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पटना: कोरोना को पूरे परिवार ने मिलकर हराया, कहा- आत्मविश्वास मजबूत रखना बेहद जरूरी

मंजूषा का पटना एम्स में इलाज चल रहा था, उसी दौरान उनके पति मुकुल (50) और मोहिता (20) अपने घर पर ही आइसोलेट हो गए और दवाइयां लेते रहे. मंजूषा बताती हैं कि पटना एम्स में बिताया गया एक हफ्ता उनके लिए एक भयानक सपने की तरह था. उनका कहना था कि शुरुआत के 3 दिनों में उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह जिंदा नहीं बचेंगी.

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पटना का परिवार जिसने कोरोना को हरा दिया है
पटना का परिवार जिसने कोरोना को हरा दिया है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • परिवार के तीनों सदस्यों को हो गया था कोरोना
  • दो का इलाज घर पर हुआ, एक का अस्पताल में
  • अब तीनों स्वस्थ्य हैं, और घर पर हैं

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में कई लोग अपनी जान गवा चुके हैं,  मगर ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने इस जानलेवा बीमारी को हराया है और स्वस्थ्य  होकर घर लौटे हैं. पटना की मंजूषा शाही, उनके पति मुकुल शाही और बेटी मोहिता शाही भी एक ऐसा परिवार है जो एक साथ इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हुआ और फिर सभी का इलाज एक साथ चला और आज के दिन पूरा परिवार एक साथ वापस अपने घर आ चुका है.

47 वर्षीय मंजूषा शाही बताती हैं कि उन्हें 7 अप्रैल को संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए, जिसके बाद उन्होंने 10 अप्रैल को अपना आरटी पीसीआर टेस्ट कराया जिसमें वह पॉजिटिव पाई गई. मंजूषा बताती हैं कि इसके बाद उन्होंने घर पर ही दवाइयां लेनी शुरू कीं, मगर उनकी हालत नहीं सुधरी. इधर 3 दिन के बाद उनके पति मुकुल और बेटी मोहिता को भी संक्रमण के लक्षण नजर आने लगे.

मंजूषा का कहना है क्योंकि उनकी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब हो रही थी ऐसे में उनके बड़े भाई गौरव राय ने उन्हें 19 अप्रैल को पटना के एम्स में भर्ती करवाया. मंजूषा ने कहा “मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो रही थी और उस दौरान किसी भी अस्पताल में बेड भी नहीं मिल रहा था. मेरे भाई ने काफी कोशिश के बाद पटना के एम्स में मेरे लिए एक बेड उपलब्ध करवाया”.

इस दौरान मंजूषा का पटना एम्स में इलाज चल रहा था, उसी दौरान उनके पति मुकुल (50) और मोहिता (20) अपने घर पर ही आइसोलेट हो गए और दवाइयां लेते रहे. मंजूषा बताती हैं कि पटना एम्स में बिताया गया एक हफ्ता उनके लिए एक भयानक सपने की तरह था. उनका कहना था कि शुरुआत के 3 दिनों में उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह जिंदा नहीं बचेंगी.

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उन्होंने बताया कि उनका आत्मविश्वास भी बिल्कुल खत्म हो चुका था, मगर चौथे दिन से उन्होंने अपने परिवार के लिए हिम्मत जुटाई और फिर 25 अप्रैल को ठीक होकर वापस घर लौट आईं. इसी दौरान मुकुल और उनकी बेटी मोहिता भी घर पर ही संक्रमण को हराने में कामयाब रहे. बेटी मोहिता बताती हैं कि जब वह और उनके पिता घर पर अपना इलाज कर रहे थे तो वे लोग लगातार अपनी मां से अस्पताल में फोन पर बात कर उनकी हिम्मत और हौसला बढ़ाया करते थे.

मोहिता शाही ने कहा “हम लोग क्योंकि अस्पताल जाकर अपनी मां से मिल नहीं सकते थे इसीलिए हम लोग फोन पर ही उनसे लगातार बात करते थे और उनका आत्मविश्वास बढ़ाते रहते थे. मैं और मेरे पिता घर पर ही अपना इलाज कर रहे थे”,

तकरीबन 3 हफ्ते तक संक्रमण से लड़ने के बाद आज मंजूषा, मुकुल और मोहिता एक साथ वापस अपने घर पर हैं. कोविड-19 संक्रमण को लेकर आम तौर पर यह धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो किस की जान भी जा सकती है मगर ऐसा कतई भी नहीं है.

सभी नियमों का पालन किया जाए और सही उपचार मिले तो फिर इंसान इस जानलेवा बीमारी पर जीत हासिल कर सकता है. ऐसे लोग जो कोविड-19 पर जीत हासिल करते हैं, उन्हें कोविड-19 सर्वाइवर कहा  जाता है.

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