16 जनवरी के दिन देशभर में पूरे तामझाम और उत्साह के साथ कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रोग्राम शुरू किया गया. पहली डोज के लिए महीने भर चले इस अभियान के बाद अब सेकंड डोज लगाने का समय चल रहा है. 13 फरवरी से कोरोना की सेकंड डोज लगाने का काम शुरू कर दिया गया है. लेकिन लोगों में कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज को लेकर अधिक उत्साह नजर नहीं आ रहा है. पूरे देश में कोरोना वैक्सीन के बूस्टर शूट यानी सेकंड डोज को पहले दिन महज 7 हजार 668 स्वास्थ्यकर्मियों ने लगवाया है. ये कोविड वैक्सीन की पहली डोज के पहले दिन यानी 16 जनवरी के मुकाबले मात्र 4 प्रतिशत करीब है. जो एक तरह से कोविड वैक्सीन लगाने के लिए चलाए जा रहे देशव्यापी अभियान की सफलता पर बड़े प्रश्न खड़े कर रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ही डाटा के अनुसार पहली डोज के पहले दिन करीब 1 लाख 91 हजार लोग वैक्सीन लगवाने पहुंचे थे. लेकिन कोरोना वैक्सीन का सेकंड डोज मात्र 7,668 लोगों ने लगवाया है. ये अपने आप में चिंता का विषय है. हालांकि मेडिकल से जुड़े कई विशेषज्ञों ने इसे चिंता की बात मानने से इनकार किया है.
मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान, जिन्होंने खुद भी कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक ली है. उन्होंने कहा है कि ''जब भी डॉक्टरों को टाइम मिल रहा है वे वैक्सीन की खुराक ले रहे हैं. कई इंटरनेशनल स्टडीज ने भी कहा है कि आप अगर कुछ समय बाद सेकंड खुराक लेंगे तो वो और अधिक फायदा करेगी. चूंकि वायरस का बचाव अभी भी पूरी तरह नहीं हो सका है और ये खतरा तब तक बना रहता है जब तक कि आप सेकंड डोज नहीं ले लेते. इसलिए सभी को दूसरी खुराक लेनी चाहिए क्योंकि शरीर में इम्युनिटी दूसरी डोज लेने के दो हफ़्तों बाद बनना शुरू होती है.''