scorecardresearch
 

कोरोना: एम्स और IIT ने बनाया ऐप, प्लाज्मा थेरेपी में मरीजों को मिलेगी मदद

आदर्श प्रताप सिंह ने कहा कि इस ऐप में उन मरीजों का विवरण है जो पहले से ही एम्स से डिस्चार्ज हो चुके हैं या जिनका वर्तमान में इलाज चल रहा है.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

Advertisement

  • देश में बढ़ रहा कोरोना वायरस का कहर
  • एम्स और आईआईटी ने लॉन्च किया ऐप

देश में कोरोना वायरस का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच आईआईटी-दिल्ली के छात्रों की मदद से एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अस्पताल में रियल-टाइम कोविड-19 के मरीजों पर नजर रखने के लिए एक मोबाइल ऐप को विकसित किया है, जो डिस्चार्ज होने के साथ ही ठीक होने के 28 दिन बाद संभावित प्लाज्मा डोनर बन सकते हैं.

कोरोना पर फुल कवरेज के लि‍ए यहां क्ल‍िक करें

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने कहा कि COPAL-19 नाम के इस ऐप में उन मरीजों का विवरण है जो पहले से ही एम्स से डिस्चार्ज हो चुके हैं या जिनका वर्तमान में इलाज चल रहा है. साथ ही उनके ब्लड ग्रुप हैं ताकि जिन मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी की आवश्यकता हो, वे बिना किसी परेशानी के इसे समय पर प्राप्त कर सकें.

Advertisement

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...

डॉ. सिंह ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए डोनर की कमी के बीच आईआईटी दिल्ली की टीम के साथ एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स की टीम ने कोविड-19 के निर्वहन और प्लाज्मा दान की आवश्यकता वाले रोगियों के बीच बेमेल को सही करने के लिए एक ऐप विकसित किया है. यह डॉ. अभिनव सिंह वर्मा और आईआईटी दिल्ली के छात्रों की एक बेहतरीन पहल थी.

देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें

COPAL-19 ऐप के पीछे मुख्य शख्स एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर वर्मा ने कहा कि यह सरल यूजर इंटरफेस के साथ ही स्वचालित डोनर मिलान की ऐप है. हालांकि यह मुख्य रूप से एम्स के रोगियों के लिए शुरू किया गया है, लेकिन यह ऐप खुले प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा. यह एक ओपन सोर्स कोड ऐप होगा, जिसे दूसरे संस्थान के लोग अपने अस्पतालों में कॉपी और इस्तेमाल कर सकते हैं.

डोनर को करेगा ट्रैक

डॉक्टर्स-डे के मौके पर इस ऐप को प्रीमियर हॉस्पिटल में लॉन्च किया गया था. ऐप स्वचालित रूप से उन डोनर को भी ट्रैक करेगा, जो हर 14 दिनों के चक्र के बाद प्लाज्मा दान करने के लिए पात्र होंगे. डॉ. वर्मा ने कहा कि एक बार जब ऐप लाइव हो जाता है तो जो खुद को प्लाज्मा डोनर के रूप में पंजीकृत करना चाहता है, वह इस ऐप को डाउनलोड कर सकता है और एक साधारण फॉर्म में अपना विवरण भर सकता है.

Advertisement

उन्होंने बताया कि बैक-एंड के जरिए एम्स ब्लड बैंक भी इससे जुड़ा हुआ है. इसलिए वे भी इसका विवरण प्राप्त करेंगे और जरूरतमंद रोगियों को इसे हासिल करने में मदद करेंगे. वहीं मरीज अपने आप को पंजीकृत कर सकते हैं और अपने ब्लड ग्रुप से मेल खाने वाले प्लाज्मा डोनर का विवरण हासिल कर सकते हैं.

Advertisement
Advertisement