आईसीएमआर ने आखिरकार लंबे इंतजार के बाद राष्ट्रव्यापी सीरो सर्वे के भाग दो को प्रकाशित कर दिया है. पहले राष्ट्रीय जनसंख्या-आधारित सीरो सर्वे के निष्कर्षों ने संकेत दिया था कि भारत में 0.73 प्रतिशत वयस्क कोविड संक्रमित थे, जो कि मई 2020 की शुरुआत में कुल 6.4 मिलियन संक्रमणों तक थे.
जिलों के चार हिस्सों में 0.62 से 1.03 प्रतिशत के बीच सीरोप्रेवलेंस हुआ. 22 देशों से उपलब्ध आंकड़ों की तुलना में अनुमानित सीरोप्रेवलेंस 4.76 था, मई 2020 में स्कॉटलैंड में 0.76% से लेकर ईरान में 26.6% तक के बीच सीरोप्रेवलेंस था. सर्वे के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि भारत में समग्र रूप से सीरोप्रेवलेंस कम थी, जो मई 2020 तक कोरोना संक्रमित व्यस्क जनसंख्या के एक प्रतिशत से भी कम थी.
सर्वे से यह अनुमान लगाया गया था कि आरटी-पीसीआर से कोरोना के प्रत्येक मामले की पुष्टि के लिए भारत में 82-130 संक्रमण थे. भारत में केस अनुपात के लिए टेस्टिंग की प्राथमिकता एक बड़ा कारण हो सकती है. अधिकांश जिलों में मिला निम्न संक्रमण बताता है कि भारत महामारी के शुरुआती चरण में है और भारतीय आबादी का अधिकांश हिस्सा अभी भी कोरोना संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील है.
आईसीएमआर द्वारा प्रकाशित आंकड़ों ने कोरोना की वजह से हुई मौतों की संख्या पर भी सवालिया निशान लगाए हैं. कहा गया है कि भारत में कोरोना मौतों की रिपोर्ट अधूरी है, और कोविड-19 की पुष्टि वाली मौतों की घोषणा करने के लिए आवश्यक जिलों में परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच में अंतर है. वर्तमान में भारत में इंफेक्शन फैटेलिटी रेट (आईएफआर) कम आंकी गई है.
जबकि सीरो सर्वे के निष्कर्षों पर आधारित समग्र IFR सांता क्लारा काउंटी, यूएसए (0.12-0.2%) 16, ईरान (0.08-0.12%) 23, ब्राजील और स्पेन (1%) 24, आईएफआरएफ से रिपोर्ट की तुलना में बहुत कम था.