ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीका की कोरोना से बचाने में औसत सफलता दर 70% तक रही है. AstraZeneca ने एक बयान में यह जानकारी दी है. हालांकि अलग-अलग डोज के हिसाब से सफलता 62 से 90 फीसदी तक रही. यह भारत के लिए भी राहत की खबर है, क्योंकि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसी टीके के उत्पादन में लगा है और इसका सरकार वितरण कर सकता है.
क्या कहा एस्ट्रोजेनेका ने
बयान के अनुसार दो तरह से दी गई डोज में टीके की प्रभावशीलता पहली बार में 90 फीसदी और दूसरी डोज में करीब 62 फीसदी रही है. पहली बार में आधी डोज, फिर एक पूरी डोज दी गई, जबकि दूसरे परीक्षण में एक-एक कर दो डोज दी गई.
एस्ट्रोजेनेका ने कहा कि कोविड-19 टीके के तीसरे चरण के परीक्षण में देखा गया कि रोग पर काबू पाने में यह टीका 'काफी प्रभावी' रहा है. इस टीके पर काम करने वाले प्रमुख रिसर्चर डॉ. एंड्र्यू पोलार्ड ने बताया कि इसके नतीजों से वैज्ञानिकों में खुशी है.'
उन्होंने कहा, 'इन निष्कर्षों से हमने देखा कि यह टीका काफी प्रभावशाली है और इनसे लाखों लोगों की जानें बचायी जा सकती हैं.' गौरतलब है कि इसके पहले दो अन्य टीका निर्माताओं फाइजर और मॉडर्ना ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि प्रारंभिक नतीजों में उनका कोविड-19 टीका करीब 95 फीसदी तक प्रभावी रहा है.
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भारत में भी बन रहा टीका
गौरतलब है कि भारत में पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके के उत्पादन का कॉन्ट्रैक्ट मिला हुआ है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के CEO अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) का कहना है कि भारत में आम लोगों को ऑक्सफोर्ड की COVID-19 वैक्सीन अप्रैल से मिलने लगेगी.
पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन सस्ती और सुरक्षित है साथ ही इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. इस तापमान पर भारत के ठंडे इलाकों में इस वैक्सीन को स्टोर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट की योजना फरवरी से हर माह लगभग 10 करोड़ डोज बनाने की है.
भारत में चार दवा कंपनियां अपने टीकों के क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे या तीसरे चरण में हैं. केंद्र सरकार सीरम इंस्टीट्यूट को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग को मंजूरी दे सकती है. इसे ब्रिटेन में मंजूरी मिलते ही भारत सरकार भी एसआईआई को मंजूरी दे देगी.