कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देश के सभी 548 जिलों में लॉकडाउन कर दिया गया है. लेकिन क्या राज्य द्वारा सिर्फ लॉकडाउन कर देने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा? बिल्कुल नहीं. कोरोना वायरस को पहले ही महामारी घोषित किया जा चुका है और बिना जनभागीदारी, COVID-19 को हराया नहीं जा सकता है. लॉकडाउन के दौरान कई लोग अपनी गाड़ी लेकर सैरसपाटे के लिए निकल जा रहे हैं. आप कहेंगे शायद वो इसकी गंभीरता नहीं समझ पा रहे हैं, हमें उन्हें समझाना होगा. लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले ज्यादातर लोग बड़े शहरों के एलीट क्लास (संभ्रांत वर्ग) के लोग हैं.
हां ये जरूर है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में लॉकडाउन की वजह से सार्वजनिक वाहनों में भीड़ बढ़ गई है. लेकिन यहां बसों में यात्रा करने वाले ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग हैं जो बाहर राज्यों में काम कर रहे थे. सभी सरकारों को यह समझना होगा कि सिर्फ लॉकडाउन कर देने से कोरोना वायरस का संकट नहीं टलेगा. उन्हें आगे की दिशा भी तय करनी होगी.
सोमवार को आपने दिनभर टीवी पर देखा होगा कि कैसे आम लोग लॉकडाउन को ठेंगे पर रखते हुए सड़कों पर निकल जा रहे हैं और पुलिस वाले उनके सामने हाथ जोड़कर घर वापस जाने की मिन्नतें कर रहे हैं. लेकिन क्या सिर्फ आम लोग ही नियमों को ताक पर रख रहे हैं और सारे अधिकारी अपना काम ईमानदारी से निभा रहे हैं? तो इसका जवाब है नहीं.
मैं ग्रेटर नोएडा में रहता हूं. सोमवार को मेरे पड़ोस में एक व्यक्ति आए. वो दुबई में काम करते हैं. उनका परिवार लगभग एक हफ्ते से शहर से बाहर है, वो अपने पैतृक गांव गए हुए हैं. सोमवार को सुबह 11 बजे के करीब जब उनका गेट खुला देखा तो मन में सवाल उठे, कमरे के अंदर कौन दाखिल हो गया? दुबई से आए शख्स की पत्नी हमारी पत्नी की मित्र हैं, इसलिए हमने उनसे फोन कर पूछा कि उनके घर में कोई आया है क्या? उन्होंने बताया कि उनके पति आए हैं. वो दो दिन पहले ही दुबई से वापस लौटे हैं. पहले वो मेरठ (उनके गांव) गए थे. लेकिन ऑफिस के किसी जरूरी काम से फिलहाल ग्रेटर नोएडा आए हैं. उनके साथ उनका एक मित्र भी है जो दुबई में उनके साथ ही रहता है.
मेरी पत्नी ने जब ये सारी बातें मुझे बताई तो मुझे फिक्र हुई, कि कहीं वो कोरोना पॉजिटिव तो नहीं है और अगर वो निगेटिव भी हैं तो क्या उन्हें कुछ दिनों के लिए क्वारनटीन नहीं रहना चाहिए था? मेरी चिंता का एक विषय यह भी था कि क्या एयरपोर्ट पर उनकी ठीक से जांच हुई है या नहीं? मैंने सोसाइटी के गेट पर फोन कर संबंधित व्यक्ति को सभी जानकारी दी. उन्हें बताया कि उनका चेक कराया जाना बेहद जरूरी है अन्यथा यह बीमारी पूरी सोसाइटी में फैल जाएगी.
लगभग दो घंटे बाद कुछ गार्ड्स उनके दरवाजे पर पहुंचे और उनसे पूछताछ की. लेकिन उन्हें जांच के लिए या आगे कि किसी भी प्रकिया के लिए नहीं भेजा गया. मुझे चिंता इस बात की भी थी कि जैसे-जैसे देरी होगी इसके फैलने की संभावना बढ़ेगी. क्योंकि वे दोनों बार-बार घर से बाहर निकल रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपने चेहरे पर कोई मास्क भी नहीं लगाया था. मैंने दोपहर तीन बजे के करीब गौतम बुद्ध नगर के डीएम को ट्वीट करते हुए अपनी चिंता रखी. बाद में फिर से पुलिस कमिश्नर और सीएम योगी आदित्यनाथ ऑफिस को टैग करते हुए अपनी बात रखी.
जब काफी देर तक मैंने कोई रिस्पांस नहीं देखा तो मैंने एक मित्र को फोन किया. वो मीडियाकर्मी हैं और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में एक्टिव हैं. मुझे उम्मीद थी कि उनकी बातों को प्रशासन गंभीरता से लेगी और तुरंत जांच की टीम भेजेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उल्टे उन्हें कहा गया कि आप मीडियावाले काफी पैनिक करते हैं. कुछ नहीं होगा.
उन्होंने वॉट्सऐप पर मुझे एक संदेश भेजा. उसमें लिखा था- 'डीएम वॉर रूम गौतम बुद्ध नगर से, कोरोना वायरस से बचाव एवं इसकी रोकथाम को लेकर जिला मजिस्ट्रेट बीएन सिंह का एक और बड़ा निर्णय. डीएम कैंप कार्यालय को भी बनाया गया कंट्रोल रूम. तीन अधिकारियों की शिफ्टवाइज लगाई गई ड्यूटी. 24 घंटे संचालित होगा यह कंट्रोल रूम. जिला सूचना अधिकारी गौतम बुध नगर, देखें डीएम का आदेश.'
इसके नीचे एक लिस्ट थी जिसमें शिफ्टवाइज बताया गया था कि कौन व्यक्ति कब काम कर रहा है. मैंने शिफ्ट के हिसाब से 'श्री राजकुमार, श्रम प्रवर्तन अधिकारी- 9717923877' को फोन किया. उन्होंने काफी धैर्य से बात सुनी. मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं मीडिया क्षेत्र में काम करता हूं जिससे कि उन्हें मेरी विश्वसनीयता को लेकर कोई संदेह ना हो. उन्होंने मुझे दो नंबर दिए- 6396776904 और 0120- 2569901. मुझसे कहा गया कि ये कोरोना कंट्रोल रूम का नंबर है. इसपर बात कीजिए तुरंत संबंधित व्यक्ति की जांच कराई जाएगी.
मैंने पहले 6396776904 नंबर पर कॉल किया. लेकिन यह स्विच ऑफ था. बाद में 0120- 2569901 नंबर पर कॉल किया. दो बार पूरी घंटी जाती रही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. मैंने तीसरी बार फिर से फोन किया. आखिरकार उन्होंने फोन उठाया. मैंने उनसे सारी बातें बताईं और अपनी चिंता भी जाहिर की. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वो मामले को गंभीरता से देखेंगे. साथ ही मुझे इस बारे में आगे की जानकारी भी देंगे. उन्होंने मुझसे मेरा नंबर मांगा. मुझे खुशी हुई कि वो इसपर काम करेंगे. लेकिन काफी देर तक जब फोन नहीं आया तो मैंने फिर से पूछा, 'क्या आपलोगों ने कोई मेडिकल टीम भेजी है?' उन्होंने कहा, 'देख रहे हैं... आपका नंबर ले लिया है. आपको बता दिया जाएगा.'
और पढ़ें- हर्षवर्धन बोले- विदेश से आए 14 लाख लोगों पर नजर, घर से बाहर न निकलें
काफी देर तक जब कोई रिस्पांस नहीं मिला तो मैंने सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) डॉ. अनुग्रह भार्गव को फोन किया. लेकिन इस मुश्किल दौर में भी उनका फोन स्विच ऑफ था. मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी. इस बार मैंने सरकारी हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर के पीए ललित सिंह को फोन किया. मुझे लगा जांच तो इन्हें ही करानी है इसलिए इनसे बात की जाए. उन्होंने संबंधित व्यक्ति की जानकारी मांगी. मैंने उन्हें सारी डिटेल भेजी. लेकिन एक दिन बीत जाने के बाद भी अब तक ना तो कोई कार्रवाई हुई और ना ही कोई संतोषजनक जवाब मिला.
सवाल यह है कि इस मुश्किल घड़ी में जिनसे सबसे अधिक उम्मीद है, अगर वो इतनी लापरवाही दिखाएंगे तो ये कोरोना कमांडो कैसे कहलाएंगे? आपके ऊपर सड़क पर चलते हुए कोरोना संक्रमितों को ढूंढ़ने भर की जिम्मेदारी नहीं है. पूरे देश में संक्रमितों की संख्या 500 के पार जा चुकी है. कई लोग समाज में भी घुस सके हैं. ऐसे में सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पुलिस और मेडिकल स्टाफ की आंख और कान बनना होगा. इतना ही नहीं इन कोरोना कमांडो को अपने आंख और कान पर भरोसा कर उचित समय में कार्रवाई भी करनी होगी. तभी हमारा समाज और देश सुरक्षित हो सकेगा.
और पढ़ें- आज रात 8 बजे फिर देश को संबोधित करेंगे PM मोदी, कोरोना पर होगी बात
सिर्फ लॉकडाउन या धारा 144 लागू कर देने से कोरोना का खात्मा नहीं हो जाएगा. भारत जैसे देश जहां की आबादी 130 करोड़ से भी ज्यादा है और अस्पतालों की हालत हमसब से छिपी नहीं है. ऐसे में मेडिकल स्टाफ को संदिग्धों की जांच में तेजी लानी होगी. अन्यथा हालात भयावह हो सकते हैं.