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बिहार: 15 दिन में 10 मर गए, फिर भी टेस्टिंग और वैक्सीन के लिए तैयार नहीं गांव वाले

आजतक की टीम बिहार के मुंगेर जिले की अफजल नगर पंचायत के खुदीया गांव पहुंची. इस गांव में पहुंचने पर आजतक ने इस पंचायत के मुखिया शशि कुमार सुमन से बातचीत की तो उन्होंने खुदीया की स्थिति के बारे में जो बताया वह रोंगटे खड़े करने वाली थी. मुखिया शशि कुमार सुमन ने बताया कि इस गांव में पंद्रह दिनों के अंदर ऐसे दस लोगों की मौत हुई है जो सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने मे दिक्कत से पीड़ित थे.

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गांव के लोगों में वैक्सीन को लेकर है भारी डर
गांव के लोगों में वैक्सीन को लेकर है भारी डर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना वैक्सीन और टेस्टिंग से डर रहे हैं ग्रामीण
  • स्वास्थ्य टीम बिना कोई टेस्ट किए गई वापस
  • सौ करीब लोगों में सर्दी झुकाम
  • दस लोगों की हो चुकी है मौत

एक और जहां पूरा देश कोरोना संक्रमण से जुझ रहा है और लगातार इस संक्रमण से रोजाना हजारों लोगों की मौतें हो रही है. बाबजूद इसके गांव के लोग जागरुकता की कमी कहें या अपनी जिद की वजह से, वे ना तो कोरोना जांच कराने के लिए तैयार हैं और ना ही वैक्सीन ही लेने को तैयार हैं. यहां कई बार स्वास्थ्य विभाग की टीम इस गांव में वैक्सीन लगाने और कोरोना जांच करने के लिए आई है, लेकिन उन्हें बेरंग वापस लौटना पड़ा.

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इस बात की हकीकत जानने के लिए आजतक की टीम तारापुर प्रखंड के अफजलनगर पंचायत के खुदीया गांव पहुंची. इस गांव में पहुंचने पर आजतक ने इस पंचायत के मुखिया शशि कुमार सुमन से बातचीत की तो उन्होंने खुदीया की स्थिति के बारे में जो बताया वह रोंगटे खड़े करने वाली थी. मुखिया शशि कुमार सुमन ने बताया कि इस गांव में पंद्रह दिनों के अंदर दस ऐसे व्यक्तियों की मौत हुई है जो सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने मे दिक्कत से पीड़ित थे.

उन्होंने बताया कि ये दस लोग जिनकी मौत हुई है उनकी उम्र 40 से 50 वर्ष के आसपास थी और एक व्यक्ति 80 वर्ष के थे. मुखिया शशि कुमार सुमन ने आगे बताया कि गांव मे इस वक्त सौ से ज्यादा लोग सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन कोरोना जांच कराने के लिए तैयार नहीं हैं और गाँव में ही ग्रामीण चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं. इस पंचायत की कुल आबादी 12 हज़ार के करीब है जबकि दस हजार सिर्फ खुदीया गांव की आबादी है.

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मुखिया शशि कुमार सुमन ने आजतक को आगे बताया कि आबादी ज्यादा होने के कारण हम लोगों की पहल से एक सप्ताह पूर्व तारापुर से स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा कोरोना जांच और टीका लगाने के लिए यहां शिविर भी लगाया गया, लेकिन एक भी ग्रामीण ना तो टेस्ट कराने आए और ना ही वैक्सीन लगवाने के लिए आया. मुखिया ने बताया कि जांच नहीं कराने और वैक्सीन नहीं लगाने के पीछे ग्रामीणों का तर्क है कि वैक्सीन लगाने से लोगों की मौत हो जाती है. इसलिए हम लोग वैक्सीन नहीं लगाएंगे. लोगों के बीच भय व्याप्त है कि जांच कराने के बाद अगर संक्रमित पाये गये तो हमे क्वारंटीन कर दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इसमें बिहार सरकार पूर्ण रूप से दोषी है क्योंकि ग्रामीण लोगों को जागरूक करने में बिहार सरकार विफल रही है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीम आती है लेकिन लोगों को जागरूक नहीं कर पायी है, इसके लिए जिला प्रशासन को चाहिए कि लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक आदि करके ग्रामीणों को कोरोना के प्रति जागरूक करे.

वहीं इस पंचायत के सरपंच लक्ष्मण यादव ने बताया कि इस गांव में दस लोगों की मौत हो चुकी है और सौ से अधिक लोग पीड़ित हैं. यहां के ग्रामीणों में जागरुकता की बेहद कमी है, जिसका खामियाज़ा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने आजतक से बातचीत में बताया कि लोगों में एक प्रकार का डर है जिसकी वजह से लोग ना ही कोरोना टेस्ट कराना चाहते हैं और ना ही वैक्सीन लेने को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि सप्ताह-सप्ताह भर से लोग खांसी, सर्दी, बुखार और सर दर्द से परेशान हैं और ग्रामीण चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं, लेकिन अस्पताल जाकर कोरोना जांच कराने के लिए तैयार नहीं हैं.

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वहीं इस दौरान बिना मास्क के घूम रहे मनोहर यादव से मास्क ना लगाने और वैक्सीन नहीं लगाने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने बताया कि अभी सो कर उठे हैं मास्क नहीं लगा पाए . हम तो पूरी तरह स्वस्थ हैं तो कोरोना जांच कराने या वैक्सीन लगाने की क्या जरूरत है.

वहीं इस मामले में तारापुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने आजतक से बातचीत में बताया कि अफजल नगर पंचायत के खुदीया गांव के लोगों को कोरोना जांच कराने और वैक्सीन लेने में आखिर क्या आपत्ति है ये समझ से परे है. उन्होंने बताया कि हमने कई बार अपनी टीम को और खुद भी उस गाँव में जाकर लोगों को जांच कराने और वैक्सीन लेने के लिए जागरूक किए. लेकिन कोई असर इन लोगों पर नहीं हो रहा है. हमारी टीम ने कई बार उस गाँव मे जाकर शिविर लगाकर जांच करने और वैक्सीन देने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण ना तो टेस्ट कराते हैं और ना ही वैक्सीन लगवाये. उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में मैंने डीएम और एसडीओ को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया हैं, डीएम मैडम ने कहा है कि आशा और जीविका से जुड़ी दीदी को भेज कर वहाँ के लोगों को जागरूक करें अगर नहीं होता है तो इसमें प्रशासन का भी सहयोग लेकर उन लोगों को प्रेरित करें.

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