से आ रही महंगी वैक्सीन और बुकिंग की रेस को देखते हुए दुनिया के गरीब देशों को भी भारत से काफी उम्मीदें हैं कि उन्हें ज्यादा मात्रा में और कम कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगी. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत अब तक दुनियाभर में सबसे अधिक 1.6 बिलियन यानी 60 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दे चुका है. हम आपको बताते हैं कि भारत को किन 8 वैक्सीन से उम्मीद है और वे अभी किस स्टेज में हैं और कहां बन रही हैं.
1. Covishield
भारत को सबसे ज्यादा उम्मीद ऑक्सफोर्ड और AstraZeneca द्वारा विकसित की जा रही Covishield वैक्सीन से है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसे विकसित कर रहा है. ऑक्सफोर्ड ने इसे ट्रायल में प्रभावी बताया है. ऑक्सफोर्ड के अनुसार वैक्सीन की जिन दो डोज पर ट्रायल किया गया उनमें संयुक्त रूप से 70 फीसदी कामयाबी मिली. अगर अलग-अलग डोज की बात करें तो पहली डोज की सफलता 90 फीसदी और दूसरी डोज की 62 फीसदी तक रिकॉर्ड की गई है.
इसके ट्रायल में डोज को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं लेकिन फिर से ट्रायल होने जा रहा है जनवरी में इसके नतीजे भी आ जाएंगे. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का डोज तैयार किया जा रहा है. इसकी कीमत भारत में हर डोज की 500 से 600 रुपये तक हो सकती है. भारत के अलावा ब्रिटेन समेत कई देशों और गरीब देशों को भी सस्ती कीमत पर इस वैक्सीन को उपलब्ध कराने का प्लान है.
2. COVAXIN
भारत सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के साथ मिलकर तैयार हो रहे स्वदेशी COVAXIN पर भी काफी दारोमदार है. इस वैक्सीन का ट्रायल तीसरे फेज में हैं और इस फेज में 26,000 लोगों पर परीक्षण हो रहा है. ट्रायल के दौरान इसमें करीब 60 प्रतिशत से अधिक सफलता दर्ज की गई है. कंपनी की ओर से इस वैक्सीन की करीब 500 मिलियन डोज बनाने की तैयारी की जा रही है. सबसे खास बात है कि इसे स्टोर करने के लिए फ्रिजर की जरूरत नहीं है बल्कि इसे सामान्य फ्रीज में 2 से 8 डिग्री तापमान में भी रखा जा सकता है. भारत के ग्रामीण इलाकों और तीसरी दुनिया के देशों में भी इसे काफी कारगर माना जा रहा है.
3. Zycov D
अहमदाबाद स्थित Zydus Cadila की लैब में तैयार Zycov D वैक्सीन भारत की ऐसी तीसरी वैक्सीन है जिसे तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मिल गई है. जाइडस कैडिला ने दो चरणों का ह्यूमैन ट्रायल पूरा कर लिया है उसके नतीजों के आधार पर वैक्सीन को प्रभावी बताया है. कंपनी के अनुसार लोगों को इस वैक्सीन की एक ही खुराक दी जाएगी.
जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल के मुताबिक अभी लक्ष्य मार्च 2021 तक वैक्सीन का ट्रायल पूरा करने का है. इसके बाद उनकी कंपनी एक साल में 100 मिलियन खुराक का उत्पादन कर सकेगी. यह एक डीएनए वैक्सीन है और इंसानों के साथ-साथ कई अन्य जीवों पर भी इसका ट्रायल हो रहा है. भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा फंडेड होने के कारण इस वैक्सीन की कीमत भी कम होने का अनुमान है.
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4. Sputnik V वैक्सीन
रूस की स्पुतनिक V का भी भारत में ट्रायल जारी है. इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि ट्रायल के दौरान यह 91.4 फीसदी प्रभावी पाई गई है. भारत में भी इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा. भारत ने इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज बुक की है. भारत में हैदराबाद स्थित Dr Reddy’s Laboratories इसका ट्रायल कर रही है. इस वैक्सीन को -18 डिग्री तक के तापमान में स्टोर किया जा सकता है.
5. फाइजर की BNT162b2 वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी BioNTech की वैक्सीन ने पिछले हफ्ते तब तहलका मचा दिया जब ब्रिटेन में इसे मास लेवल पर टीकाकरण की अनुमति मिल गई. इस हफ्ते से ब्रिटेन में इस वैक्सीन का टीकाकरण शुरू होगा. बेल्जियम में तैयार होकर यह वैक्सीन ब्रिटेन पहुंच रही है. आरएनए बेस्ड इस वैक्सीन को ट्रायल में 95 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है. फाइजर ने भारत में अपनी कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारतीय दवा नियामक- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी है. ब्रिटेन और बहरीन में पहले ही मंजूरी मिल गई है.
हालांकि, इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री तक का तापमान चाहिए होगा जो कि भारत और अन्य देशों के लिए काफी मुश्किल टास्क होगा. इसी कारण भारत में फाइजर-बॉयोएनटेक वैक्सीन की बातचीत अभी प्रोसेस में है.
6. Moderna की mRNA-1273 वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी Moderna की वैक्सीन भी भारत के लिए बड़ी उम्मीद है. इस वैक्सीन का नाम mRNA-1273 है. मॉडर्ना और NIAID का दावा है कि उनकी वैक्सीन ने 94.5 फीसदी तक सफलता साबित की है. इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -20 डिग्री तक का तापमान चाहिए. हालांकि ये वैक्सीन महंगी हो सकती है. 25 डॉलर से 37 डॉलर तक. इस वैक्सीन से तैयार इम्युनिटी का शरीर पर 3 से 4 महीने तक असर बना रह सकता है. कोरोना वैक्सीन को सस्ते में दुनियाभर में मुहैया कराने के लिए शुरू डब्ल्यूएचओ की कोवैक्स परियोजना के तहत यह वैक्सीन भारत आ सकती है.
7. Biological E की Ad26.COV2.S वैक्सीन
हैदराबाद की कंपनी Biological E लिमिटेड ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के साथ इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए समझौता किया है. यह सिंगल डोज वैक्सीन है. इस वैक्सीन के फेज 1 और फेज 2 का ट्रायल चल रहा है. फेज 1 में डोज को लेकर और फेज 2 में इसके प्रभाव को लेकर क्लीनिकल ट्रायल जारी है.
8. Gennova Biopharmaceuticals की वैक्सीन
पुणे स्थित Gennova Biopharmaceuticals द्वारा तैयार की जा रही आरएनए बेस्ड वैक्सीन से भी भारत को काफी उम्मीदें हैं. इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर किया जा सकता है.
चीन के वुहान से शुरू हुई कोरोना महामारी का कहर दुनियाभर में थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. अब तक 6 करोड़ 70 लाख के आसपास संक्रमण के केस आ चुके हैं और 15 लाख से अधिक लोगों की इस वायरस के संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है. अमेरिका और ब्राजील के साथ भारत में इस संक्रमण के मामले सबसे तेज हैं. देश में 97 लाख के करीब मरीज अबतक सामने आ चुके हैं और एक लाख 40 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. अब लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना की वैक्सीन आएगी और उन्हें इस महामारी से राहत दिलाएगी.