देश इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. इस महामारी के बीच भी दिल्ली के सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान अभी भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर बैठे हुए हैं. लेकिन इन्हीं किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (किसान सरकार) ने अपील की है कि किसानों को कोरोना संकट तक अपने आंदोलन को टाल देना चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन (किसान सरकार) के प्रवक्ता भोपाल सिंह का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ जारी हमारे आंदोलन को कोरोना संकट के बाद किया जा सकता है, लेकिन जबतक महामारी है इसे टाल देना चाहिए.
हालांकि, इस मांग को राकेश टिकैत ने खारिज किया है. राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि तीनों कृषि के काले कानून वापस होने के बाद व एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही खत्म होगा किसान आंदोलन.
‘बुधवार को दो किसानों की हुई मौत’
भोपाल सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा होने के नाते मैं सभी किसानों से आंदोलन टालने की अपील करता हूं. जब कोरोना संकट कम होगा, तब हम फिर से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी पर कानून की मांग को लेकर अपना आंदोलन शुरू करेंगे.
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भोपाल सिंह के मुताबिक, बुधवार को ही सिंघु बॉर्डर पर दो किसानों की कोविड के कारण मौत हुई है. ऐसे में हम इस लड़ाई से पीछे हटने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि बस ये अपील है कि कोविड तक इसे टाल दिया जाए. अगर कोरोना से हमारे किसान मरते रहे तो फिर आंदोलन का हिस्सा कौन बनेगा.
पिछले साल से जारी है किसानों का आंदोलन
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल से ही किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं (गाजीपुर, टिकरी, सिंघु बॉर्डर) पर हजारों किसान डटे हुए हैं. किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है. हालांकि, लंबे वक्त से दोनों पक्षों में बातचीत का दौर बंद है.
किसानों का ये आंदोलन तब चल रहा है, जब देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. शुक्रवार को भी भारत में ढाई लाख से अधिक नए केस आए, जबकि चार हज़ार से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं. भारत में इस वक्त भी तीस लाख से ज्यादा कोविड के एक्टिव केस हैं, जो चिंता का विषय हैं.